आप और हम जीवन के सच में सच तो हम ना लेखक ना लेखिका होते है। मैं लेखक मैं लेखिका यह तो एक हम अपने मन को समझने के लिए नाम लगा सकते हैं परंतु एक लेखक और एक लेखिका समाज के दृष्टिकोण से प्रेरणादायक होते हैं। हम सभी जीवन में कुछ न कुछ विचार रखते हैं शब्द रखते हैं उन शब्दों को हम अपने अवसर के अनुसार कुछ कहने योग्य किताब के रूप में बना देते है। परंतु आज के समाज में हम सभी जो भी शब्द लिखते हैं वह अपने मतलब और स्वार्थ के साथ लगती है ना कि समाज की प्रेरणा और समाज को सुधारने के यह कोई राह देते है। लेखक और लेखिका भी एक सोशल मीडिया या सामाजिक पत्रकारिता के साथ अपना किरदार निभाते हैं।
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