अनंतसागरमहासमुद्रेमाग्नान्समाभ्युधार्वासुदेव|
अनंत्रुपे विनियोजित आत्म्ह्अनंतरुपयनमोनमस्ते||
भाद्रपद मॉस के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी को अनंत चतुर्दशी माना जाता है |इस दिन भगवन विष्णु की व्रत
पूजा की जाती है|इसमें पूजा के बाद रक्षा हेतु अनंत् सूत्र हाथ में बंधा जाता है |
भगवान् श्री कृष्ण ने युधिष्ठिर को चौसर में गवई अपनी संपत्ति एवं सम्मान की पुनर्प्राप्ति हेतु इस व्रत को करने का मार्गदर्शन दिया था |
कौंडिन्य मुनि ने अपनी पत्नी के हाथ में बांध अनंत सूत्र गुस्सा में तोड़ कर आग में जला दिया था| जिससे मुनि की
संपत्ति नष्ट हो गई तथा उन्हें निरीह स्थिती में जीवन यापन करना पड़ा |अपने कर्म के पश्चताप के लिए उन्होंने अनंत चतुर्दशी व्रत किया जिसके फलस्वरूप मुनि की खोई हुई संपत्ति तथा सम्मान प्राप्त हो सका |
जैन धर्म में अनंत चतुर्दशी पयुर्षण पर्व का
आखरी दिन होने के कारण पवित्र दिन माना जाता है |