बहुत मुश्किल होता है अपने को हुबहू लिखना लिखो, फाड़ो यही क्रम चलता है !एक अंतराल कुछ समाप्ति के बाद किसी बात का कोई महत्व नहीं रह जाता। समाप्ति के बाद लिखो, न लिखो कोई फर्क नहीं पड़ता पढ़नेवालों के लिए वह सिर्फ कहानी होती है होती है एक अर्थहीन भूमिका क्षणिक प्रभावित करते उपसंहार !जब तक लिखने का उत्साह