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राजकुमार का स्वागत

22 मार्च 2023

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अध्दविक और जय हवेली पहुंचते हैं । अध्दविक  की गाड़ी राय चौधरी मेंशन के आगे आकर रुकती है । बड़े ही खूबसूरत तरीके से पूरी हवेली को सजाया गया था । बडे़ ही धूमधाम से स्वागत की तैयारियां की गई थी , और हो भी क्यों न , पूरे 15 सालों बाद जो उनका राजकुमार घर लोटकर आ रहा था । 

विरेन राय चौधरी , अध्दविक के दादाजी हैं । कलकत्ता के सबसे मशहूर व्यक्ति और पावरफुल बिजनेस मैन । इनका घराना कलकत्ता के सबसे ऊंचे घरानों में से एक है । अध्दविक  सबसे पहले अपने दादाजी के पैर छूता है ।

" अरे गले लग मेरे शेर " , , , , , यह कहकर दादाजी अध्दविक को गले लगा लेते हैं ।

सविता राय चौधरी , अध्दविक की दादी जिनकी बात अध्दविक कभी नहीं टालता । अध्दविक उनके पांव छूता है , तो वो उन्हें अपने सीने से लगा लेती है ।

अध्दविक फिर अपने मां के पांव छूता है । सुगंधा राय चौधरी , जो बहुत ही नेक दिल वाली औरत है , और बहुत भावुक भी ।

" मां ,अब में आ गया हूं न , तो फिर ये आंसू क्यों । ये कहकर अध्दविक उनके चेहरे से आंसू पोंछ देता है ।

" ये तो खुशी के आंसू हैं बेटा . . . . ! "

" जो भी हो लेकिन मुझे ये आपकी आंखों में नहीं पसंद . . . . ! "

" यही तो में भी मां से कहता हूं , मगर वो तो मेरी बात सुनती ही नहीं । "

अध्दविक ने आवाज की ओर नजर दौड़ाई , तो देखा भैया - भाभी खडे ़़़़़़ थे । ये है अध्दविक के बड़े भाई अनिकेत राय चौधरी , और उनकी पत्नी काव्या राय चौधरी । अध्दविक ने दोनों को प्रणाम किया ।

" अरे देवरजी आप अकेले ही आए । हमें तो लगा था , आप हमारे लिए देवरानी लेकर लौटोगे " , , , , ,  काव्या ने अध्दविक की ' टांग  खींचते हुए कहा ' । अध्दविक उनकी बात पर मुस्कुरा दिया ।

" भाई . . . . नायरा दौड़कर अध्दविक के गले लग जाती है । ( ये है अध्दविक की छोटी बहन नायरा राय चौधरी )। " मैंने आपको बहुत मिस किया भाई " . . . !

" मैंने भी आप सबको बहुत मिस किया छोटी " , , , , ,  यह कहकर अध्दविक ने  प्यार से उसके सर पर हाथ फेरा ।

" अरे अध्दविक बेटा हमसे नहीं मिलोगे । " , , , , ,  क्यों नहीं बुआ जी ! , , , , यह कहकर अदध्विक उनके पांव छूता है ।

जितना मीठापन इनकी आवाज में है , उतनी ही कड़वाहट इनके दिल में है । ये अपने बेटे और बहू के साथ इसी मेंशन में रहती हैं । एक तरफ इनका बेटा जो एक नंबर का अय्याश है , जो लड़कियों को सिर्फ अपने पांव की जूती समझता है राजेश राय चौधरी ।

वहीं दूसरी ओर इनकी बहु नीलीमा राय चौधरी , जो कि सीधी और सरल महिला है । अपनी सास और पति के आगे कुछ नहीं कहती , चुपचाप उनके जुल्मों को सहती है ।

" लगता है मुझे किसी ने मिस नहीं किया "  , , , , जय ने दरवाजे के पास खड़े होकर के कहा ।

' अरे बेटा  ' अंदर आओ , बाहर क्यों खड़े हो " , , , , , दादी ने जय को बुलाते हुए कहा । जय अंदर आता है ,  " और सभी बड़े के पास जाकर पांव छूता है ।

जय ने जब बुआ जी के पांव छुए , तो उन्होंने दूर से ही झूठी मुस्कान के साथ कहा , , , , , " अरे रहने दो ...रहने दो . . . मेरा आशीर्वाद तो वैसे भी तुम लोगों के साथ है । "

