अध्दविक और जय हवेली पहुंचते हैं । अध्दविक की गाड़ी राय चौधरी मेंशन के आगे आकर रुकती है । बड़े ही खूबसूरत तरीके से पूरी हवेली को सजाया गया था । बडे़ ही धूमधाम से स्वागत की तैयारियां की गई थी , और हो भी क्यों न , पूरे 15 सालों बाद जो उनका राजकुमार घर लोटकर आ रहा था ।
विरेन राय चौधरी , अध्दविक के दादाजी हैं । कलकत्ता के सबसे मशहूर व्यक्ति और पावरफुल बिजनेस मैन । इनका घराना कलकत्ता के सबसे ऊंचे घरानों में से एक है । अध्दविक सबसे पहले अपने दादाजी के पैर छूता है ।
" अरे गले लग मेरे शेर " , , , , , यह कहकर दादाजी अध्दविक को गले लगा लेते हैं ।
सविता राय चौधरी , अध्दविक की दादी जिनकी बात अध्दविक कभी नहीं टालता । अध्दविक उनके पांव छूता है , तो वो उन्हें अपने सीने से लगा लेती है ।
अध्दविक फिर अपने मां के पांव छूता है । सुगंधा राय चौधरी , जो बहुत ही नेक दिल वाली औरत है , और बहुत भावुक भी ।
" मां ,अब में आ गया हूं न , तो फिर ये आंसू क्यों । ये कहकर अध्दविक उनके चेहरे से आंसू पोंछ देता है ।
" ये तो खुशी के आंसू हैं बेटा . . . . ! "
" जो भी हो लेकिन मुझे ये आपकी आंखों में नहीं पसंद . . . . ! "
" यही तो में भी मां से कहता हूं , मगर वो तो मेरी बात सुनती ही नहीं । "
अध्दविक ने आवाज की ओर नजर दौड़ाई , तो देखा भैया - भाभी खडे ़़़़़़ थे । ये है अध्दविक के बड़े भाई अनिकेत राय चौधरी , और उनकी पत्नी काव्या राय चौधरी । अध्दविक ने दोनों को प्रणाम किया ।
" अरे देवरजी आप अकेले ही आए । हमें तो लगा था , आप हमारे लिए देवरानी लेकर लौटोगे " , , , , , काव्या ने अध्दविक की ' टांग खींचते हुए कहा ' । अध्दविक उनकी बात पर मुस्कुरा दिया ।
" भाई . . . . नायरा दौड़कर अध्दविक के गले लग जाती है । ( ये है अध्दविक की छोटी बहन नायरा राय चौधरी )। " मैंने आपको बहुत मिस किया भाई " . . . !
" मैंने भी आप सबको बहुत मिस किया छोटी " , , , , , यह कहकर अध्दविक ने प्यार से उसके सर पर हाथ फेरा ।
" अरे अध्दविक बेटा हमसे नहीं मिलोगे । " , , , , , क्यों नहीं बुआ जी ! , , , , यह कहकर अदध्विक उनके पांव छूता है ।
जितना मीठापन इनकी आवाज में है , उतनी ही कड़वाहट इनके दिल में है । ये अपने बेटे और बहू के साथ इसी मेंशन में रहती हैं । एक तरफ इनका बेटा जो एक नंबर का अय्याश है , जो लड़कियों को सिर्फ अपने पांव की जूती समझता है राजेश राय चौधरी ।
वहीं दूसरी ओर इनकी बहु नीलीमा राय चौधरी , जो कि सीधी और सरल महिला है । अपनी सास और पति के आगे कुछ नहीं कहती , चुपचाप उनके जुल्मों को सहती है ।
" लगता है मुझे किसी ने मिस नहीं किया " , , , , जय ने दरवाजे के पास खड़े होकर के कहा ।
' अरे बेटा ' अंदर आओ , बाहर क्यों खड़े हो " , , , , , दादी ने जय को बुलाते हुए कहा । जय अंदर आता है , " और सभी बड़े के पास जाकर पांव छूता है ।
जय ने जब बुआ जी के पांव छुए , तो उन्होंने दूर से ही झूठी मुस्कान के साथ कहा , , , , , " अरे रहने दो ...रहने दो . . . मेरा आशीर्वाद तो वैसे भी तुम लोगों के साथ है । "
" जय भैया हम आपसे नाराज हैं , हम आपसे बिल्कुल भी बात नहीं करेंगे । " , , , , नायरा ने मुंह फूलाते हुए कहा ।
" अरे लेकिन क्यों . . . ? ज़रा हमें हमारी गलती तो बताइए । "
" ये आप हमसे पूछ रहे हैं । बल्कि सवाल तो हमें आपसे करना चाहिए " , , , , , नायरा ने जवाब देते हुए कहां । " अध्दविक भैया ने तो बहाना बनाया ही , साथ में आपने भी यहां ना आने की कसम खा ली थी । इसीलिए अब हम आपसे बात नहीं करेंगे । "
" अच्छा बाबा माफ कर दो , अब तुम्हारे दोनों भाई आ चुके हैं । वो मिलकर अपनी बहना की सारी शिकायतें दूर कर देंगे । " , , , , , दोनों ने कान पकड़ते हुए कहा , " अब तो माफ कर दो "
We Are really sorry !
