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आप और हम जीवन के सच ....... गोवर्धन पर्वत पूजा

13 नवम्बर 2023

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  गोवर्धन पूजा गोवर्धन पर्वत मथुरा वृंदावन आदि में परिक्रमा को 84 कोस परिक्रमा गोवर्धन पर्वत की करी जाती है। गोवर्धन पर्वत मथुरा वृंदावन में भगवान श्री कृष्ण की जन्मस्थली बहुत  सी कहानियां प्रचलित है। गोवर्धन पूजा हम सभी लोग इस विषय में आज हम पढ़ेंगे एक कहानी के रूप में आओ चलते हैं गोवर्धन पूजा करते हैं मानसिक मन भाव से गोवर्धन पूजा करते हैं इस कहानी के साथ-साथ हम पौराणिक कथा का भी संक्षिप्त में वर्णन करेंगे।

                 राजन अपने परिवार में अपने माता-पिता दादा दादी का इकलौता बारिस हैं। राजन के परिवार सभी संस्कार और परंपरा के साथ पूजन और त्यौहार मनाते हैं इसी पर्व पर राजन सबसे छोटा बेटा होने के साथ-साथ छह बहनों का भाई भी है और सभी परिवार में बहुत आनंद से तो हार मानते हैं और दादा-दादी के होते हुए परिवार में बहुत से काम बड़े बुजुर्गों की दादा-दादी ही करते हैं। राजन अपने दादाजी दादी से पूछता है की दादाजी दादाजी दीपावली त्योहार के साथ-साथ इतने त्यौहार क्यों जुड़े हैं तब दादा जी बताते हैं कि देखो राजन अभी तो समय नहीं है रात को जब हम खाना खाएंगे तब सभी को बताएंगे ठीक है दादाजी हम रात को सभी डाइनिंग टेबल पर बैठकर खाना खाते हैं आपसे पूछेंगे हां हां मैं पूरी कहानी बताऊंगा सभी पांच त्योहारों की और गोवर्धन पूजा का महत्व बताऊंगा रात को बेसब्री से राज न और 6 बहने भाई सब इंतजार कर रहे थे । दादा-दादी जी जब खाने की टेबल पर आए तब राजन उत्सुकता से दादाजी अब हमें आप गोवर्धन पूजा और त्योहारों के विषय में बताइए हां हां बताता हूं बताता हूं दादा जी बोले और दादाजी ने कहना शुरू किया है सबसे पहले तो दीपावली त्यौहार आता है दीपावली त्यौहार तो आप जानती हैं राम जी के अयोध्या आने पर वनवास से हम दीपावली का त्यौहार मनाते हैं और ऐसे ही तोहार आता है गोवर्धन पूजा जी गोवर्धन पूजा में हम सभी भगवान श्री कृष्ण की गोवर्धन पर्वत के उठाने की कहानी को सुनते हैं दादाजी सुनाइए राजन बोला हां राजन सुनो बेटा भगवान श्री कृष्णा और वृंदावन वासियों से इंद्रदेव पूजा कराने के लिए जब इंद्रदेव ने पूजा का अपमान देखा तब इंद्रदेव ने बृजवासियों के लिए जल देवता से वर्षा तूफान  का सहयोग कहा तब इंद्रदेव तो स्वर्ग के सभी देवताओं के राजा हैं सभी ने भारी वर्षा तूफान बृजवासियों पर कर दिया ब्रज में जल ही जल हो गया और तब बृजवासी भगवान श्री कृष्ण से प्रार्थना करने लगे तब भगवान श्री कृष्णा ने कहा सभी गोवर्धन पर्वत के निकट पहुंचे और सभी बृजवासी गोवर्धन पर्वत के पास कान्हा ने कनकी  उंगली से गोवर्धन पर्वत को उठा लिया। अब इंद्रदेव को और क्रोध आ गया और उन्होंने जोरों से वर्षा तूफान शुरू कर दिया परंतु श्री कृष्ण जी ने गोवर्धन  पर्वत को उठाकर सभी बृजवासी ग्वाल वालों को और निवासियों को कहा अब जिसके पास जो समान है उसी से खाना बना वही भोग लगाएंगे तब किसी के पास साग सब्जी किसी के पास बैगन किसी के पास कुछ किसी के पास कुछ सभी को मिलाकर एक सब्जियों का भंडार मिला सभी ने उन सब्जियों को काटकर उन सब्जियों को अन्नकूट का नाम दिया। 

              जब इंद्रदेव ने मुझे सुना कि भगवान श्री कृष्ण ने कान की उंगली से गोवर्धन पर्वत को उठाकर बृजवासियों की रक्षा की है तब इंद्र का घमंड चूर-चूर हो गया और वह भगवान श्री कृष्ण से लीला से पराजय को स्वीकार कर के भगवान  श्री कृष्णा शरण में पहुंचा। भगवान की लीला के साथ-साथ भगवान को समझ कर प्रणाम किया और भगवान से क्षमा मांगी तब भगवान ने कहा आज से गोवर्धन पर्वत की पूजा भी होगी और गोवर्धन पर्वत के नाम से अन्नकूट भी होगा। तभी से गोवर्धन पर्वत और अन्नकूट की परंपरा चली आ रही है।

               गोवर्धन पर्वत की पूजा के दिन अन्नकूट  का प्रावधान है कहीं कहीं कढ़ी चावल का भी प्रावधान है बस भगवान के प्रसाद के स्वरूप अंकूट और गोवर्धन महाराज की पूजा परिक्रमा के साथ-साथ यह संदेश दिया कि पर्वत भी हमें सुरक्षा और खाद्य सामग्रियों का भंडारण देते हैं इसलिए हमें पर्वत राज की भी पूजा करनी चाहिए भगवान श्री कृष्ण ने गोवर्धन पूजा के रूप में यही संदेश जीवन में दिया कि पर्वत भी हमारे धरोहर हैं इनको भी पूजना और समझना चाहिए। कहानी सुनकर सभी लोग बहुत खुश हुए और दादाजी भगवान श्री कृष्ण की लीला को सुनकर और गोवर्धन पूजा को सुनकर सभी जानकारी और महत्व को समझ चुके थे।

                  दादा जी को शुभ रात्रि कहकर गोवर्धन पूजा का महत्व समझकर सभी अपने कमरों में जाकर सो गए और दादाजी भी दादी जी के साथ अपने कमरे की ओर जाने लगे।



नीरज अग्रवाल चंदौसी उ.प्र

प्रभा मिश्रा 'नूतन'

प्रभा मिश्रा 'नूतन'

बहुत खूबसूरत लिखा है आपने 👍🙏 पढ़ें कचोटती तन्हाइयां और लाइक और व्यू दे दें 😊🙏

14 नवम्बर 2023

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आप और हम जीवन के सच...... गोवर्धन पूजा
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गोवर्धन पूजा गोवर्धन पर्वत मथुरा वृंदावन आदि में परिक्रमा को 84 कोस परिक्रमा गोवर्धन पर्वत की करी जाती है। गोवर्धन पर्वत मथुरा वृंदावन में भगवान श्री कृष्ण की जन्मस्थली बहुत सी कहानियां प्रचलित है। गोवर्धन पूजा हम सभी लोग इस विषय में आज हम पढ़ेंगे एक कहानी के रूप में आओ चलते हैं गोवर्धन पूजा करते हैं मानसिक मन भाव से गोवर्धन पूजा करते हैं इस कहानी के साथ-साथ हम पौराणिक कथा का भी संक्षिप्त में वर्णन करेंगे।

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