मीरा घर से बाहर आती है , तो सामने किसी को देखकर उसके चेहरे पर एक बड़ी सी इस्माइल आ जाती है। " सामने एक लड़की अपनी स्कूटी लेकर खडी मुस्कुरा रही थी " . . . ।
" जान " यह कहकर मीरा दौड़कर उसके गले जा लगती है । ( ये लड़की जानवी है मीरा की बचपन की दोस्त या यूं कहे उसके लिए सगी बहन से भी बढ़कर । )
" अरे बस कर पगली , इस जान की जान लेगी क्या . . . . ? " जानवी शरारती अंदाज में कहती हैं ।
" मेरी जान है , जो मर्जी वो करू " , , , , , , , ये कहकर मीरा मुस्कुरा देती है।
" अच्छा बाबा , ठीक है . . . . ! चल कहीं पहले ही दिन लेट न हो जाए । " , , , , , , यह कहकर जानवी स्कूटी स्टार्ट करती है , और मीरा उसके पीछे आकर बैठ जाती है ।
दोनों जा ही रहे थे कि , तभी मीरा को कुछ दिखा और उसने जानवी को रुकने का इशारा किया।
" अरे अब क्या हुआ . . . . ! " जानवी ने स्कूटी रोककर पूछा , तो मीरा ने उसे सामने की ओर इशारे से कुछ दिखाने का प्रयास किया ।
" अरे वो देख सड़क पर इतना बड़ा गड्ढा " . . . . . !
जानवी झुंझला कर उसे देखते हुए बोली , , , , , , " तूने ये दिखाने के लिए मुझे रोका है " ।
" अरे नहीं मेरी जान , तू मेरी बात समझी नहीं "' , , , , ,।
" तो तू ही समझा दे " . . . . . !
" देख जान ये सड़क कच्ची है , और यहां से ज्यादा गाडियां भी नहीं आती जाती । ऊपर से बीच में ये गड्ढा । अगर खाली सड़क देख कोई गाड़ी तेज रफ्तार में आती है , तो किसी दुर्घटना होने की संभावना ज्यादा है , और दूर से आती गाड़ियों को यह गड्ढा आसानी से भी नहीं दिखेगा । " मीरा ने कहा ।
" बात तो तेरी सही है , मगर इसमें हम क्या कर सकते हैं . . . . ? जानवी ने पूछा !
मीरा ने कुछ सोचते हुए कहा " , , , , , हमें यहां कुछ ऐसा लगा देना चाहिए , जिससे दूर से आती गाड़ियों को पता चल जाए की आगे खतरा है , और वो पहले ही संभल जाएं । "
" वाह . . . . ! मेरी समाज सेवी अब वो कैसे करेगी तू " . . . ?
" तू बस देखती जा . . . .! " यह कहकर मीरा ने आस पास देखा , तो सड़क किनारे पड़ा एक डंडा उसे दिखाई दिया । मीरा ने उस डंडे को उठाकर गड्ढे के पास मिट्टी में जमा दिया । मीरा ने एक बार और इधर उधर देखा , जब उसे कुछ नहीं मिला , तो उसने अपना लाल रंग का दुपट्टा निकाला , और उस लकड़ी के सिरे में बांधने लगी । "
जानवी ने ये देख उसका हाथ पकड़कर रोकते हुए कहा " , , , , , , , ये क्या कर रही है मीरा , ये तो तेरा पसंदीदा दुपट्टा है न , और तू यहां इसे ऐसे " . . . . .
मीरा ने उसकी बात काटते हुए कहा " , , , , , , ये दुपट्टा किसी की जान से ज्यादा कीमती तो नहीं है न " ।
हवा का रुख काफी तेज था । जिससे मीरा को उसे बांधने में दिक्कत आ रही थी । अचानक वह दुपट्टा हवा के झोंके के साथ कहीं दूर उड़ गया , और अचानक ही किसी चीज के टकराने की तेज आवाज आई ।
जानवी और मीरा ने जब पीछे देखा , तो दोनों के होश उड़ गए । दरअसल वो दुपट्टा तेज़ हवा की वजह से , सामने से आ रही गाड़ी की बोनट पर जा गिरा । जिससे गाड़ी चलाने वाले का बैलेंस बिगड़ा , और वह गाड़ी सड़क किनारे एक पेड़ से जा टकराई । उसके आगे वाले हिस्से से धुआ भी निकल रहा था ।
तभी गाड़ी का दरवाजा खुलने की आवाज आई। जिसे सुनकर मीरा पीछे की ओर पलटी और दोनों हाथों से अपने चेहरे को ढक लिया । जानवी तो वह हादसा देखकर स्खतं खड़ी रही ।
गाड़ी से एक नौजवान बाहर आया । उम्र करीब 24 या 25 साल होगी । वाइट शर्ट , ब्लैक जींस , और ऊपर से लेदर का जैकेट । दिखने में काफी सुंदर और किसी अच्छे खानदान का लग रहा था ।
वो बाहर आया और अपने आंखों से गॉगल्स निकालकर उसने एक नजर अपनी कार पर डाली , और फिर अपने आप से कहा " , , , , , क्या ग्रैंड वेलकम हुआ है अध्दविक राय चौधरी " . . . . ! ( जी हां यही इस कहानी के नायक । अब इनकी तारिफ मैं क्या करूं आप खुद ही मीरा के मूंह से सुन लीजिएगा । ) उसकी आंखों में गुस्सा साफ दिखाई दे रहा था और वह लाजमी भी था ।
जानवी ने जब पीछे से मीरा के कंधे पर हाथ रखा , तो न उसने कोई जवाब दिया , और न ही अपने चेहरे से हाथ हटाया । बड़ी मुश्किल से जानवी के मुंह से कुछ शब्द निकले " . . . . अब क्या होगा मीरा . . . . ?
