- ये कहानी सत्य घटना पर आधारित है
22 oct.2014 जब मे अपने कम्प्यूटर क्लास मे था.उस दिन क्लास मे एक लडकी का प्रवेश होता है ,उसका कम्प्यूटर क्लास मे पहला दिन था|
दिखने मे बहुत हि मासूम, वो इतनी ज्यदा खूबसूरत नही थी लेकिन देखते ही मै अपना होश खो बेठा. ना जाने क्या जादू थी उसकी आंखो पूरे क्लास मे मै बस उसको ही देखता रहा ,क्लास कब खत्म हुई पता ही नही चला ! मै घर गया और उसकी बारे मे सोचता रहा सोच रहा था कब कल का क्लास का समय हो और उस अजनबी से मिलू !
अगले दिन जब क्लास गया तो निराशा हाथ लगी वो नही आइ थी!
मै सोचता रहा वो क्यू नही आइ कहि उसने क्लास छोड़ तो नही दि !
यही सोचता रहा पढाई मन नही लग रहा था ऐसे हि 4/5 दिन बीत गये !
रविवार के दिन हमारे सर का फोन आया और उनहोने कहा कुछ काम के वजहसे बाहर जाना पड रहा तो सोमवार से शुक्रवार तक मे क्लास चलाउ, मन तो नही कर रहा था लेकिन फ़िर भी हामी भर दि मैने ,
मै आपको बता दू मै वहा का पुराना छात्र था जिसके वजह से नये छात्रो को अक्सर मे पढा दिया करता था.!
सोमवार को जब मै सुबह इंस्टीटट्यूट को चालू किया तो प्रतिदिन की तरह सभी छात्र अपने निर्धारित समय पर आने लगे और क्लास भी प्रतिदिन की तरह ही सुचारू रुप से चल रहा तभी अचानक एक जानी पाह्चानी सि अवाज आई sसर . सर . सर है क्या तभी मै उठकर बाहर की तरफ़ आया और देखा की की एक लडकी अवाज ल्गा रहि थी...
और वो कोई और नही वो वही थी जिसने मेरा चैन छिना था मै उसे क्लास मेआने को कहा और परिचय लिया .
उसकी अवाज भी उसके माशूम चेहरे की तरह मीठी थी मै बस सुनता रहा
कुछ दिन बाद इंस्टीट्यूट के कुछ काम था तो मेने उसका नम्बर लाँग बूक से निकल कर फोन किया
और हमारी बात चित थोडि बहुत होने लगी
फिर हम कब एक दूसरे के करीब आ गाये पता ही नही चला अब तो हमेशा थोडा भी समय मिलने पर फोन पे बात करने लगे .!
और अब हम एक दूसरे के बिना नही रह पा रहे थे शायद प्यार होने वाला था
एक दिन जब वो शाम को करीब 7 बजे मिली तो मैने उसको अपना प्रेम प्रस्ताव रख दिया वो खामोश रही शायद उसकी खामोशी हि उसका जबाब था.
अगले दिन वो उसके दिल से होते हुए मेरे कर्ण (कानो ) तक आ हि गई.......
जारी रहेगा ।...