मैं भीष्मवाणों की शय्या परअपने इच्छित मृत्यु वरदान के साथकुरुक्षेत्र का परिणाम देख रहा हूँया ....... !अपनी प्रतिज्ञा से बने कुरुक्षेत्र कीविवेचना कर रहा हूँ ?!?एक तरफ पिता शांतनु के दैहिक प्रेम की आकुलताऔर दूसरी तरफ मैं.... क्या सत्यवती के पिता के आगे मेरी प्रतिज्ञामात्र