सब बातें करके अपने रूम में चले गए । जय भी अपने रूम की तरफ जाने लगा , तो उसे कुछ याद आया , और वह अध्दविक के कमरे की ओर चल दिया । वो जेसे ही कमरे में पहुंचा , , , , , किसी ने उसके पेट पर जोर से लात मारी और वो दर्द से लड़खड़ाते हुए सीधा बेड पर जा गिरा ।
" ये क्या कर रहा है तू , पागल हो गया है , " , , , जय ने दर्द से करहाते हुए कहा ।
अदध्विक ने अपनी आस्तीन ऊपर चढाते हुए कहा , , , , ," मन तो कर रहा है , तेरा सर फोड़ दूं । क्या जरूरत थी घरवालों को बताने की । एक तो सुबह से ही उस लड़की ने मेरा दिमाग खराब कर रखा है , और तूने भी मुझे परेशान करने में कोई कसर नहीं छोड़ी । " , , , , , , उसने मन ही मन ख़ुद से कहा i wish की वो लड़की मुझे दोबारा न मिले । "
" अच्छा यार सॉरी . . . . . माफ कर दे , अब कभी उसका नाम नहीं लूंगा । अब खुश " , , , , , , जय ने दोनों कान पकड़ते हुए कहा । " वैसे मुझे उसका नाम नहीं पता । " जय अपने मन में सोचते हुए बोला ।
" चल माफ किया , तू भी क्या याद रखेगा ! " , , , , अध्दविक ने मुस्कुराते हुए कहा । दोनों ने कुछ देर बिजनेस की बातें की , फिर जय अपने कमरे में चला गया ।
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मीरा का कालेज
मीरा और जानवी जब कॉलेज पहुंचे , तब जानवी ने मीरा का उदास चेहरा देखते हुए कहा " , , , , , क्या बात है मीरा , " क्या सोच रही है । "
" कुछ नहीं आज सुबह - सुबह जो कुछ हुआ , बस उसी के बारे में सोच रही हूं । कितना बददिमाग इंसान था । एक नंबर का खड़ूस और अकडू टाइप का । उसे तो इंसान कहना भी गुनाह होगा । " , , , , , ये कहते वक्त मीरा काफी गुस्से में नज़र आ रही थी ।
फिर मीरा ने थोड़ा उदास होते हुए आगे कहा , , , , , , , " मैं तो ये सोच रही हूं कि , आज के दिन की शुरुआत ही एसी हुई , तो पता नहीं पूरा दिन कैसा जाएगा ? "
" अगर तू ऐसे ही फालतू सोचती रहेगी ना , तो जरूर कुछ बुरा होगा । Forgot यार , कौन सा तुझे उससे अब दोबारा मिलना है । " , , ,',' , , , जानवी ने समझाते हुए कहां ।
मीरा ने उसकी बात पर हां में सिर हिलाया । उसने मन ही मन सोचते हुए खुद से कहा , , , , , " ऐसा ही करना दुर्गा मां ! की हम उस अकडू इंसान से दोबारा न मिले । "
" चले मीरा ! "
मीरा ने हां में सिर हिलाया और अंदर चले आए । दोनों आगे बढ़ ही रहे थे , कि तभी मीरा को कुछ आवाजें सुनाई दी , जिससे उसके कदम एकाएक ही रूक गए । उसने पीछे मुडकर देखा , तो कुछ लड़कों का एक ग्रुप सीढ़ियों पर बैठा था । उनके आगे दो लड़के और खड़े थे , जो काफी मायूस नज़र आ रहे थे । "
तभी उस गु्प में से एक लड़का कहता है , , , , , " सोच क्या रहे हो , जो बोला है वो करो । " गुरु इस बार कैसा बैच आया है , इन्हें समझाते - समझाते तो हमारी हालत ही ख़राब हो जाएगी । "
तभी दूसरा लड़का तपाक से बोला , , , , , " अरे बेटा सोच क्या रहे हो , अभी तो सिर्फ किसी लड़की को ' आइ लव यू ' बोलने को बोला है , किस थोड़ी न करना है , जो तुम इतना शर्मा रहे हो । " , , , , , उसके इतना बोलते ही सब लोग हंसने लगें । उनके सामने खड़े दोनों लड़के गिडगिडाकर खुद को छोड़ने की रिक्वेस्ट कर रहे थे ।
उधर जब जानवी ने मीरा को अपने पीछे नहीं पाया , तो वो उसे ढुढते हुए उसके पास जा पहुंची ।
" क्या बात है मीरा तू रुक क्यों गई " , , , , , ये कहते हुए जानवी ने उस ओर नजरें दौड़ाई जिधर मीरा देख रही थी । जानवी ने कहा , . . . . " लगता है सीनियरस जूनियर्स की रैंगिग कर रहे है ! "
" मगर ये तो ग़लत है न जान , रैगिंग करना तो क्राइम है । " मीरा ने कहा ।
जानवी मीरा की ओर देखकर बोली " देख मीरा , हमें न इन सब में नहीं पड़ना चाहिए । अपने समाज सेवी वाले दिमाग को कुछ देर शांत रख । इसकी वजह से सुबह ही एक हादसा हुआ । इससे पहले की कुछ और हो तू चल यहा से " , , , , , जानवी ने चिंता के भाव से कहा ।
उधर उस गु्प के एक लड़के की नजर मीरा और जानवी पर गई , उसने एक अजीब सी हंसी के साथ कहा । " , , , , , लगता है नई आई है " , , , , उसने अपने सामने खड़े लड़के से कहा , , , , , चलो बेटा अब ज्यादा नखरे नहीं , वो जो सामने लाल घाघरे वाली लड़की दिख रही है न , बस उससे जाके आई लव यू कह दो ! "
पहले तो उस लड़के ने इंकार किया लेकिन सीनियर्स के फोर्स करने पर वो लड़का डरते हुए मीरा के पास जाता है , और वही करता है जो उसे करने को कहा जाता है !
