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भाग - 2

28 मार्च 2024

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दोस्तो आपका स्वागत है।
भाग 2 में..

हम पिछले एपिसोड में कहा थे याद आया आपको।
हां हां मुझे पता है आप लोगो को याद होगा।

तो कहानी शुरु होती है, रचना से..

वो भी दिल्ली से मुंबई आई थी अपने पापा के अपने बिजनेस मुंबई सैटल होने की वजह से दिल्ली से मुंबई पढ़ने आई थी।

अब हम थोड़ा रचना के बारे में जान लेते हैं।

हमारी शुरुआत कहा से होती है जी हा आपने फिर से सही सोचा
"बचपन" कुछ ऐसा ही था हमारी रचना का भी बचपन।

बचपन से ही रचना भी रचित जैसे ही पढ़ने, लिखने, हर जगह होशियार थी। उसे लाइफ में किसी भी चीज से कॉम्प्रोमाइज करना बिलकुल भी पसंद नही था। फिर चाहे वो कुछ भी हो।

वो कहते है ना की लड़कियां हमेशा अपनी "पापा" की "परी" होती हैं।

कुछ ऐसा ही था, रचना के साथ भी वो अपने पापा की परी तो थी ही, और साथ ही घर मैं सबकी लाडली दुलारी भी थी। प्यार से उसे सब लाडो और कभी कभी डिंपी भी बुलाते थे।

बचपन से उसने भी अपनी पढ़ाई 1th से 10th तक दिल्ली में पूरी की, फिर वो आ गई सपनो की नगरी मुंबई में।

वो भी रचित के ही स्कूल में उसने एडमिशन लिया था, पर शायद उसको पता नही था, की उसकी जिंदगी में बहुत कुछ अब बदलने वाला था।

अगले ही दिन.. क्लास में एक बहुत सुंदर सी लड़की ने भी एडमिशन लिया।
देखने में वो किसी हिरोइन से कम नहीं थी, 5"5 की हाईट सिल्म सी फिट, काली आखें, काले बाल, जुल्फों से लहराते हुए उसके बाल उसने पहली बार अपनी क्लास में एंट्री ली...

नाम था.. "रचना"

क्लास मैं उसके आते ही सबकी नज़र सिर्फ रचना पर ही टिक कर रह गई थी। क्लास मैं तो और भी लड़कियां थी, पर रचना जैसी बात शायद उनमें से किसी मैं भी नही थी, इश्लिये तो सभी लोग ख़ास कर लडको की नजर तो जैसे रचना से हट ही नहीं रही थी। और लड़कियां तो जैसे जल भुगकर खाक हो चुकी थी।

शायद अब उन सभी को पता था, की अब उनकी दाल रचना के आगे नहीं गलने वाली, खासकर उन लडको पर, और रचित पर जो सबकी पहली पसंद था, और हो भी क्यों ना, दिखने मैं स्मार्ट, पढ़ने में होशियार हर काम में परफेक्ट।

पर एक लड़का ऐसा भी था पूरी क्लास मैं जिसने शायद रचना को अभी देखा भी नहीं था। कोन था वो अब तक तो आप सभी लोग तो समझ चुके होंगे। जी हां आप सभी ने सही समझा "रचित"

रचित ही था वो लड़का जिसने अभी तक रचना को देखा भी नहीं था। वो तो अपने किसी प्रोजेक्ट में व्यस्त था। जो उसे उसकी क्लास टीचर ने ही दिया था, शायद उसने अभी तक रचना को ठीक से देखा भी नहीं था।

रचना की एंट्री शुरु होती है, वो अपने प्रिंसिपल सर के साथ ही क्लास मैं आई थी, आते ही मैडम ने क्लास टीचर से इंट्रोड्यूस करवाया।

प्रिंसिपल सर के आते ही सब खड़े हो गए सबने एक साथ कहा गुड मॉर्निंग सर, पर रचित तो जैसा खो सा गया था अपने प्रोजेक्ट में उसे टाइम पर परफेक्टली पूरा जो करना था, ऊपर से वो क्लास का टॉपर भी था। एक जिम्मेदारी तो बनती थी ना उस पर।

तो हम कहा थे, रचना की एंट्री पहली बार प्रिंसिपल सर के साथ हुई।
सर ने क्लास टीचर बोलकर रचना को इंट्रोड्यूस करवाया।
बच्चो आज हमारे बीच एक नई बेटी और आप लोगों की क्लास मेट ने एडमिशन लिया है, नाम है "रचना"

रचना को देखकर,

जैसा की मैंने आपको बताया कि लड़के तो जैसे यह तो मेरी gf बनेगी ऐसा सोचकर एक दूसरे को इशारे दे रहे थे, और लड़कियां तो huu मुंह बनाकर, नाक सिकोड़कर जूठी स्माइल के साथ सभी ने रचना से हाथ मिलाया, और अपना परिचय दिया जैसा की आप लोगो को मैने उपर बताया था।

एक लड़का था जो अपने काम में लगा हुआ था, रचित उसको तो जैसे कुछ होश ही नहीं था टॉपर जो था, मैडम ने उसे देखा और जोर से बोली रचित.. रचित स्टैंडअप। रचित एक दम से डरते हुए जी जी मैडम,

मैडम उससे बोली तुमको पता नही यहां क्या हो रहा है, hmm

No mam, कहकर उसने जवाब दिया, फिर मैडम ने उसे सबके सामने बुलाकर रचना से उसे इंट्रोड्यूस करवाया, लड़के तो जलकर खाक हो गए

"ना हाथ में,ना साथ में, बस बाते हो जाए एक मुलाकात में" और लड़कियां तो आप सभी लड़कियों को तो पता ही है
ना।

हा हा...😁

रचित यह है रचना दिल्ली से आई है आज से यह इसी क्लास मैं पढ़ेगी वो भी तुम्हारे साथ, तुमको पता ही होगा क्यो?

रचित सबके सामने डरते और मन में मुस्कुराते हुए, no mam

अब आगे की कहानी भाग 3 में
मिलाएगा जरूर...

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रचनाएँ
"बचपन का प्यार"
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आप सभी का स्वागत है, दोस्तो। यह मेरी पहली कहानी हैं, जैसे होता है ना "बचपन का प्यार" आप अपना प्यार और सपोर्ट मुझे चाइये दोस्तो। धन्यवाद। :)
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"बचपन का प्यार"

28 मार्च 2024
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आप सभी का स्वागत है, दोस्तो। यह मेरी पहली कहानी हैं, जैसे होता है ना बचपन। वैसी ही यह कहानी है, जिसका शीर्षक हैं। "बचपन का प्यार" आप अपना प्यार और सपोर्ट बनाए रखियेगा दोस्तो। धन्यवाद। 😊 

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28 मार्च 2024
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"कहते है ना, की हर किसी की शुरुआत बचपन से ही शुरू होती हैं।  तो यह कहानी भी कुछ ऐसी ही है, यह कहानी शुरु होती हैं।" "बचपन"  से... रचित और रचना की कहानी भी कुछ ऐसी शुरु होती हैं। "रचित" बचपन

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28 मार्च 2024
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आप सभी का एक बार फिर से स्वागत हैं। तो कहा थे हम, जी हा आप सब सही समझे, तो चलिए शुरू करते है। मैडम ने रचित से कहा, यह रचना हैं, आज से यह तुम्हारे क्लासमेट हैं। रचना को सब कुछ समझा दो, की हमारी प

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28 मार्च 2024
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