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मयकशी

hindi articles, stories and books related to Maykashi


कोई कहता है कि मैं पीते - पीते सोता हूंकोई कहता है कि मैं सोते - सोते पीता हूंजाने कौन सच कहता हैऔर कौन कहता है झूठमै तो पीता हूं, पीता हूंहां फकत मै पीता हूँए उम्र मुझसे चला चली की जिक्र न करमै तो ते

शराब तो खराब नहीखराब ये शराब नही शराब तो मुराद है जो उम्र बेमियाद हैगर जिंदगी अजाब है तो हांथ में शराब ले औ चंद घूंट पी के तूनशे में मय के डूब जा फिर झूमकर कहेगा तूकि जिंदगी ह

अभी खुली बस एक ही बोतलबस - बस महफिल कहती हैंतुम क्या जानो दुनिया वालों ये शराब कैसी होती है?नखरे वाली नार के जैसीतल्ख उसके इंकार के जैसी गर पीने पे आ जाओ तोलगती है इकरार के जैसी मैने खो

ऐ शराब नामुरादतेरी तकदीर बलंद हैकितनी सादी है तूजब तलक बोतल में बंद है खुल जाए गर मुंह तेरा फिर सबकी जबां बंद हैबेनागा हाजिरी देते हैं चौखट पे तेरे बंदे तू कितनी कायदा पसंद है 

जब भी जी में आयाथोड़ी सी पी ली है बड़ी लजीज है ये तीखी और नशीली हैहै शराब जिसका नाम बड़ अलबेली हैखुशी की दोस्त है वोगम की भी सहेली है जमाने से जुदा है दस्तूर जालिम काहजारों मे

दे दो तालियां दो हांथो सेमयखाने की सालगिरह में पांव कोई लड़खड़ाएं न  कुछ ऐसी शर्त लगाएं नसाकी है जाम ओ मीना हैआज सभी को पीना है हां जी भरकर पीना है होश कोई गंवाए नजी की जी में

सुब्होशाम खुलेगी ये सरे आम खुलेगीबोतल है ये शराब की हर गाम खुलेगी बंद कमरे और खुले आसमान खुलेगीआंधी में खुलेगी और तूफां मे खुलेगीये दोस्तो की दोस्ती के पैगाम खुलेगीहो दुश्मनी तो दुश्मनी के ऐलान ख

दो अजनबी को दोस्त बनाती हैं बोतलें नजदीकियों को और पास लाती है बोतलेंहंसने वालो के साथ खिलखिलाती है बोतलें रोने वालों को भी खूब रुलाती है वह बोतलें देखिए कैसे-कैसे गुल खिलाती हैं बोतलें

भीगा मौसम भरी सुराहीदोनों मन को भाते हैजब रिमझिम बारिश होती हैहम मयखाने आ जाते हैंघनघोर घटाऐं छाती हैतो छाती मचली जाती हैथाम के हम अपना जिगरतब मयखाने आ जाते हैंये आबोहवा मयखाने कीकुछ करामात है पैमाने

हमसे जलता है जमानासाकी दे दे तू पैमाना                             यूं ही जलता है, जलता रहेगा जमाना       

जिसने पी है पहली बार
वो शरमा के पी गया
के सर झुका के पी गया
के छुप - छुपा के पी गया

बेमौत मर रहा था जो
वो घबरा के पी गया

हजार शाहखानो काइक महल है मयखाना दर पे आएं है अगर तो बंदगी कर लिजिए खुश्बू ए मय है येजो महसूस किजिएउठाईए जाम के फिरसुराही चूम लिजिए ्हर सूं महक है एकजानी पहचानी सी जी चाहे जितन

सुराही चुलबुली थीपैमाना  झूमता थामस्तानी बेखुदी मेमस्ताना झूमता थामयखाना मनचला था         औ साकी मनचली थीदिवाना दिलजला था         पियाली छलछली थी

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