" मुझे माफ़ कर दीजिएगा , मैं ये सब नहीं करना चाह रहा था । I am Sorry "
उस लड़के ने सर झुका कर मीरा से कहा ।
मीरा ने उसे कुछ नहीं कहा , और जानवी उसका हाथ पकड़ कर क्लास रूम में ले गई ।
मीरा के कुछ रिएक्ट न करने पर सभी शाक्ड थे । सिर्फ एक को छोड़कर । उसकी नजर तो अब भी जाती हुई मीरा पर ही थी , और वो था करण । करण उसे देखते हुए अपने मन में बोला . . . . .
तुझे पलकों पर बिठाने को जी चाहता है . . . . !
तेरी बाहों से लिपटने को जी चाहता है . . . . !
खूबसूरती की इंतेहा है तू . . . . !
तुझे ज़िन्दगी में बसाने को जी चाहता है . . . . !
करण कालेज के स्टूडेंट एसोसिएशन का हेड हैं और एक अमीर बाप की बिगड़ी औलाद । अक्सर उसका गू्प दूसरे स्टूडेंट्स को यूं ही परेशान करता था । मगर किसी में भी उसके खिलाफ कंप्लेंट करने की हिम्मत नहीं थी , क्योंकि वो एक विधायक का बेटा था । "
मीरा और जानवी जब क्लास खत्म होने के बाद बाहर आए , तभी उन्हें पीछे से किसी ने आवाज दी
जरा . . . . . . रूकिए . . . . .
उन्होंने देखा एक लड़की जिसने ब्लू जींस और रेड टॉप पहना हुआ हुआ है , आंखों में नज़र का चश्मा लगाए , हाथों में किताबें लिए , उन्ही की ओर आ रही थी ।
" ये आपकी किताब क्लास में ही रह गई थी , तो मैं आपको देने आ गई " वैसे मेरा नाम प्रिया है ! , , , , उसने अपना हाथ बढ़ाते हुए कहा । मीरा ने हाथ मिलाते हुए कहा " मेरा नाम मीरा और ये मेरी दोस्त जानवी है । "
" मैं यहां नई हूं , और किसी को भी नहीं जानती , तो क्या मैं आपके ग्रुप में शामिल हो सकती हू , , , , , प्रिया ने बच्चों सा मूंह बनाते हुए कहा ।
" हमें खुशी होगी अगर तुम हमारी दोस्त बनोगी तो " , , , , , मीरा ने मुस्कुराते हुए कहा ।
" अगर तुम लोगों का हो गया हो , तो कैंटीन चले मुझे बहुत भूख लगी है । अगर थोड़ी और देर की , तो जो चूहे मेरे पेट में उछल - कूद कर रहे हैं न , कहीं वो आत्महत्या न कर ले " , , , , , जानवी के ऐसा कहने पर प्रिया और मीरा दोनों हंस दिए ।
" आज की ट्रीट मेरी तरफ से हमारी दोस्ती के नाम " प्रिया ने कहा तो जानवी ने बेसब्र होते हुए कहा ' तो फिर देर किस बात की चलो . . . . .
तीनों ही कैंटिन की ओर निकल गए ।
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क्या करण की नजरों से मीरा बच पाएगी ? क्या वो उसके लिए नई मुश्किलें खडी करने वाला है ? कहानी समझने के लिए पिछला पाठ ज़रूर पढ़ें ।
मीरा कलंक या प्रेम
( अंजलि झा )
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