" जय भैया हम आपसे नाराज हैं , हम आपसे बिल्कुल भी बात नहीं करेंगे । " , , , , नायरा ने मुंह फूलाते हुए कहा ।

" अरे लेकिन क्यों . . . ?  ज़रा हमें हमारी गलती तो बताइए । "

"  ये आप हमसे पूछ रहे हैं । बल्कि सवाल तो हमें आपसे करना चाहिए " , , , , , नायरा ने जवाब देते हुए कहां । " अध्दविक भैया ने तो बहाना बनाया ही , साथ में आपने भी यहां ना आने की कसम खा ली थी । इसीलिए अब हम आपसे बात नहीं करेंगे । "

" अच्छा बाबा माफ कर दो , अब तुम्हारे दोनों भाई आ चुके हैं । वो मिलकर अपनी बहना की सारी शिकायतें दूर कर देंगे । " , , , , ,  दोनों ने कान पकड़ते हुए कहा , " अब तो माफ कर दो "

 We Are really sorry !

" अरे बस कर , तूने आते ही दोनों को परेशान करना शुरू कर दिया " , , , , सुगंधा जी ने नायरा के सर पर चपत लगाते हुए कहा ।

" अच्छा बेटा तुम दोनों थक गए होगे , जाकर फ्रेश हो जाओ । हम फटाफट से सब लोगो के  लिए नाश्ता लगा देते हैं । " , , , , , यह कहकर सुगंधा जी किचन की और चली गई ।

सब ने साथ मिलकर नाश्ता किया । फिर कुछ देर बाद सभी मिलकर आपस में बरामदे में बैठकर बातें कर रहे थे ।

" आगे का क्या सोचा है अध्दविक । कब से कंपनी संभाल रहे हो " , , , , , दादा जी ने  सवाल किया ।

" मैं कंपनी जॉइन नहीं करूंगा । " अदध्विक ने कहा ।

" क्या मतलब " , , , , , दादाजी ने आश्चर्य से पूछा ।

" आपको तो पता है ना दादाजी , मेरी पढ़ाई 3 साल पहले पूरी हो गई थी । उसके बाद मैंने और जय ने मिलकर ऑस्ट्रेलिया में ही अपना बिजनेस शुरू किया । उसमें हम काफी सफल भी रहे , और यहां का बिजनेस भैया ने कितने अच्छे से संभाला है " , , , ,  अध्दविक ने कहा ।

" हां दादाजी हम दोनों ने फैसला किया है , कि हम अपना बिजनेस इंडिया में सिफ्ट करेंगे , और उसे ही आगे बढ़ाएंगे । " , , , , , यह कहकर जय ने बात आगे बढ़ाई , मम्मा - पापा भी यही चाहते हैं । "

" तुम्हारे मां - पापा कब आ रहे हैं " , , , , , , ,  दादी ने जय से पूछा ?

" बस यहां पर एक बार बिजनेस सैटल हो जाए , फिर उन्हें भी यहां बुला लूंगा । "

" अच्छा तुम लोग बातें करो , मुझे कुछ काम है । " , , , , , यह कहकर दादाजी उठने लगे , तो अनीकेत ने कहा नहीं तुम लोग बातें करो मैं संभाल लूंगा ।

अध्दविक का चेहरा उदास देखकर , सुगंधा जी ने पूछा । " क्या हुआ बेटा तेरा चेहरा उतरा हुआ क्यों है ? "

अध्दविक कुछ कहता उससे पहले ही जय तपाक से बोल पड़ा " , , , , , कुछ नहीं चाची जी बस एक बिल्ली ने रास्ता काट दिया । "

अध्दविक ने तीखी नजरों से जय को चुप होने का इशारा किया । जब जय आगे कुछ नहीं बोला , तो अध्दविक ने ठंडी आह भरी और मन में कहा " , , , , , 

Thank God . . . . . . .

