दिव्य आलोकिक प्रकाश पुंज
चतुर्भुज विष्णु में साकार हुआ
कारावास में वासुदेव देवकी
ने ये परम सत्य स्वीकार किया |1|
सुनो देवकी पूर्वजन्म का
मै वरदान तुम्हारा आया हु
मुझको पुत्र स्वीकार करो
मै स्वम विष्णु ही आया हु |2|
हे महा विष्णु सुनो विनय मेरी
तुम बालरूप स्वीकार करो
हे पारब्रह्म परमेश्वर मेरे
वात्सल्य अनुरूप बनो |3|
सुनो वासुदेव मेरे बाल रूप को
बृंदावन लेकर जाना
बाबा नन्द यशोदा मैया को
मुझको देकर आना |4|
मेरी शक्ति योग माया को
वहां से तुम लेकर आना
पहरेदारो का भय मत मानो
वापिस कारावास चले आना |5|
खुल जायेगी सभी बेड़िया
तुम केवल चलने की राह चुनो
यमुना तुमको स्वम् मिलेगी
आतुर मेरे स्वागत को \6\
शेष नाग भी छाया बनकर
साथ तुम्हारे वहाँ रहेंगे
हे वासुदेव सत्य साक्षी बनकर
मुझसे पहले पूज्य बनोगे \7\
एवमस्तु कह तुरत प्रभु ने
शिशु रूप स्वीकार किया
सोये पहरेदार तभी बाबा ने
ईश्वर आदेश स्वीकार किया \8\
हे जगत पिता हे मृत्युञ्जय
हे अजन्मा हे बाल सखे
भक्तो की खातिर हे गिरधर
कारावास जन्म स्वीकार किया \9\
गणेश पटेल