वृंदा:-हाँ,माँ ने सबकुछ बता दिया था।तब से हम दोंनो परेशान थें।तुम्हें सही राह पर लाने के लिए मार्ग खोज रहे थें।मुझे क्या पता तुम यह सब द्रुपत के लिए कर रहे थें।अब सारी मुश्किले टल चुकी हैं। नहीं दीदी।
विख्यात ने समझ लिया कि अब पोल-पट्टी खुल जायेगी।विख्यात की दृष्टि जम़ीन पर पड़ी ईट पर पड़ी।विख्यात ने ईट उठ़ाई और अम्मा के सिर पर मार दिया।ईट के प्रहार से अम्मा जम़ीन पर धरासाई होकर गिर पड़ी। लड़के ने कहा,
अम्मा:-तू उसके पास जायेगा।वो एकबार भी तेरे पास नहीं आया।द्रोण के रगों में में मेरा ही खून है फिर कैसे खून पानी हो गया।ऐसी औलाद पर लालत हैं।मेरी कोख ही उज़ड जाती। :-अम्मा यह सब तकद़ीर का खेल हैं।इस मनहू
सुनैना ने हाथ पकड़ लिया।का सटिया गये हैं जो अपने बेटे को कसाई के हाथों सोंपने चले हैं।खब़रदार जो तुमने काहु फोन के बारे में बताया,भनक तक न लगने देंना।कुछ दिन बाद सब ठ़ीक हो जायेंगा।सबसे चुन-चुनके बदला