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21 नवम्बर 2021

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ग़म में भी जब मुस्कुराना पड़ता है।
कितना भारी बोझ उठाना पड़ता है।
आँखों की कितनी ख़्वाईशें होती हैं।
कितना अश्क़ों को बहाना पड़ता हैं।

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रचनाएँ
लफ्ज़नामा
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इस किताब में शायर/कवि रिज़वान रिज़ के 500 चुनिंदा शेर शामिल हैं।

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