हिंदी के प्रथम काव्य संग्रह को आप सभी सुधि पाठकों के मध्य रखते हुए आग्रह करना चाहूंगा कि काश! हमारे इस प्रयास में हमारे हमसफर हो सकें-
चलो तह को जी लें फज़ीहत से पहले।
शव-ए-ग़म तो पी लें नसीहत से पहले।।
वो शहर-ए-चरागाँ ..वो जोश-ए-तमन्ना।
कई जांनशीं थे ......तेरे ख़त से पहले।।
@ नवाब आतिश।