देश में 'एक देश एक चुनाव' की चर्चा शुरु हो गई है। इसे लेकर पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ
कोविंद के नेतृत्व में 2 सितंबर, 2023 को एक कमेटी बनाई गई थी जिसकी रिपोर्ट को अब मंजूरी मिल गई है। केंद्रीय मंत्रिमंडल की मंजूरी के बाद सरकार आगामी शीतकालीन सत्र में प्रस्ताव को सदन में पेश कर सकती
है।
एक देश एक चुनाव कोई अनूठा प्रयोग नहीं है,क्योंकि1952, 1957, 1962, 1967 में ऐसा हो चुका है, जब लोकसभा और राज्यों की विधानसभाओं के चुनाव साथ-साथ करवाए गए थे।
कुछ जानकारों का मानना है कि अब देश की जनसंख्या बहुत ज्यादा बढ़ गई है,लिहाजाएक साथ चुनाव करा पाना संभव नहीं है,
वहीं दूसरी तरफ कुछ विश्लेषक कहते हैं कि अगर देश की जनसंख्या बढ़ी है तो तकनीक और
अन्य संसाधनों का भी विकास हुआ है।
इसलिए एक देश एक चुनाव की संभावना से इंकारनहीं किया जा सकता।