‘जब बुढ़ापा मेरा दरवाज़ा खटखटाता है तो मैं भीतर से जवाब देता हूं कि विश्वेश्वरैया घर पर नहीं है। और वह निराश होकर लौट जाता है।‘-मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया
भारत के महान अभियन्ता एवं भारतरत्न मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया का जन्म 15 सितंबर को अभियन्ता दिवस या इंजीनियर्स
डे के रूप में मनाया जाता है। भारत सरकार ने एम विश्वैश्वरैया के जन्म दिन को वर्ष में 1968 में अभियंता दिवस घोषित किया गया था। डॉ. मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया ने निर्देशन में देश में कई बांध बनाये गए | जिसमें मैसूर में कृष्णराज सागर, पुणे का खड़कवासला जलाशय बांध और ग्वालियर का तिगरा बांध खास है। इसके अलवा हैदराबाद शहर की डिजाइन का श्रेय डॉ. विश्वेश्वरैया को है। उन्होंने एक बाढ़ सुरक्षा सिस्टम को विकसित किया था। समुद्र कटाव से विशाखापत्तनम बंदरगाह की सुरक्षा के लिए खास योजना बनाई थी।
एक बार जब भारत में अंग्रेजों का शासन था। रेलगाड़ी एक डिब्बे में एक भारतीय यात्री गंभीर मुद्रा में बैठा था। अचानक उस व्यक्ति ने उठकर गाड़ी की जंजीर खींच दी। तेज रफ्तार में दौड़ती वह गाड़ी तत्काल रुक गई।
सभी यात्री उसे भला-बुरा कहने लगे। थोड़ी देर में गार्ड भी आ गया और उसने पूछा, ‘जंजीर किसने खींची है?’ उस व्यक्ति ने उत्तर दिया, ‘मैंने खींची है।’ कारण पूछने पर उसने बताया, ‘मेरा अनुमान है कि यहां से लगभग एक फर्लांग
की दूरी पर रेल की पटरी उखड़ी हुई है।’ गार्ड ने पूछा, ‘आपको कैसे पता चला?’ वह बोला, ‘श्रीमान! मैंने अनुभव किया कि गाड़ी की स्वाभाविक गति में अंतर आ गया है। पटरी से गूंजने वाली आवाज की गति से मुझे खतरे
का आभास हो रहा है।’ गार्ड उस दूरी पर पहुंचा तो यह देखकर दंग रहा गया कि वास्तव में एक जगह से रेल की पटरी के जोड़ खुले हुए हैं और सब नट-बोल्ट अलग बिखरे पड़े हैं। गार्ड ने पूछा, ‘आप कौन हैं?’ उस व्यक्ति ने कहा, ‘मैं एक इंजीनियर हूं और मेरा नाम है डॉ॰ एम. विश्वेश्वरैया।’