।ग़ज़ल।आजमाते जा रहे सब।
जिंदगी में दोस्ती के गीत गाते जा रहे सब ।
पर दोस्तों की कदर ही अब भुलाते जा रहे सब ।।
बढ़ रही तादाद अपने दोस्तों की हर पहर ।
पर न जाने ठोकरों से जख़्म पाते जा रहे सब ।।
मर्ज की लेते दवा पर मर्ज अब बढ़ने लगा है ।
दर्द है ,तन्हाइयां पर मुस्कुराते जा रहे सब ।।
है यहाँ सब गम से बोझिल अपने ही हालात से ।
तर्ज मिलता ही नही पर गुनगुनाते जा रहे है ।।
न समझ पाये कभी जो प्यार की बारीकियों को ।
दिल के टुकड़े हो गये पर दिल लगाते जा रहे है ।।
इश्क़ और दोस्ती में शर्त तो होती नही है ।
न जाने फिर कौन सा वादा निभाते जा रहे सब ।।
साहिलों पर देखता हूँ रकमिश" तेरी दास्ताँ मैं ।
तोड़कर दिल कह रहे की आजमाते जा रहे सब ।।
.....R.K.MISHRA