अच्छाईया और बुराइयां
एक शाम एक मित्र के निवासस्थान पर जाना हुआ। हमारे मित्र की अर्धांगिनी यानि हमारी भाभी जी उनके सुपुत्र को पढा रही थी। हम पहुंचे तो भाभी जी किचेन में चाय बनाने चली गयी और हमारा भतीजा मेरी बगल में आ कर बैठ गया। बच्चे के हाथ में एक कॉपी और पेंसिल थी। कॉपी पर 1 से लेकर 10 तक क्रमांक लिखा हुआ था और पन्ने के श्रीर्ष पर लिखा था
"My bad Habits"
यानि मेरी बुरी आदतें।
मैंने बच्चे से पूछा के कॉपी पर क्या लिख रहा है तो वह मायूस होकर बोला के मम्मी ने मुझे अपनी 10 बुरी आदतें लिखने को कहा है ताकि मैं उन्हें सुधार सकूं। 10 में 3 तीन बुरी आदतें वह लिख चुका था। जैसे कि वह सुबह देर से उठता है। लंच बॉक्स में खाना छोड़ देता है आदि इत्यादि......
मैंने उससे कॉपी ली। इरेज़र से कॉपी पर लिखा सब कुछ मिटा दिया। दो कॉलम बनाये। एक ओर लिखा
"My good habits"
यानि मेरी अच्छी आदतें और दूजी ओर लिखा "My bad Habits " यानि मेरी बुरी आदतें। मैंने बच्चे से कहा के अपनी 10 बुरी आदतें लिखने की बजाय अपनी 5 अच्छी आदतों के बारे में लिखे और 5 बुरी आदतों के बारे में भी लिखे।
लड़का खुश हो गया। पहले झट से अच्छाई वाला कॉलम भर दिया। स्व्च्छता का ध्यान रखने से लेकर अपनी सुंदर लेखनी को उसने अपनी अच्छी आदतों में शुमार कर लिया। फिर झट से अपनी बुरी आदतें भी लिख डाली।
बगल में हमारे मित्र विराजमान थे और इतने में हमारी आदरणीय भाभी जी चाय लेकर आ गयी।
मैंने भाभी जी से पूछा के केवल इसे अपनी बुरी आदतें लिखने का कार्य क्यों दिया गया। भाभी जी ने तपाक से शिकायतों की झड़ी लगा दी।
सुस्त है , कामचोर है , बहानेबाज है, टाइमपास करता रहता है आदि इत्यादि। सोचा के अगर खुद अपनी बुरी आदतें कागज़ पर लिखेगा तो आत्ममंथन करेगा।
मैंने तुरंत ही भाभी जी पर एक और सवाल दाग दिया। मैने कहा के यह तो बुरी आदतें हो गयी .....अब आप मुझे इसकी 10 अच्छी आदतें गिनवा दीजिये।
भाभी जी ने मौन साध लिया .....
मैं अपने मित्र की ओर पलटा। मैंने कहा तू तो लड़के का बाप है....चल तू ही बता लड़के की खासियत क्या है।
हमारे भाई ने भी मौन साध लिया....
फिर दोनों ने कुछ समय मंथन करने के बाद कुछ अच्छी आदतें गिनवाने की प्रक्रिया शुरू की।
जैसे भाभी जी ने बताया के सुबह उठ कर सभी के चरणस्पर्श करता है। हमारा मित्र बोला के साफ सफाई के प्रति जागरूक है। कई बार मुझे भी कचरा फेंकने से टोक चुका है। फिर हमारी भाभी बोली के इसकी मेंटल केलकुलेशन बड़ी तेज़ हैं। इसी तरह बहुत सोच विचार के बाद दोनों ने बच्चे की कई अच्छी आदतें गिनवा दी।
कुल 10 मिनट के अंतराल में मेरा बच्चे के प्रति नज़रिया बदल चुका था। पहले मैं कॉपी पर लिखी उसकी 10 बुराइयां पढ़ कर उसके प्रति एक धारणा बना चुका था परंतु जब मुझे उसकी विशेषताओं के विषय में पता चला तो मेरी धारणा कांच के शीशे की तरह चकनाचूर हो गयी।
अच्छाई और बुराई या हीरो और विलेन का कॉन्सेप्ट अपनी समझ से बाहर है। मैं तो अब तक के जीवन में इतना समझ पाया हूँ के हर इंसान में अच्छाई और बुराई दोनों मौजूद हैं। गुड़ हैबिट्स भी हैं और बैड हैबिट्स भी हैं।