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सस्पेंस

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“याद नहीं।” उसने जवाब दिया  “शायद पंद्रह दिन, या उससे भी ज्यादा।” अन्य महिलाओं में से एक ने वहीं कोने से जवाब दिया। “हमारे पास दिनों की गिनती करने के लिए कुछ नहीं है। उन्होंने हमारा सब कुछ ले लिया। ”

मेरी धड़कनें खुद मुझे भी सुनायी दे रहीं थीं। मैं महसूस कर सकती थी कि मेरा दिल मेरी छाती के पिंजर पर जोर से टकरा रहा है लेकिन उस रोषनी में मुझे जो दिखा उसने मुझे थोड़ी तस्सली दी। मुझे यह देखकर ताजुब्ब

आधे घंटे बादः उसने वैन को कहीं रोक दिया। एक जगह, जहाॅ मैं अपने जीवन में कभी नहीं गयी। जहाँ तक मैं देख सकती थी वहाँ तक पेड़, कोहरा, पहाड़ और घास ही दिख रहे थे। इससे पहले भी मैंने विंडशील्ड के बाहर झाॅ

वह आदमी दुकान तक गया और मेरा थैला उठा लाया। उसने इसे मेरे चेहरे पर फेंक दिया और मेरे जाने का इंतजार करने लगा। मैंने एक बार दुकान पर नजर डाली। मुझे उस गरीब दुकानदार की चिंता थी, जो हर गुजरते पल के साथ

मैं सालों बाद उस गली पर पैदल चल रही थी, जो मेरे घर से निकलकर इन वादियों के घुमावदार रास्तों में कहीं विलीन हो जाती थी। उस गली के हर कदम पर मैं खुद को बिखरा महसूस कर रही थी। उस गली से भी ना जाने कितनी

गर्म पानी के स्नान के बाद मैं हमाम से बाहर आयी। अपने कमरे में आकर मैनें खिडकी के पर्दे उठाए। कोहरे ने मेरी खिड़की के सभी शीषों को धुंधला कर दिया था। मैं उनके पार नहीं देख सकती थी। बाहर का मौसम सर्द है

मेरी आॅखें उस वक्त भी आसूॅओं से भर गयीं। मीनाक्षी ने मेरी ओर देखा। हम दोनों को पता था कि हम दोनों एक ही घटना के बारे में सोच रहे थे। अजान की आवाज खामोष हुई। “क्या यह तुम्हें अब भी ड़रा देता है?” उसने

ये पहली मौत नहीं थी जो मैनें देखी थी। कुछ तीन साल पहले इसी तरह पिताजी को भी देख चुकी थी, और वह भी इसी घर में। वह बीमार रहते थे, उनकी मौत अपेक्षित थी लेकिन माॅ की मौत मेरे लिए चैंका देने वाली थी। मुझे

कभी...। वह रविवार की आम सी सुबह थी। मैं एक घंटा और सोना चाहती थी जब अचानक मेरे पति विदुर ने मेरे गाल पर थपकी दी- “अरन्या!” मैंने आँखें खोलीं। “माँ को कल रात एक आतंकवादी हमले में मार दिया गया!” मैं एक

(   मन का डर   ) कहानी चौथी क़िश्त। राजहार में यह बात बहुत तेज़ी से फ़ैल गई कि एक फ़ाइनेंस का डिप्टी मैनेजर यहीं के एक शिक्षिका से विवाह करने जा रहा है।भिलाई पोलिस को जब यह बात पत

(   मन का डर   ) कहानी तीसरी क़िश्त 2 महीनों बाद सुजाता कुछ नार्मल हुई तो स्कूळ जाना प्रारंभ किया । पर उन्होंने अपना ट्रान्सफ़र सेक्टर 8 स्कूळ से सेक्टर 5 के स्कूल करवा लिया था

बात कहां से शुरू करू कुछ समझ नही आ रहा ।आजकल मेरे साथ क्या हो रहा है।"जुबिन अपने दोस्त पंकज से बतिया रहा था। दोनों का लंच टाइम हुआ था दोनों ही अपने केबिन से निकल कर कैंटीन मे बैठे बात कर रहे थे।पंकज न

मन का डर    ( कहानी प्रथम क़िश्त)धर्मेन्द्र  वर्मा जी सीएसईबी के फ़ायनेन्स सेक्शन में एक सिनियर क्लर्क के पद पर कार्यरत हैं ।उनकी पत्नी हेमा वर्मा एक घरेलू महिला हैं । हेमा जी हार्ट की बी

मित्रो आज इस कहानी में आपको इन आत्माओ का पूरा सच पता चल जायेगा और आप जानेंगे के इस बाड़े का क्या रहस्य है इस लिए कहानी को पढ़ते रही है। जिन्होंने इस कहानी को प्रारम्भिक स्थिति से नहीं पढ़ा है वो कृपया

यह कहानी पाकिस्तान की एक सत्य घटना पर आधारित है । पात्रों के नाम बदल दिए हैं ।  सुलेमान काम से लौटा ही था कि हाथ मुंह धोने चला गया । उसकी पत्नी फरीदा ने उसका खाना लगा दिया था । वह खाना खाने बैठ ग

अब तक कहानी में आपने पढ़ा के किस तरह से, सार्थक में घुसे मंदार ने मौत का खेल खेला, किस तरह से उसने चार लोगो की हत्या कर दी इसे हत्या नहीं दरिंदगी कहना ठीक होगा वो तो उन मासूम लोगो को जिनको यह भी जान का

अब तक आपने पढ़ा के कैसे सार्थक घर से बहार निकल जाता है।  कैसे उसके अंदर मंदार सूबेदार की आत्मा कब्ज़ा कर लेती है। और यह सब वो उस बाड़े को पाने के लिए कर रहा है। क्या राज़ छिपा था, उस बाड़े में क्यों वो पूर

अब तक आपने पढ़ा के कैसे सार्थक मै कोई आत्मा आ जाती है और उस को परेशान करती है और उधर सरिता को कैसे वो आईने वाली औरत परेशान करने लगती है अब आगे पर आगे बढ़ने से पहिले आप सभी से अनुरोध के आज से इस कहान

अब तक आपने पढ़ा के सरिता और एलेक्स ने वो बाड़ा भोजवानी से खरीद लिया और वो वहां शिफ्ट भी कर गए वहां  सामान लगा रहे थे। इधर सार्थक को कुछ आवाज़े आ रही थी अब इस कहानी मोड़ लेने ही वाली थी कहानी अब दिलचस्प

कहानी अब आगे और भी रोमांचक होती जा रही है क्या आपको भी यही लगता है ,अगर हाँ तो आप लोग प्लीज रेटिंग्स जरूर दें। कहानी अब असल डर की और चल दी है जैसा अपने पढ़ा के यहाँ भोजवानी ने इस बाड़े को बेचने के बाद

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