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☀️☀️रश्मि संचय_1☀️☀️

22 दिसम्बर 2021

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क्या कभी महसूस किया है, तुमने?
सबकुछ में कुछ कम होना या फिर, 
कम में सबकुछ होने का 
नितांत अप्रत्याशित एहसास,
जिसका ताल्लुक, यकीनन 
तुम्हारे होने या न होने से,
बिल्कुल भी नहीं है।
क्या कभी महसूस किया है तुमने?
धूप के तिनकों पर पड़ती, 
बारिश की बूंदों के अंतर को- 
सोखती असहनीय जलन को? 
जिनके गृह त्याग का उद्देश्य, 
ये बिल्कुल भी न था, 
पर ये क्या? आखिर क्यों?
मोती बनने की महत्वाकांक्षा ने, 
न सिर्फ दम तोड़ दिया, अपितु, 
बूंद के अस्तित्व को ही........?
क्या सोचते हैं? क्या ऐसा होना, 
उनके होने या ना होने से
प्रभावित हो पाता? शायद.....?
परंतु इस होने में, यकीनन, 
उनका कोई हाथ नहीं था। 
फिर भी उन्हें दोषी माना गया, 
धूप के मासूम तिनकों के कत्ल का।
जबकि सब जानते हैं, क्या सच?
वही तिनके यदि जवान हुए होते, 
वास्पित कर सकते थे जीवन बीज-सागर,
जला सकते थे नवजात पल्लव-गात को, 
झुलसा सकते थे किसी तरुणी लता पर, 
पल्लवित नवांकुर के नवजनित पात को, 
आखिर क्यों संचित किया जाता है, 
ऐसे घातक तिनकों को, तुम्हारे होते हुए? 
अब यह मत कहना कि इसमें तुम्हारा
कोई हाथ नहीं है, यकीनन हाथ हो ना हो, 
साथ तो है न, सोचिएगा?
@ नवाब आतिश।....01/11
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रचनाएँ
💐वेदनाओं की वीथिका💐
5.0
हिंदी के प्रथम काव्य संग्रह को आप सभी सुधि पाठकों के मध्य रखते हुए आग्रह करना चाहूंगा कि काश! हमारे इस प्रयास में हमारे हमसफर हो सकें- चलो तह को जी लें फज़ीहत से पहले। शव-ए-ग़म तो पी लें नसीहत से पहले।। वो शहर-ए-चरागाँ ..वो जोश-ए-तमन्ना। कई जांनशीं थे ......तेरे ख़त से पहले।। @ नवाब आतिश।
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पनघट का घट

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<div><span style="font-size: 16px;">मै पनघट का घट हूँ प्यारे,</span></div><div><span style="font-siz

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काश!!

19 दिसम्बर 2021
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<div>प्रेम घट गर .....छीन पाता <br></div><div><span style="font-size: 16px;">नफरतों के ........

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आहट!!

19 दिसम्बर 2021
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<div><span style="font-size: 16px;"># दर्द की छांव में......02</span></div><div><span style="font-si

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☀️☀️रश्मि संचय_1☀️☀️

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<div>क्या कभी महसूस किया है, तुमने?<br></div><div><span style="font-size: 16px;">सबकुछ में कुछ कम हो

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☀️☀️रश्मि संचय- 02☀️☀️

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<div>क्या कभी महसूस किया है तुमने?<br></div><div><span style="font-size: 16px;">उत्पत्ति कारक के होन

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☀️☀️रश्मि संचय-03☀️☀️

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अंधभक्त

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हम देख रहे हैं........होने तक,

27 अक्टूबर 2022
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हम देख रहे हैं........होने तक,इस बिंदु से अंतिम कोने तक।।हम देख रहे हैं भाई की.........भाई से बगावत होने तक,ग़म पर हंसते चश्मों के तले आँसू की लगावट होने तक।हम देख रहे हैं उसको भी...परदे से उतर कर

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@ मैं सच्चा हूं ये मैंने कब कहा था, तुम ऐसा सोचते हो...... ये गलत है।मैं तो बस झूठ में.... जिंदा हूं शायद,यकीनन मैं नहीं हूं ....जाने कब का।वो पहला दिन जो... मैंने झूठ बोला,मैं उस दिन ज़िन्

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भाई, सांवरे, .......मैं तोरी वावरिया,कैसा, नाच नचाए,..तोरी बांसुरिया। भई...मैं तोकू ध्याऊं, तोपे वारी वारी जाऊं,सपनों में देखूं तोकू ,...गरवा लगाऊं,श्याम सलोने, .........राधा के सोहने,आओ ना कान्हा....

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🎂प्रश्न बड़ा है मस्त दोस्तो.....🎂

8 जनवरी 2022
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प्रश्न बड़ा है मस्त दोस्तो......पर है बड़ा कसैला,रायता कैसे फैला?..........कहो ना कैसे फैला?रायता कैसे फैला? .................................सवल इंडिया के अनुयाई.......वायुयान से लाए,घर में बुला बुला

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