ये दोनो स्थान चित्रकूट के चारधाम के अन्तर्गत आते है ।
अनुसूया आश्रम
जानकीकुंड से 14 किलोमीटर की दूरी पर घने जंगलों से घिरा यह स्थान है । पहले बहुत निर्जन होने के कारण यहां पर लोग अकेले नहीं जाते थे । यह चारों धाम की यात्रा में आता है ।यही माता कर्दम ऋषि की पुत्री माता अनुसूया के सतीत्व की परीक्षा लेने के लिए ब्रह्मा विष्णु महेश तीनों देवता आए थे । उन्होंने अपने सतीत्व के बल से उन्हें बाल रूप बनाकर पालने में लिटा दिया था तभी तीनों देवियां ( ब्रह्माणी, लक्ष्मी जी व पार्वती जी )अपने पतियों को लेने आई थी ।
माता अनुसूया के सतीत्व के प्रताप से ही गंगा का उद्गम इसी मंदाकिनी के रूप में इसी स्थान में हुआ था । यहां पर उनके पुत्र दत्तात्रेय , दुर्वासा व चंद्रमा की मूर्तियां है । यह स्थान परम पवित्र प्राकृतिक धार्मिक तपोस्थली है यहीं पर माता अनुसूया ने सीता जी को पातिव्रत्य धर्म का उपदेश दिया था ।यहां एक बड़ा सा सभागार भी है ।
माता अनुसुइया आश्रम***
गुप्त गोदावरी यह रामघाट से18 किलोमीटर लगभग की दूरी पर है यहां दो गुफाएं हैं एक चौड़ी और ऊंची है प्रवेश द्वार संकरा होने के कारण घुसने में कठिनाई हो सकती है दूसरी लंबी और संकरी है । यह हमेशा पानी से भरी रहती है मान्यता है कि इस संकरी गुफा में अंत में राम लक्ष्मण सीता जी बैठते थे।
उनके बैठने के स्थान पर अब भी दीवारो मे धनुषवाण के रखने के स्थान बने हैं । राम के चित्रकूट आगमन को जानकर गौतम ऋषि की पुत्री गोदावरी नासिक से भूमिगत मार्ग से आकर यहां प्रकट हुई है देवताओं ने इस दैवीय गुफा का निर्माण विश्वकर्मा से पहले ही करवा लिया था।
यह गुफा पूर्ण प्रकृति निर्मित है यहाँ की स्वच्छ पानी की धारा त्रेतायुग की घटनाओं की साक्षी है ।
गुप्त गोदावरी गुफा***
खटखटा चोर *********
यहां पर माता सीता स्नान करती थी एक बार मयंक नामक राक्षस उनके वस्त्रों को चुरा कर भाग गया था तब सीता जी ने अपने सिर का बाल तोड़कर पत्थर का हो जाने का श्राप दे दिया और कहा कि ये यहां पर आने वाले दर्शनार्थियों के पाप खाकर पेट भरा करेगा ।
बाद में लक्ष्मण जी ने गुफा के अंदर ऊपरी भाग छत में बांधकर लटका दिया था वह पत्थर के रूप मे आज भी यहां पर लटक रहा है । हवा से इधर उधर हिलने डुलने से इधर-उधर टकराने से खटखट की आवाज करता है इसलिए इसे खटखटा चोर के नाम से जाना जाता है।
खटखटा चोर***