आखिर कब तक ! आप सोच रहे होंगे क्या आखिर कब तक ! अरे! भाई बहुत से मुद्दे है कि आखिर कब तक ऐसे ही चलता रहेगा । चलो आज बात कर लेते है भागती दौड़ती जिंदगी सब की है और जिसकी सरकारी नौकरी है उसे थोड़ा आराम है, उसे थोड़ा कम भागना है लेकिन एक प्राइवेट कर्मचारी को तो बहुत ज्यादा भागना है और प्राइवेट कर्मचारी में भी स्कूलों की बात हो तो कहने ही क्या ! क्या करे सरकारी नौकरी तो सबके आने से रही और घर चलाना है तो मेहनत तो करनी पड़ेगी और हम तैयार भी है । विवाह की उम्र लड़की की अठारह और लड़के की इक्कीस तो सरकार ने तय कर दी है लेकिन नौकरी की उम्र समझ से बाहर है बिना रोजगार विवाह की जिम्मेदारी उठना यह समझ में आ नही रहा है ऐसे ही हमारे राम जी बड़े ही प्रतिभाशाली है सरकारी तैयारी करते करते उम्र तीस वर्ष हो गई लेकिन नौकरी ना आई । चलो! भाई घर के ताने खाने से अच्छा है प्राइवेट में ही काम किया जाए सैलरी इतनी जिसे सामान्य जरूरते भी पूरी ना हो, चलो तसल्ली है काम पर तो जा रहा हूँ बहुत मन लगाकर काम किया प्राइवेट स्कूलों के नियम कायदे सब जानते है मुझे इतना लिखने की जरूरत नही । राम जी काम करते गए बीस साल में इतना खड़ा रखा गया घुटनों ने जबाब दे दिया । एक ही स्कूल में काम कर रहे थे कर्म ही पूजा है मानकर । लेकिन इलाज में बहुत खर्चा था जितना कमाया नही उससे अधिक तो इलाज में लगेगा स्कूल से जैसे ही छुट्टी ली पैसे की भी छुट्टी । एक गुरु जो कि हमारे सन्तों ने ईश्वर से भी ऊँचा स्थान दिया आज इस हालत में है । घर चलाने तक के लिए पैसे नहीं है । अब राम जी का क्या होगा राम जाने !लेकिन मैं आप सब से यह कहना चाहूंगी आखिर कब तक ! देश आजाद कराने में कितने क्रांतिकारियों ने योगदान दिया और देश आजाद हुआ । आजाद तो, हो गए लेकिन देश में इतने मुद्दे ऐसे है उनमें कौन सुधार करेगा ?सरकारी नौकरी में जो फायदे है वो प्राइवेट संस्थान भी देवें ज्यादा नही ,इतना तो करे कि जिस इंसान ने समर्पित होकर अपना फर्ज निभाया उसका घर चल सके । ऐसे नियम बनाए जाए नही तो कितने ही प्राइवेट कर्मचारी राम जी बनते जाएंगे ।