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आप और हम जीवन के सच....... मैं लेखक/लेखिका हूंँ

7 नवम्बर 2023

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आप और हम जीवन के सच में सच तो हम ना लेखक ना लेखिका होते है। मैं लेखक मैं लेखिका यह तो एक हम अपने मन को समझने के लिए नाम लगा सकते हैं परंतु एक लेखक और एक लेखिका समाज के दृष्टिकोण से प्रेरणादायक होते हैं। हम सभी जीवन में कुछ न कुछ विचार रखते हैं शब्द रखते हैं उन शब्दों को हम अपने अवसर के अनुसार कुछ कहने योग्य किताब के रूप में बना देते है। परंतु आज के समाज में हम सभी जो भी शब्द लिखते हैं वह अपने मतलब और स्वार्थ के साथ लगती है ना कि समाज की प्रेरणा और समाज को सुधारने के यह कोई राह देते है। लेखक और लेखिका भी एक सोशल मीडिया या सामाजिक पत्रकारिता के साथ अपना किरदार निभाते हैं।

               राजन एक अच्छा लेखक है और वह सामाजिक पत्रकारिता में भी हिस्सेदारी करता है वह जिस गांव में रहता है उस गांव के आसपास दूर-दूर तक बच्चों के पढ़ने के लिए कोई स्कूल नहीं है और स्कूल के साथ-साथ आवागमन का साधन भी मुश्किल है उसके गांव से चक सड़क के साथ-साथ मुख्य रोड चार-पांच किलोमीटर के दूरी पर है और इसलिए गांव में कोई स्कूल और पाठशाला नहीं है लेखक के किरदार में राजन अपने विचार और समाचार पत्र के लिए लेख लिखकर जागरूकता के लिए गांव के विषय में और गांव के सुधार के लिए बहुत कुछ लिखता था। राजन ने  गांव के ऊपर एक कहानी भी लिख दी। परंतु समय के साथ-साथ उसके लेखन की डोर कमजोर होती गई और वह सीधे शहर में जाकर अधिकारियों से भी मिलने लगा और जो लेख लिखे थे उसने गांव के बारे में उनके संदर्भ भी उसने दिया परंतु लेखक और लेखिका होने के साथ-साथ हमारे शब्दों में प्रेरणा और हमारे शब्दों को सुनने के लिए अधिकारी समाज और अन्य वर्ग भी हैं जो पढ़ने और लिखने की शौकीन भी हो। साथ ही मैं लेखक हूं इसका कोई अहम या वहम ना हो और आज का एक आधुनिक युग में लेखक और लेखिका को सरकार की ओर से भी कोई सहयोग नहीं है जो पुराने लेखक लेखिका हुए उनके नाम से निबंध कविताएं जीवन परिचय हो रहे हैं तब लेखक और लेखिका का उत्साह वर्णन करने के लिए भी हमें जीविका के लिए कुछ ना कुछ सोचना जरूरी है क्योंकि लेखक लेखक के शब्द ही विचार और समाज के प्रति जागरूकता ही उनके किरदार को संपूर्ण बनता है लेखक एक समाज का आईना होता है दर्पण होता है जो कि अपने विचारों से समाज की सामाजिकता का दायरा होता हैं आप और हम जीवन के सच हम सभी लेखक बन जाते हैं परंतु लेखकों के साथ हम सभी जानते हैं कि जीवन में निस्वार्थ भाव लिखना भी एक कला होती है और निस्वार्थ भाव लेखन में हम केवल समाज के साथी जुड़े रहते हैं आजकल के आधुनिक युग में पिक्चर फिल्म टीवी सीरियल यह सब लेखक और लेखिका के द्वारा ही लिखे जाते हैं मैं लेखक हूं इसका अर्थ यह नहीं है कि मैं कोई बहुत बड़ा ताकतवर या पावरफुल इंसान हूं। आज समाज में लेखक या लेखिका सभी का मान सम्मान होना चाहिए और नये लेखकों को लेखन में क्षेत्र में समाज के द्वारा और सरकार के द्वारा सहयोग देना चाहिए जिससे जीवन में समझ में लेखन का लेखन उचित स्तर पर चलता रहे।

                     राजन कहता है मैं लेखक हूं और मैं अपने लेखन क्षमता से गांव के समाज सुधार के लिए बहुत कुछ लिखा परंतु आप और हम जीवन के सच के अनुसार कभी भी किसी वर्ग ने भी उत्साहवर्दन नहीं किया क्योंकि समाज और अन्य वर्गों को सच और कड़वा सच के साथ-साथ समाज सुधारक विचार या समाज सुधारक कहानी या जीवन के सच को झकझोरती कहानी लेखन शायद समाज को नहीं भाती हैं।

                 मैं लेखक या लेखिका केवल शब्दों के साथ ही आप तक अपनी बात कह सकती हैं या कह सकता हूं परंतु समाज को भी लेखन के साथ-साथ अपनी आवाज को साथ मिलना होगा क्योंकि लेखक भी देश की जनता और समाज के साथ बनाएं लेखक भी समाज के दृष्टिकोण से ही लिखता है और समाज के विषय में ही लिखता है सच तो लेखक या मैं लेखक हूं एक बहुत बड़ी जिम्मेदारी है और हम जो भी कविता लेख पढ़ते हैं कहानी पढ़ते हैं यह सोचकर पढ़ें कि उसमें कुछ ना कुछ जागरूकता है और वह जागरूकता किसी राह पर हमको ले जा रही है यह उसे लेखक और पाठकों का अपना अपनी सोच है। मैं लेखक हूं आप पढ़ रहे हैं आप और हम जीवन के सच में एक लेख जो मैं लेखक हूं या लेखिका हूं का किरदार है आपकी प्रतिक्रिया हमें और लिखने को उत्साहित करेगी।

                  सच में लेखक हूं या मैं लेखिका हूं। आप समाज और पाठकों के साथ में सदा हूं।

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आप और हम जीवनके सच ....... मैं लेखक हूं
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आप और हम जीवन के सच में सच तो हम ना लेखक ना लेखिका होते है। मैं लेखक मैं लेखिका यह तो एक हम अपने मन को समझने के लिए नाम लगा सकते हैं परंतु एक लेखक और एक लेखिका समाज के दृष्टिकोण से प्रेरणादायक होते हैं। हम सभी जीवन में कुछ न कुछ विचार रखते हैं शब्द रखते हैं उन शब्दों को हम अपने अवसर के अनुसार कुछ कहने योग्य किताब के रूप में बना देते है। परंतु आज के समाज में हम सभी जो भी शब्द लिखते हैं वह अपने मतलब और स्वार्थ के साथ लगती है ना कि समाज की प्रेरणा और समाज को सुधारने के यह कोई राह देते है। लेखक और लेखिका भी एक सोशल मीडिया या सामाजिक पत्रकारिता के साथ अपना किरदार निभाते हैं।

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