“वह ध्वनि नहीं मिल रही है, मिथ?" गणी साउंड कैचर मशीन को बार-बार ट्यून कर रहा था, पर उसे महा और युग की वह ध्वनि नहीं मिल रही थी, जिसमें वे साथ-साथ गरुड़ पर सवार होकर ओखा की ओर गए थे। "अच्छा, मैं भी देखती हूँ।" यह कहते हुए मिथ ने इंडस अल्ट्रा कंप्यूटर को ट्यून किया था और दूसरे सेविंग डिस्क पर उसे सर्च करने की कोशिश की थी।
"जीरो पॉइंट फील्ड में तो वह ध्वनि भी रही होगी न?" चिंतक ने भी इंडस अल्ट्रा कंप्यूटर के अलग ट्रैक पर देखने की कोशिश की थी। "यह बात सही है कि संसार की आज तक की सभी ध्वनियाँ जीरो पॉइंट फील्ड में मौजूद हैं, पर वह हमारी साउंड कैचर मशीन में सेव भी तो होनी चाहिए?" गणी ने सर्च करते हुए चिंतक के सवाल पर सवाल किया था।
"अच्छा, दूसरे चिप के ट्रैक में जाकर देखते हैं।" कहते हुए गणी ने अपने इंडस अल्ट्रा कंप्यूटर को ट्यून किया था और कई तरह की आवा जों को फिल्टर कर साउंड ट्रैक पर उसे सुनने की कोशिश की थी।
"मिल गई, वह ध्वनि मिल गई।" मिथ ने खुशी जताते हुए कहा था और सभी बड़े स्क्रीन पर आवाजों और उसके आधार पर तैयार की गई उसकी ऑटो-फिल्म को देखने लगे थे। चिंतक उन्हें अलग डिवाइस में सेव करने लगा था।
"जल्दी चलो, गरुड़! साथी हमारी प्रतीक्षा कर रहे होंगे! वे बहुत दुःखी होंगे! हमें जल्दी पहुँचकर दामा को अगन समर्पण करना है और वहाँ हुई हानि का आकलन करना है। उनका साथ देना है। उनके दुःख को कम करना है।" गरुड़ को सहलाते हुए महा बड़बड़ाई थी। अपने अस्त्रों से लैस गरुड़ पर सवार महा और युग सागर पार करते हुए ओखा की ओर बढ़ रहे थे। वह दृश्य बहुत ही सुंदर और मोहक था। ऊपर- नीचे होते डैनों के साथ गरुड़ की पीठ पर बैठे महा और युग बहुत ओजस्वी योद्धा लग रहे थे। सुंदर सफेद गरुड़ के डैनों और गरदन के बीच थोड़ी कम जगह थी, पर महा ने युग को भी चींटियों पर हमले / मुकाबले के लिए साथ बैठा लिया था। वहाँ जगह कम होने के कारण वे दोनों एकदम चिपककर बैठे थे।
"दामा की उस बीभत्स मृत्यु से मैं विचलित थी। गरुड़ की जानकारी देने पर मैं जिस समय तुम्हें सावधान करने अंतरद्वीप आ रही थी, उसी समय मेरे कुछ अन्य साथियों की कष्टप्रद मृत्यु की जानकारी भी मुझे मिल चुकी थी। साथ ही कई पशुओं के भी मारे जाने का बोध हो गया था। मैंने असा को अपने ओखी साथियों के साथ कबीले में देखने भेज दिया था, पर मेरे होने से उन्हें बहुत संतोष मिलता है। उन्हें लगता है कि महा है तो वह उनके लिए कुछ बेहतर ही करेगी और किसी भी कठिनाई से उबार भी लेगी। मेरा साथ होना उन्हें अधिक सुख देता है।" सिर घु- माकर युग की ओर देखते हुए महा ने कहा था।
"आह! यह ओखापद के लिए दुःखद है, महा। ऐसे कष्ट और दुःख के समय भी तुम हमें बचाने आई, इसके लिए मैं तुम्हें कैसे धन्यवाद
करूं! ऐसे समय में तुम्हारा अपने साथियों के साथ होना आवश्यक था, पर तुमने मेरे कबीले की चिंता की। ओखी को उसी कष्ट में छोड़कर
