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☀️☀️रश्मि संचय-03☀️☀️

22 दिसम्बर 2021

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क्या कभी महसूस किया है तुमने?
फर्ज के पल्लवित होते खेत की 
ओट में, कर्ज के दलदल से उठती 
असहनीय दुर्गंध को? क्या कभी....?
साहूकार के नमस्कार में छिपा तकाज़ा,
या फिर, उसकी आंखों से रिसता 
तिरस्कार, जो चिंता की चिता में 
मृत्यु पूर्व जलने का असहनीय 
अहसास ही नहीं कराता, बल्कि 
निम्नता का आत्मबोध बनकर अन्तर 
को छलनी कर जाता है? क्या कभी...?
आत्मदाह के बाद की पीड़ा को,
जो दोस्त से मदद की गुहार पर, 
उसके द्वारा संगिनी की उपस्थिति की 
दरकार के सापेक्ष प्राप्त, भौतिक 
मृत्यु से जनित होती है, क्या कभी....?
स्वप्नविष के मद में बुदबुदाते, उस 
युवा ह्रदय को हर पल, मृत्यु के पथ 
पर आगे ले जाती, सहवर्ती टीस को, 
जो सर्वथः स्फूटित होती है, अपने ही 
जैसों के अनगिनत स्वप्नशवों पर सवार, 
कैश को ऐश पर पानी सरीखे बहाते, 
पूर्वजों की मिल्कियत अथवा कलयुगी 
सत्कर्मों से प्राप्त संपदा पर इतराए, 
अकर्मण्य से सहवर्ती की अनचाही सीख 
से 'भाई खर्च कम करो' क्या कभी....?
उस सदैव कर्मरत रहने वाले वर्तमान
के, लगभग अचेत हो चले मस्तिष्क में 
उठते सन्नाटे को, जो उसे तय नहीं करने 
देता कि कैसे रोके...क्या कम करे?
बेटे को पढ़ने से, बेटी को बढ़ने से,
साहूकार से लिए रुपए से कई गुना 
देने के बाबजूद, दोगुने बकाए को, 
स्वम की ढलती उम्र को, तिरस्कार से
उठती नजरों को, दैनिक तानो को, 
खुद ही की नजरों में गिरते खुद के 
मूल्य को, कैसे? क्या कम करे.......?
वो कैसे और किसको बताए?....कर्ज़ 
उसका शौक नहीं है, उसकी महत्वाकांक्षा
और मजबूरी का प्रतिफल है, ऐसा जल 
विहीन मीन का मृत्यु वरण, क्या कभी....? 
@ नवाब आतिश। 03/11
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रचनाएँ
💐वेदनाओं की वीथिका💐
5.0
हिंदी के प्रथम काव्य संग्रह को आप सभी सुधि पाठकों के मध्य रखते हुए आग्रह करना चाहूंगा कि काश! हमारे इस प्रयास में हमारे हमसफर हो सकें- चलो तह को जी लें फज़ीहत से पहले। शव-ए-ग़म तो पी लें नसीहत से पहले।। वो शहर-ए-चरागाँ ..वो जोश-ए-तमन्ना। कई जांनशीं थे ......तेरे ख़त से पहले।। @ नवाब आतिश।
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पनघट का घट

18 दिसम्बर 2021
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<div><span style="font-size: 16px;">मै पनघट का घट हूँ प्यारे,</span></div><div><span style="font-siz

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काश!!

19 दिसम्बर 2021
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<div>प्रेम घट गर .....छीन पाता <br></div><div><span style="font-size: 16px;">नफरतों के ........

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आहट!!

19 दिसम्बर 2021
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<div><span style="font-size: 16px;"># दर्द की छांव में......02</span></div><div><span style="font-si

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☀️☀️रश्मि संचय_1☀️☀️

22 दिसम्बर 2021
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<div>क्या कभी महसूस किया है, तुमने?<br></div><div><span style="font-size: 16px;">सबकुछ में कुछ कम हो

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☀️☀️रश्मि संचय- 02☀️☀️

22 दिसम्बर 2021
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<div>क्या कभी महसूस किया है तुमने?<br></div><div><span style="font-size: 16px;">उत्पत्ति कारक के होन

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☀️☀️रश्मि संचय-03☀️☀️

22 दिसम्बर 2021
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<div>क्या कभी महसूस किया है तुमने?<br></div><div><span style="font-size: 16px;">फर्ज के पल्लवित होते

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अंधभक्त

28 दिसम्बर 2021
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<div>यूं ही अंध-भक्त कब बनते, <br></div><div><span style="font-size: 16px;">इन्हें बनाया.......

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हम देख रहे हैं........होने तक,

27 अक्टूबर 2022
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हम देख रहे हैं........होने तक,इस बिंदु से अंतिम कोने तक।।हम देख रहे हैं भाई की.........भाई से बगावत होने तक,ग़म पर हंसते चश्मों के तले आँसू की लगावट होने तक।हम देख रहे हैं उसको भी...परदे से उतर कर

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🎂ये मैने कब कहा था?..1/2🎂

8 जनवरी 2022
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@ मैं शायर हूं ये मैंने कब कहा था, तुम ऐसा सोचते हो ....ये गलत है।मुझे मालूम है ......जब तुम पढ़ोगे,मेरी तुकबंदियों को ....तब कहोगे।न ये कविता है .......न ये शायरी है,हमारे दर्द की........ बस डाय

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🎂ये मैन कब कहा था?..2/2🎂

8 जनवरी 2022
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@ मैं सच्चा हूं ये मैंने कब कहा था, तुम ऐसा सोचते हो...... ये गलत है।मैं तो बस झूठ में.... जिंदा हूं शायद,यकीनन मैं नहीं हूं ....जाने कब का।वो पहला दिन जो... मैंने झूठ बोला,मैं उस दिन ज़िन्

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🎂एक गीत मीरा के नाम...🎂

8 जनवरी 2022
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भाई, सांवरे, .......मैं तोरी वावरिया,कैसा, नाच नचाए,..तोरी बांसुरिया। भई...मैं तोकू ध्याऊं, तोपे वारी वारी जाऊं,सपनों में देखूं तोकू ,...गरवा लगाऊं,श्याम सलोने, .........राधा के सोहने,आओ ना कान्हा....

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🎂प्रश्न बड़ा है मस्त दोस्तो.....🎂

8 जनवरी 2022
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प्रश्न बड़ा है मस्त दोस्तो......पर है बड़ा कसैला,रायता कैसे फैला?..........कहो ना कैसे फैला?रायता कैसे फैला? .................................सवल इंडिया के अनुयाई.......वायुयान से लाए,घर में बुला बुला

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