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15 अगस्त

12 अगस्त 2017

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ये है 15 अगस्त , स्वतंत्र हो झूमे ये राष्ट्र समस्त!


ये है उत्सव, शांति की क्रांति का,

है ये विजयोत्सव, विजय की जय-जयकार का,

है ये राष्ट्रोत्सव, राष्ट्र की उद्धार का,

यह 15 अगस्त है राष्ट्रपर्व का।


याद आते है हमें गांधी के विचार,

दुश्मनों को भगत, आजाद, सुभाष की ललकार,

तुच्छ लघुप्रदेश को पटेल की फटकार,

यह 15 अगस्त है राष्ट्रकर्म का।


विरुद्ध उग्रवाद के है यह इक विगुल,

विरुद्ध उपनिवेशवाद के है इक प्रचंड शंखनाद ये,

देश के दुश्मनों के विरुद्ध है हुंकार ये,

यह 15 अगस्त है राष्ट्रगर्व का।


ये उद्घोष है, बंधनो को तोड़ने का,

है यह उद्बोध, देशभक्ति से राष्ट्र को जोड़ने का,

है यह एक बोध, स्वतंत्रता सहेजने का,

यह 15 अगस्त है राष्ट्रधर्म का।


ये है 15 अगस्त, स्वतंत्र हो झूमे ये राष्ट्र समस्त!

पुरूषोत्तम कुमार सिन्हा की अन्य किताबें

आलोक सिन्हा

आलोक सिन्हा

अभी अभी रचना पढ़ी , बहुत अच्छी है . शुभ कामनायें .

16 अगस्त 2017

रेणु

रेणु

जी आदरणीय पुरुषोत्तम जी -- विजय - उत्सव की अनुपम झांकी से सजी आपकी रचना का हर शब्द देश के प्रति श्रद्धा का भाव जगाता है | सचमुच ये दिन हमें गर्व की अनुभूति करवाता है -- आपको भी इस अवसरपर हार्दिक बधाई और शुभ कामना

13 अगस्त 2017

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रचनाएँ
Purushottam
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मेरी कविताओं की दुनियाँ में आपका स्वागत है। यकीन है मुझको ककि आप खुद को यहाँ ढूंढ पाएंगे। एक तलाश, जो कहीं न कहीं आपके अन्दर कस्तूरी की तरह छुपी है, उससे आप रूबररू हो पाएंगे। आइए संग चलते हैं, मेरी कविताओं पर अपनी तलाश के सफर में।
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अनुरोध

10 अगस्त 2017
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मधुर-मधुर इस स्वर में सदा गाते रहना ऐ कोयल...कूउउ-कूउउ करती तेरी मिश्री सी बोली,हवाओं में कंपण भरती जैसे स्वर की टोली,प्रकृति में प्रेमर॔ग घोलती जैसे ये रंगोली,मन में हूक उठाती कूउउ-कूउउ की ये आरोहित बोली!मधुर-मधुर इस स्वर में सदा गाते रहना ऐ कोयल.... सीखा है पंछी ने

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मेरी जन्मभूमि

11 अगस्त 2017
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है ये स्वाभिमान की, जगमगाती सी मेरी जन्मभूमि..स्वतंत्र है अब ये आत्मा, आजाद है मेरा वतन,ना ही कोई जोर है, न बेवशी का कहीं पे चलन,मन में इक आश है,आँखों में बस पलते सपन,भले टाट के हों पैबंद, झूमता है आज मेरा मन।सींचता हूँ मैं जतन से, स्वाभिमान की ये जन्मभूमि..हमने जो बो

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15 अगस्त

12 अगस्त 2017
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ये है 15 अगस्त , स्वतंत्र हो झूमे ये राष्ट्र समस्त!ये है उत्सव, शांति की क्रांति का,है ये विजयोत्सव, विजय की जय-जयकार का,है ये राष्ट्रोत्सव, राष्ट्र की उद्धार का,यह 15 अगस्त है राष्ट्रपर्व का।याद आते है

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स्नेह वृक्ष

3 नवम्बर 2017
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बरस बीते, बीते अनगिनत पल कितने ही तेरे संग, सदियाँ बीती, मौसम बदले........ अनदेखा सा कुछ अनवरत पाया है तुमसे, हाँ ! ... हाँ! वो स्नेह ही है..... बदला नही वो आज भी, बस बदला है स्नेह का रंग। कभी चेहरे की शिकन से झलकता, कभी नैनों की कोर से छलकता, कभी मन की तड़प और सं

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भारतीय क्रिकेटर्स ने जम कर खेली होली, बॉलीवुड में छाया रहा सन्नाटा

8 मार्च 2018
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INDIAN CRICKET TEAM HOLI CELEBRATIONहाल ही में भारतीय क्रिकेट टीम साउथ अफ्रीका दौरे से जीत हासिल कर के भारत लौटी है, इसी बीच कोई सीरीज न होने के कारण हमारे क्रिकेटर्स को अपने परिवार के साथ होली मनाने का मौका मिला। बॉलीवुड में छाया रहा सन्नाटा देखिये पूरी खबर : H

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आज़ादी

16 अगस्त 2018
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देशभक्ति आज़ादी अभी मैं कैसे जश्न मनाऊँ,कहाँ आज़ादी पूरी है, शब्द स्वप्न है बड़ा सुखद, सच में जीना मजबूरी है। आज़ादी यह बेशकीमती, भेंट किया हमें वीरों ने, सत्तावन से सैंतालीस तक ,शीश लिया शमशीरों ने। साल बहत्तर उमर हो रही,अभी भी चलना सीख रहा, दृष्टिभ्रम विकास नाम का,छल जन-मन को दीख रहा। जाति,धर्म

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माँ , बेटा और प्रश्न

12 मई 2019
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माँ से फिर पूछता नन्हा "क्या हुआ फिर उसके बाद?""निरुत्तर माता, कुछ पल को चुप होती,मुस्कुराकुर फिर, नन्हे को गोद में भर लेती,चूमती, सहलाती, बातों से बहलाती,माँ से फिर पूछता नन्हा "क्या हुआ फिर उसके बाद? माँ, विह्वल सी हो उठती जज्बातों से,माँ का मन, कहाँ ऊबता नन्हे की बातों से?हँसती, फिर गढ़ती इक नई

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निःस्तब्धता

2 जुलाई 2019
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टूटी है वो निस्तब्धता,निर्लिप्त जहाँ, सदियों ये मन था!खामोश शिलाओं की, टूट चुकी है निन्द्रा,डोल उठे हैं वो, कुछ बोल चुके हैं वो,जिस पर्वत पर थे, उसको तोल चुके हैं वो,निःस्तब्ध पड़े थे, वहाँ वो वर्षों खड़े थे, शिखर पर उनकी, मोतियों से जड़े थे, उनमें ही निर्लिप्त, स्वयं में संतृप्त, प्यास जगी थी, या

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