अमावस्या की वह रात हवेली के इतिहास की सबसे काली रात बनने वाली थी। चारों ओर एक अजीब-सी खामोशी थी, लेकिन हवेली के भीतर कुछ और ही हलचल चल रही थी। सूरजभान ने चंद्रिका की आत्मा को मुक्त करने के लिए यज्ञ की
अगले दिन, सूरज की पहली किरण के साथ, सूरजभान ने उस कमरे को ताला लगवाया और गांव में यह खबर फैला दी कि चंद्रिका और उसका बेटा आग में गलती से जलकर मर गए। लोगों ने अफसोस जताया, लेकिन सूरजभान का चेहरा देखकर
समय धीरे-धीरे आगे बढ़ रहा था, और चंद्रिका बेसब्री से अमावस्या की रात का इंतजार कर रही थी। उसने कई दिनों से खुद को इस रात के लिए तैयार कर रखा था। उसकी आँखों में एक अनोखी चमक थी—एक अजीब सी बेचैनी, जिसमे
चंद्रिका और सूरजभान के जीवन में बीते नौ महीने किसी भयावह स्वप्न से कम नहीं थे। इक्कीस बलियों के इस काले सिलसिले में 20 मासूम बच्चों का जीवन समाप्त हो चुका था। चंद्रिका का गर्भवती होना इस दुष्चक्र का अ
सूरजभान ने चंद्रिका से बेहद प्रेम किया था। चंद्रिका का आकर्षण, उसकी तीव्र इच्छाशक्ति, और रहस्यमय व्यक्तित्व सूरजभान को उसकी हर बात मानने के लिए बाध्य कर देता था। लेकिन जब चंद्रिका ने बलि के लिए बच्चों
शाम के समय सूरजभान का मन उस बच्चे के कटा हुआ हाथ देखकर बहुत परेशान था। वह अभी भी उस दृश्य को नहीं भूल पा रहा था, और उसका मन एक अजीब सी घबराहट से भर गया था। लेकिन चंद्रिका, जो अब तक शांत और स्थिर दिख र
कुछ और दिन बीत चुके थे। चंद्रिका का हृदय अब और अधिक निर्मम और ठंडा हो चुका था। अपनी पहली बलि के बाद उसका आत्मविश्वास बढ़ गया था, और वह अब दूसरी बलि के लिए अपना शिकार ढूंढ रही थी।चंद्रिका अब अपने मकसद
कुछ ही दिनों बाद, चंद्रिका ने आस-पास के गाँवों में संदेश भिजवाया कि हवेली में एक भव्य भोज का आयोजन किया जा रहा है। यह आयोजन गरीब और जरूरतमंद लोगों के लिए था, ताकि सभी को भोजन और सहायता मिल सके। सूरजभा
अगले दिन सुबह का सूरज धीरे-धीरे हवेली की खिड़कियों से झाँकने लगा। लेकिन चंद्रिका के भीतर एक अलग ही हलचल थी। उसका मन अब सिर्फ और सिर्फ उस कमरे पर टिका हुआ था, जहाँ उसने पिछली रात किताब रखी थी। उसकी आँख
हालांकि, सूरजभान के साथ उसने वादा किया था कि वह उस कमरे का दरवाजा कभी नहीं खोलेगी, फिर भी उसका मन उस प्रतिबंध से बाहर निकलने के लिए व्याकुल हो जाता। वह जानना चाहती थी कि वह कमरा क्या राज़ छिपाए हुए है
सूरजभान और चंद्रिका की शादीहवेली की भव्यता आज किसी त्योहार से कम नहीं थी। हर कोने में दीयों की रोशनी झिलमिलाती थी, और हवेली के दरवाजों के बाहर रंगीन फूलों से सजावट की गई थी। हवेली का माहौल जैसे एक खास
यह कहानी आज से दो सौ साल पहले की है जब दिल्ली को दौलताबाद के नाम से जाना जाता था, तब दौलताबाद एक गाँव था, वह गांव जो कभी व्यापार और समृद्धि का प्रतीक था, अपनी धूमधाम में था। यह गाँव अपनी हरियाली, शानद
चारों हवेली के विशाल दरवाजे तक पहुंचे। हवेली पहले से भी अधिक डरावनी लग रही थी। टूटे हुए झरोखों और जंग खाए दरवाजों से ठंडी हवा की सरसराहट उनके दिलों में डर और बेचैनी भर रही थी।"यह वही जगह है," अरमान ने
जैसे ही कमरे की ठंडी हवा और अजीब सी फुसफुसाहट तेज़ होने लगी, रुद्र ने डायरी को अपने हाथों में कसकर पकड़ लिया। उसने कहा,"हमें यहां से निकलना होगा। अगर ज्यादा देर रुके, तो कोई नहीं बचेगा।"रिया कांपते हु
रुद्र के घर की घड़ी की टिक-टिक उस सन्नाटे को और भी डरावना बना रही थी। अरमान, रिया, तनु और रुद्र बैठक में बैठे थे। अरमान ने धीमे स्वर में कहा, "मुझे माफ करना, पर मैंने अक्षय खन्ना की डायरी अपने साथ लान
अरमान, तनु और रुद्र अब हवेली के उस रहस्यमय स्थान की ओर बढ़ रहे थे, जहाँ आत्मा की शक्ति सबसे ज्यादा महसूस होती थी। हवेली का यह हिस्सा बाकी हिस्सों से बिलकुल अलग था—सर्द, अंधेरा और जैसे पूरी हवेली की सा
अरमान, तनु और रुद्र हवेली के अंदर एक घनी अंधेरी कोठरी में दाखिल हुए थे। कमरे में कदम रखते ही एक ठंडी सिहरन ने उनका स्वागत किया, जैसे हवेली की दीवारें खुद को उनके खिलाफ खड़ा कर रही हों। कमरे की दीवारों
अरमान, तनु और रुद्र हवेली के उस कमरे में खड़े थे, जहां उन्होंने फोन को रखने का फैसला किया था। हवेली के अंदर का माहौल और भी अजीब हो गया था। जैसे ही उन्होंने फोन को रखकर कदम पीछे हटाए, एक सर्द हवा का झो
रहस्यमयी फोन जिसको उन्होंने किसी भी हालत में वापस हवेली में रखने का फैसला किया था, अब उनका पीछा नहीं छोड़ रहा था। यह एक ऐसा रहस्य था, जिससे उनका पीछा छूटना नामुमकिन सा लग रहा था।"हमें इसे यहाँ रखना हो
अरमान जब फ्लैट पर वापस पहुंचा तो वहां पर रिया नहीं थी। अरमान अब बुरी तरह से घबरा गया था। अरमान के फोन पर दुबारा एक संदेश उभरा: "मौत पक्की है"अरमान ने ये देखा, उसको कुछ समझ नहीं आया कि अब क्या करू