भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने चांद के दक्षिणी ध्रुव पर चंद्रयान-3 को सफलतापूर्वक उतारकर नया कीर्तिमान स्थापित किया है आज (शनिवार) राष्ट्रीय अंतरिक्ष एजेंसी ने आदित्य-एल1 मिशन को लॉन्च किया। इसरो के अनुसार , सूर्य का अध्ययन करके हम अपनी आकाशगंगा के तारों के साथ-साथ कई अन्य आकाशगंगाओं के तारों के बारे में भी बहुत कुछ जान सकते हैं। सूर्य एक अत्यंत गतिशील तारा है। सूर्य पर कई तापीय और चुंबकीय घटनाएं घटती हैं जो प्रचंड प्रकृति की होती हैं। इस प्रकार सूर्य उन घटनाओं को समझने के लिए एक अच्छी प्राकृतिक प्रयोगशाला भी प्रदान करता है
इसरो ने इसे पहला अंतरिक्ष आधारित वेधशाला श्रेणी का भारतीय सौर मिशन कहा है। अंतरिक्ष यान को सूर्य-पृथ्वी प्रणाली के लैग्रेंजियन बिंदु 1 (एल1) के चारों ओर एक प्रभामंडल कक्षा में स्थापित करने की योजना है जो
पृथ्वी से लगभग 15 लाख किमी दूर है। लैग्रेंजियन बिंदु वे हैं जहां दो वस्तुओं के बीच कार्य करने वाले सभी गुरुत्वाकर्षण बल एक-दूसरे को निष्प्रभावी कर देते हैं। इस वजह से एल1 बिंदु का उपयोग अंतरिक्ष यान के उड़ने के लिए किया जा सकता है।
आज आदित्य-एल1 मिशन को श्रीहरिकोटा स्थित इसरो के पीएसएलवी रॉकेट द्वारा सतीश
धवन अंतरिक्ष केंद्र से लॉन्च किया गया। प्रारंभ में अंतरिक्ष यान को पृथ्वी की निचली कक्षा में स्थापित किया जाएगा। इसके बाद कक्षा को अधिक अण्डाकार बनाया जाएगा और प्रणोदन के जरिए अंतरिक्ष यान को L1 बिंदु
की ओर प्रक्षेपित किया जाएगा। बाद में अंतरिक्ष यान को एल1 के चारों ओर एक बड़ी प्रभामंडल कक्षा
में स्थापित किया जाएगा। इसरो के अनुसार लॉन्च से एल1 तक के पूरे सफर में आदित्य-एल1 को लगभग चार महीने लगेंगे।