15 सितम्बर 2015
हमने-तुमनेमिटटी की गोल गुलाबी गुल्लक में कुछ ख्वाब छिपा कर रखे थे । कुछ दिन रीते, कुछ मौसम बीते... कल शामतोड़ दी गुल्लक वो एक तनहाउदास लम्हे ने । सब के सब वो ख्वाब अब तलक, फूल बन गए । कभी आकर ले जानाउसमें