ऋग्वेद के अनुसार
यान्ति देवव्रता देवान्पितॄ न्यान्ति पितृव्रता: |
भूतानि यान्ति भूतेज्या यान्ति मद्याजिनोऽपि माम् ||
भाद्रपद पूर्णिमा से आश्विन कृष्णपक्ष अमावस्या तक के सोलह दिनों को पितृ पक्ष कहते हैं, जिसमें हम अपने पूर्वजों की सेवा करते हैं
हिंदू अपने पितरों को श्रद्धापूर्वक स्मरण करते हैं और उनके लिये पिंडदान करते हैं।इसे 'सोलह श्राद्ध', 'महालय पक्ष', 'अपर पक्ष' आदि नामों से भी जाना जाता है।
हिंदू धर्म में पितृपक्ष के दिनों का बहुत ही खास महत्व है. हमारे परिवार के जिन पूर्वजों का देहांत हो चुका है उन्हें हम पितृ मानते हैं.
मृत्यु के बाद जब व्यक्ति का जन्म नहीं होता है तो वो सूक्ष्म लोक में रहता है.पितृपक्ष में पितृ धरती पर आकर अपने लोगों आशीर्वाद देकर उनकी समस्याएं दूर करते हैं
इस बार पितृ पक्ष 17 सितंबर से शुरू होकर 2 अक्टूबर तक समाप्त होंगे. पितृ पक्ष में पितरों के लिए तर्पण, पिंडदान, श्राद्ध, ब्राह्मण भोज आदि किया जाता है