मीरा ने मन ही मन कहा " दुर्गा मां ! आज कहां फंसा दिया । अब आप ही कुछ कर सकती है ।
प्लीज हेल्प मी प्लीज . . . प्लीज . . . प्लीज . . .
अध्दविक ने अपने हाथ में दुपट्टा लेकर धीरे से कहा " , , , , , आखिर किसका है ये " . . . . तभी उसे पीछे से आवाज आई ! . . . . " ये दुपट्टा हमारी दोस्त का है " । इससे आगे जानवी कुछ कहती , अध्दविक ने उसकी बात बीच में ही काटते हुए कहा " , , , , अपनी दोस्त से कहो खुद आकर ले जाए । "
जानवी मन मार कर मीरा के पास जाती है । . . . . " अब तो तुझे ही जाना होगा यार , बड़ा अकडु है " ।
मीरा खुद को हिम्मत देते हुए मन में कहती हैं . . . . . " तू डर मत मीरा , तूने कुछ गलत थोड़ी न किया है । जाके जो सच है बता दें , और बात खत्म कर । "
मीरा अब भी बहुत ज्यादा डर रही थी । मगर वो उन भावों को अपने चेहरे पर न लाकर , हिम्मत कर आगे बढ़ गई ।
मीरा कुछ बोलने को हुई , उससे पहले ही अध्दविक ने बोलना शुरू किया " , , , , , , " तो ये तुम्हारा है. . . . ! तुम लड़कियों से एक दुपट्टा तक नहीं संभलता । पता नहीं तुम लोग इतनी केयरलेस कैसे होती हों ? तुम्हारी वजह से मेरी गाड़ी का क्या हाल हो गया है । मेरी जान जाते - जाते बची है । वरना तुम्हारे प्लान के हिसाब से तो इस वक्त में यमराज के साथ डील फाइनल कर रहा होता । " अदध्विक कह ही रहा था कि तभी मीरा उसकी बात बीच में काटते हुए बोली " कितना बोलते हैं आप , थकते नहीं । मीरा ने आगे कहा " . . . . बिना हमारी बात सुने हम पर झूठा इल्जाम लगा दिया । जब हम आपको जानते नही तो आपकी जान लेने का ख्याल अपने दिल में कैसे लाएंगे ? "
" एक तो गलती करती हो ऊपर से माफी मांगने की बजाय सफ़ाई पेश कर रही हो " , , , , , , , अध्दविक ने कहा ।
मीरा ने उसे सारी बात बताने के बाद कहा " , , , , , मेरी गलती न होने के बावजूद भी मैं माफी मांगने आई थी । मगर आपकी बातों से लगता है की , आप उसके लायक नहीं है । "
Oh . . . God . . . .
" मुझे तुम जैसी झूठी लड़कियों पर , बिल्कुल भी विश्वास नहीं । अब भी मेरे सामने कहानियां बना रही हो । आगे से यहीं दुआ करना की तुम्हारी मुलाकात मुझसे दोबारा कभी न हो । मुझे तुम्हारी शक्ल भी नहीं देखनी । " , , , , , , अध्दविक ने गुस्से से दांत पीसते हुए कहा ।
उसकी बातों से मीरा को गुस्सा आना लाजमी था । उसने गुस्से से उसकी तरफ देखते हुए कहा " मुझे भी कोई शोख नहीं है , आपकी शक्ल देखने का । " , , , , , , यह कहकर मीरा उसके हाथ से दुपट्टा छीनकर वापस मुड़ गई । अपना काम ख़त्म कर मीरा जानवी के साथ निकल वहां से निकल गई ।
अध्दविक की गुस्से भरी नज़रे अब भी जाती हुई मीरा को घूर रही थी , कि तभी कार से किसी की हंसने की आवाज़ें आई , जिससे अध्दविक का ध्यान टूटा । अध्दविक कार में आकर ड्राइविंग सीट पर बैठते हुए कहता है " , , , , , बहुत हंसी आ रही है न तुझे । " साले तुझे जैसा दोस्त हो तो दुश्मन की क्या जरूरत " . . . . . !
जय ने मुश्किल से अपनी हंसी रोक कर अध्दविक से कहा " , , , , , , भई मानना पड़ेगा । लड़की थी तो बड़ी कमाल की । खूबसूरती के साथ साथ हिम्मत वाली भी । अब तक की जिंदगी में मेंने पहली बार ऐसा देखा है । जहां एक तरफ लड़कियां तुझसे बात करने के लिए तेरे पीछे पड़ी रहती है , वहीं दूसरी तरफ ये लड़की तुझे . . . . यानी अध्दविक राय चौधरी को सुनाकर चली गई । "
अध्दविक ने झुंझलाकर कहा , , , , , , " पहले तो वो मेरा दिमाग खराब कर गयी , और अब तू मेरा मजाक उड़ा रहा है । "
" अच्छा चल देर हो रही है " । जय ने कहा तो अध्दविक ने गाड़ी स्टार्ट की ।
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आज उनसे कुछ यूं मुलाकात हुई ,
ज्यादा ना सही आंखों में ही बात हुई ,
राहों में उनका यूं अचानक सामने आना ,
मानो दिल की कोई पूरी , जैसे इबादत हुई । ।
अब इनकी ये मुलाकात क्या रंग लाएगी ये जानने के लिए आपको अगला एपिसोड पढना पड़ेगा तब तक के लिए पढ़ते रहिए मेरी नोवल . . . . .
मीरा कलंक या प्रेम
( अंजलि झा )
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