इसने एक्सीडेंट वाली बात नहीं बताई वरना घर वालें परेशान हो जाते । "

जय ने सबसे जाने के लिए इजाजत मांगी , तो दादी ने कहा  " , , , , , , तुम कहीं नहीं जाओगे बेटा , यही रूकोगे हमारे साथ । "

" नहीं दादी मुझे अपनी हवेली पर जाना है ! वहां पर भी अब सब कुछ संभालना है । " , , , , , जय ने कहा तो सुगंधा जी ने प्यार से कहा , , , , , " बेटा आज के लिए रुक जाओ , तब तक तुम्हारी हवेली की सफाई भी पूरी हो जाएगी । "

सबके ज़िद करने पर जय रूकने के लिए मान गया ।

सब अपने अपने कामों में लग गए थे । वहां केवल अध्दविक , जय , नायरा , बड़े भैया ( अनिकेत ) - भाभी ( काव्या ) , और छोटी भाभी ( नीलीमा ) मौजूद थे ।

 सभी बातें कर ही रहे थे , कि काव्या जी ने अध्दविक से पूछा ,

" अरे देवरजी आपने बताया नहीं , कि बिल्ली काली थी या गोरी " !

ये सुनकर अध्दविक जिस ग्लास से पानी पी रहा था । वो सारा पानी उसके मुंह से छलककर सामने बैठे अनीकेत के कपड़ों पर जा गिरा । 

" छोटे मैं नहाकर आया था । फिर से नहलाने की क्या जरूरत थी ? अनिकेत ने खीझते हुए कहां । "

" सॉरी भैया वो गलती से " . . . . . . !

उसकी बात पूरी होती उससे पहले जय ने बोलना शुरू किया ।

" अरे भाभी आप तो कितनी समझदार निकली , मैं बताता हूं , , , , ,  बिल्ली गोरी थी और खूंखार भी । उसने तो हमारे अध्दविक भाई साहब की बोलती ही बंद कर दी । "

" भाभी आप इसकी बातों पर ध्यान मत दो , इसकी तो आदत है मजाक करने की !  " , , , ,  अध्दविक ने कहा और घूरकर एक नजर जय पर डाली । मानों वो कहना चाह रहा हो , , , , , " अगर तू चुप नहीं हुआ , तो मैं तेरा सर फोड़ दूंगा "।

" भाभियों से कैसी शर्म देवरजी , ज़रा पूरी बात बताइए न " नीलीमा ने कहा । जय ने सबको सारी बात बताई , तो सब लोग हंसने लगे ! अध्दविक का तो मानो खून खोलने लगा हो । उसने आंखों से ही इशारा किया . . . . .

" बस तू एक बार मुझे अकेले मिल बेटा , फिर तुझे बताता हूं " ।

" अच्छा भाभी - भैया में थक चुका हू , तो मैं अपने रूम में जा रहा हूं । " , , , , , ये बोलकर अदध्विक वहाँ से जाने लगा ।

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अब जय का क्या होगा ?
क्या अदध्विक उसे छोडेगा , ये जानने के लिए हमे आगे पढना पडेगा , 

आगे जानने के लिए पढ़ते रहिए मेरी नोवल 

मीरा कलंक या प्रेम 
( अंजलि झा )

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रचनाएँ
Meera kalank ya prem की डायरी
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हुगली नदी के किनारे बसा मशहूर शहर पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता । यह शहर अपने आप में ही खास है । प्रकृति ने कई खूबसूरत चीजों से नवाजा है इसे , इसकी खूबसूरती देखने लायक है । जैसे हावड़ा ब्रिज , मानसरोवर झील , विक्टोरिया मेमोरियल , बाबूघाट इत्यादि । इन सबके साथ एक ऐसी जगह भी है । जिसे शरीफ लोग घृणा की नजर से देखते हैं , और वह है राजेश्वरी बाई का कोठा । यहां के आसपास का वातावरण काफी मनमोहक है । बीना से निकली संगीत की धुन , पांव में बजते घुंघरू की आवाजें , गजरे में लगे चमेली के फूलों की महक , और आसपास तितलियों की तरह मंडराती सजी सबरी बन ठन कर बैठी लड़कियां , किसी स्वर्ग की अप्सरा से कम नहीं लग रही । कुछ ऐसा ही माहौल यहां अक्सर रहता है । यहां की रातों का तो कहना ही क्या . . . . ? शाम ढले यहां की चमक धमक और भी ज्यादा बढ़ जाती है । यहां प्यार शब्द का कोई मतलब नहीं ।
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