तुमने हमें आकर सचेत किया। तुमने सचेत ही नहीं किया, बल्कि चींटियों को मार भगाने में मेरी सहायता भी की। हमें बचाया। सच में तुमने
आज पूरे अंतरद्वीपियों का दिल जीत लिया।"
" और तुम्हारा....?" कहकर महा जोर से हँस दी थी।
“अच्छा, तुम भी वही प्रश्न पूछ रही हो, जो मैंने तुमसे पूछा था!" उम्म्म... कहते हुए युग भी हँसने लगा था। "फर-फर-फर।" डैनों की फड़फड़ाहट की ध्वनि के साथ गरुड़ नीचे उतर आई थी।
"असा...असा!" अपने घर के पास उतरते ही महा ने असा को पुकारा था। आकाश में धूप ऊपर चढ़ आई थी। उसे देखते ही कई ओखा- वासी उसकी ओर आने लगे थे। वहाँ दूर से ही कुछ ताजा पशु-कंकालों पर महा की नजर पड़ी थी।
"इत!" कहते हुए महा उस ओर बढ़ी थी, साथ ही युग भी अपने अस्त्रों के साथ आगे बढ़ा था। “यह कैसे हो सकता है कि इतनी बड़ी-बड़ी गौयाकों को चींटियाँ मिनटों में चट कर जाएँ?" कंकाल के पास पहुँचकर युग ने उसे एक नजर देखा था और आश्चर्य करते हुए शायद खुद से ही सवाल किया था। वह जानता था कि इस सवाल का किसी के पास कोई जवाब नहीं है। सच तो यही है कि लाखों-करोड़ों की संख्या में चींटियाँ आई थीं और मनुष्य सहित अनेक पशुओं को चट कर गई थीं। तब तक वहाँ महा की आवाज सुनकर कबीले के अन्य साथी भी पहुँच गए थे और वहाँ एक तरह से बड़ी भीड़ इकट्ठी हो गई थी।
"आओ असा! पूरे कबीले में देख लिया? क्या हुआ है? मुझे बताओ, हमारे कितने साथी..." असा से पूछते हुए महा ने उस गौयाक के कं- काल से मुँह मोड़ लिया था और पूरब की ओर मुंह करके खड़ी हो गई थी।
"हाँ, मैंने और कई साथियों ने मिलकर देखा है। बहुत दुःखद है, महा। मैं कैसे वर्णन करूँ उसका?" कहकर कुछ देर के लिए असा ने अपनी आँखें बंद कर ली थीं। उसके होंठ पर दुःख का कंपन साफ दिखाई पड़ रहा था।
“अरे, बताओ न असा, क्या हुआ है?" महा ने बेचैन होते हुए अपने चेहरे को अजीब तरह से बनाया था और असा से अनुरोध-भाव में पूछा था।
“महा, दामा के अलावा हमारे चार साथियों को खा गईं ये चींटियाँ। हमारे तेरह पालतू पशुओं को भी चट कर गईं। उन चार साथियों में दो किन्नर योद्धा के साथ एक-एक स्त्री-पुरुष थे। वे चारों साथी अपने-अपने घरों में सो रहे थे। शायद वे गहरी नींद में थे। लगता है, हमारे साथी अपने बचाव में आग नहीं उठा पाए ।" असा को चुप होते देखकर कुल ने हिम्मत की थी और उसने यह बात बताई थी।
"आह, यह बहुत बुरा हुआ। वे हमारे वीर योद्धा थे। मृदु और खर तो अस्त्र बनाने में कुशल थे। आज मैंने चीटियों को भगाने के लिए उन्हीं के बनाए बाणों की नोक पर आग लगाकर चलाया था। कई जगह मैंने अग्निबाण का इस्तेमाल किया, जिससे डरकर और मरकर चीटियाँ भागने लगी थीं। तुम्हारी मौत से मैं बहुत दुःखी हूँ, मृदु । ओ खर! मेरे पास कल अँधेरा होने से ठीक पहले तुम कुछ नए बाण देने आए थे।