रक्षाबंधन
येन बद्धो बली राजा दानवेन्द्रो महाबलः ।
तेन त्वामपि बध्नामि रक्षे मा चल मा चल ।।
(महाबली और दानवीर ऐसे बलि
राजा जिस रक्षासूत्र से बांधे गए उस रक्षा सूत्र से मैं आपको भी बांधती हूँ, हे राखी आप रक्षा करें।)
भविष्यु राण के अनुसार देव और असुरों में जब युद्ध शुरू हुआ, तब असुर देवों पर भारी पड़ने लगे। ऐसे
में देवताओं को हारता देख देवेंद्र इन्द्र घबराकर ऋषि बृहस्पति के पास गए। तब
बृहस्पति के सुझाव पर इन्द्र की पत्नी इंद्राणी ने रेशम का एक धागा मंत्रों की
शक्ति से पवित्र करके अपने पति के हाथ पर बांध दिया।जिसके फलस्वरूप इंद्र विजयी
हुए। कहते हैं कि तब से ही पत्नियां अपने पति की कलाई पर युद्ध में उनकी जीत के
लिए राखी बांधने लगी।
स्कद पुराण, पद्मपुराण और श्रीमद्भागवत पुराण केअनुसार असुरराज दानवीर राजा बली ने देवताओं से युद्ध करके स्वर्ग पर अधिकार करलिया था इसी अहंकार को चूर-चूर करने के लिए भगवान विष्णु ने वामन अवतार लिया और
ब्राह्मण के वेश में राजा बली के द्वार भिक्षा मांगने पहुंच गए।चूंकि राज बली महानदानवीर थे तो उन्होंने वचन दे दिया कि आप जो भी मांगोगे मैं वह दूंगा। भगवान नेबलि से भिक्षा में तीन पग भूमि की मांग ली। बली ने तत्काल हां कर दी, क्योंकि तीन पग ही भूमि तो देना थी।लेकिन तब भगवान वामन ने अपना विशालरूप प्रकट किया और दो पग में सारा आकाश, पाताल और धरती नाप लिया। फिर पूछा किराजन अब बताइये कि तीसरा पग कहां रखूं? तब
विष्णुभक्त राजा बली ने कहा, भगवान आपमेरे सिर पर रख लीजिए और फिर भगवान ने राजा बली को रसातल का राजा बनाकर अजर-अमरहोने का वरदान दे दिया। लेकिन बली ने इस वरदान के साथ ही अपनी भक्ति के बल पर
भगवान से रात-दिन अपने सामने रहने का वचन भी ले लिया।भगवान को वामनावतार के बाद
पुन: लक्ष्मी के पास जाना था लेकिन भगवान ये वचन देकर फंस गए और वे वहीं रसातल मेंबली की सेवा में रहने लगे। उधर, इस बातसे माता लक्ष्मी चिंतित हो गई। ऐसे में नारदजी ने लक्ष्मीजी को एक उपाय बताया। तब
लक्ष्मीजी ने राजा बली को राखी बांध अपना भाई बनाया और अपने पति को अपने साथ ले
आईं। उस दिन श्रावण मास की पूर्णिमा तिथि थी। तभी से यह रक्षा बंधन का त्योहार
प्रचलन में हैं।
सिकंदर की पत्नी ने अपने पति के हिन्दू शत्रु पुरूवास को राखी बाँधकर अपना मुँहबोला भाई बनाया और युद्ध के समय सिकन्दर को न मारने का वचन लिया पुरूवास ने युद्ध के दौरान हाथ में बँधी राखी और अपनी बहन को दिये हुए वचन का
सम्मान करते हुए सिकन्दर को जीवन-दान दिया भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में जन जागरण के लिये भी इस पर्व का सहारा लिया गया। श्री रविंद्र नाथ ने बंग भांग का विरोधकरते समय रक्षाबन्धन त्यौहार को बंगाल निवासियों
के पारस्परिक भाईचारे तथा एकता का प्रतीक बनाकर इस त्यौहार का सहारा लिया
राखी बहन भाई के हाथ में बांधती है। इसकेपीछे भाई की उन्नति हो और भाई बहन का रक्षण करत है। बहन द्वारा भाई को राखी बांधने से अधिक महत्वपूर्ण यह होता कियुवा, युवती से राखी बंधवा लेता
उस कारण युवाओं का युवती के प्रति और स्त्रियों की ओर देखने का दृष्टिकोण बदलता ।बहन
ने भाई के कल्याण के लिए और भाई ने बहन के रक्षा के लिए तथा दोनों को राष्ट्र और धर्म की रक्षा के ईश्वर से प्रार्थना करनी चाहिए।