" अरे बस कर , तूने आते ही दोनों को परेशान करना शुरू कर दिया " , , , , सुगंधा जी ने नायरा के सर पर चपत लगाते हुए कहा ।
" अच्छा बेटा तुम दोनों थक गए होगे , जाकर फ्रेश हो जाओ । हम फटाफट से सब लोगो के लिए नाश्ता लगा देते हैं । " , , , , , यह कहकर सुगंधा जी किचन की और चली गई ।
सब ने साथ मिलकर नाश्ता किया । फिर कुछ देर बाद सभी मिलकर आपस में बरामदे में बैठकर बातें कर रहे थे ।
" आगे का क्या सोचा है अध्दविक । कब से कंपनी संभाल रहे हो " , , , , , दादा जी ने सवाल किया ।
" मैं कंपनी जॉइन नहीं करूंगा । " अदध्विक ने कहा ।
" क्या मतलब " , , , , , दादाजी ने आश्चर्य से पूछा ।
" आपको तो पता है ना दादाजी , मेरी पढ़ाई 3 साल पहले पूरी हो गई थी । उसके बाद मैंने और जय ने मिलकर ऑस्ट्रेलिया में ही अपना बिजनेस शुरू किया । उसमें हम काफी सफल भी रहे , और यहां का बिजनेस भैया ने कितने अच्छे से संभाला है " , , , , अध्दविक ने कहा ।
" हां दादाजी हम दोनों ने फैसला किया है , कि हम अपना बिजनेस इंडिया में सिफ्ट करेंगे , और उसे ही आगे बढ़ाएंगे । " , , , , , यह कहकर जय ने बात आगे बढ़ाई , मम्मा - पापा भी यही चाहते हैं । "
" तुम्हारे मां - पापा कब आ रहे हैं " , , , , , , , दादी ने जय से पूछा ?
" बस यहां पर एक बार बिजनेस सैटल हो जाए , फिर उन्हें भी यहां बुला लूंगा । "
" अच्छा तुम लोग बातें करो , मुझे कुछ काम है । " , , , , , यह कहकर दादाजी उठने लगे , तो अनीकेत ने कहा नहीं तुम लोग बातें करो मैं संभाल लूंगा ।
अध्दविक का चेहरा उदास देखकर , सुगंधा जी ने पूछा । " क्या हुआ बेटा तेरा चेहरा उतरा हुआ क्यों है ? "
अध्दविक कुछ कहता उससे पहले ही जय तपाक से बोल पड़ा " , , , , , कुछ नहीं चाची जी बस एक बिल्ली ने रास्ता काट दिया । "
अध्दविक ने तीखी नजरों से जय को चुप होने का इशारा किया । जब जय आगे कुछ नहीं बोला , तो अध्दविक ने ठंडी आह भरी और मन में कहा " , , , , ,
Thank God . . . . . . .
इसने एक्सीडेंट वाली बात नहीं बताई वरना घर वालें परेशान हो जाते । "
जय ने सबसे जाने के लिए इजाजत मांगी , तो दादी ने कहा " , , , , , , तुम कहीं नहीं जाओगे बेटा , यही रूकोगे हमारे साथ । "
" नहीं दादी मुझे अपनी हवेली पर जाना है ! वहां पर भी अब सब कुछ संभालना है । " , , , , , जय ने कहा तो सुगंधा जी ने प्यार से कहा , , , , , " बेटा आज के लिए रुक जाओ , तब तक तुम्हारी हवेली की सफाई भी पूरी हो जाएगी । "
सबके ज़िद करने पर जय रूकने के लिए मान गया ।
सब अपने अपने कामों में लग गए थे । वहां केवल अध्दविक , जय , नायरा , बड़े भैया ( अनिकेत ) - भाभी ( काव्या ) , और छोटी भाभी ( नीलीमा ) मौजूद थे ।
सभी बातें कर ही रहे थे , कि काव्या जी ने अध्दविक से पूछा ,
" अरे देवरजी आपने बताया नहीं , कि बिल्ली काली थी या गोरी " !
ये सुनकर अध्दविक जिस ग्लास से पानी पी रहा था । वो सारा पानी उसके मुंह से छलककर सामने बैठे अनीकेत के कपड़ों पर जा गिरा ।
" छोटे मैं नहाकर आया था । फिर से नहलाने की क्या जरूरत थी ? अनिकेत ने खीझते हुए कहां । "
" सॉरी भैया वो गलती से " . . . . . . !
उसकी बात पूरी होती उससे पहले जय ने बोलना शुरू किया ।
" अरे भाभी आप तो कितनी समझदार निकली , मैं बताता हूं , , , , , बिल्ली गोरी थी और खूंखार भी । उसने तो हमारे अध्दविक भाई साहब की बोलती ही बंद कर दी । "
" भाभी आप इसकी बातों पर ध्यान मत दो , इसकी तो आदत है मजाक करने की ! " , , , , अध्दविक ने कहा और घूरकर एक नजर जय पर डाली । मानों वो कहना चाह रहा हो , , , , , " अगर तू चुप नहीं हुआ , तो मैं तेरा सर फोड़ दूंगा "।
" भाभियों से कैसी शर्म देवरजी , ज़रा पूरी बात बताइए न " नीलीमा ने कहा । जय ने सबको सारी बात बताई , तो सब लोग हंसने लगे ! अध्दविक का तो मानो खून खोलने लगा हो । उसने आंखों से ही इशारा किया . . . . .
" बस तू एक बार मुझे अकेले मिल बेटा , फिर तुझे बताता हूं " ।
" अच्छा भाभी - भैया में थक चुका हू , तो मैं अपने रूम में जा रहा हूं । " , , , , , ये बोलकर अदध्विक वहाँ से जाने लगा ।
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अब जय का क्या होगा ?
क्या अदध्विक उसे छोडेगा , ये जानने के लिए हमे आगे पढना पडेगा ,
आगे जानने के लिए पढ़ते रहिए मेरी नोवल
मीरा कलंक या प्रेम
( अंजलि झा )
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