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दूसरी मुलाकात

22 मार्च 2023

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मीरा का कालेज

मीरा और जानवी अपनी क्लास खत्म कर लाइब्रेरी की ओर जा रही थी , की तभी उन्हें शीतल मिल गई ।

" मीरा मुझे तुम्हें कुछ बताना था " शीतल ने उसे रोकते हुए कहा ।

" हां कहो , क्या बताना था तुम्हें " मीरा ने पूछा" ?

" इस  dance compition की इंचार्ज सलोनी मैम है। मैंने उन्हें तुम्हारा नाम दे दिया है और उनसे बात भी कर ली है , कि तुम बिना किसी को पता चले डांस में पार्ट लोगी । " शीतल ने कहा ।

" तो क्या वो मान गई ,  पर कैसे  . . . . ? जानवी ने पूछा तो शीतल ने कहा " अरे ये सब तो मेरे बाएं हाथ का खेल था' , बस एक इमोशनल सी स्टोरी ,  दो चार बूंद आंसू , बस फिर क्या था मान गई " ।

 शीतल ने मीरा को देखते हुए आगे कहा " वैसे मुझे थैंक्यू वगेरह बोलने की जरूरत नहीं है । बस तुम जीत जाना  । अच्छा मे चलती हूं " यह कहकर शीतल चली गई ।

उधर प्रिया किसी से बातें कर रही थी । तभी किसी ने पीछे से उसे आवाज दी ।  प्रिया ने मुड़कर देखा तो  प्रियांशु खडा था । उसे देखकर तो प्रिया के चेहरे पर अपने आप ही स्माइल आ जाती थी । कुछ देर बाद जब प्रियांशु ने उसे कहीं गुम देखा , तो उसके सामने अपना हाथ हिलाते हुए कहा " कहां खो गई तुम " ।

 प्रिया ने हड़बड़ाते हुए जवाब दिया " कहीं नहीं . . . , कहीं भी नहीं " ।

" खैर छोड़ो , मुझे मीरा जी से कुछ काम था । तुम्हें पता है वो कहां है । " प्रियांशु ने पूछा तो प्रिया ने कहा " मीरा और जानवी लाइब्रेरी में गए हैं , तुम्हें वहीं मिलेंगे " । प्रियांशु उसे बाय कहकर लाइब्रेरी की ओर चल दिया ।

प्रियांशु लाइब्रेरी पहुंचा , तो देखा मीरा और जानवी पढ़ने में बिजी थे । वो उनके पास जाकर खाली चेयर पर बैठ गया ।

" मीरा जी मुझे आप से कुछ बात करनी है "। उसकी आवाज तेज थी  तो मीरा ने उसे धीरे से बोलने का इशारा किया ।

" ओह सॉरी . . . . .

प्रियांशु ने आगे धीमी आवाज में कहना शुरू किया " दरअसल मुझे यह बताना था कि सलोनी मैम ने आपको बुलाया है । उन्हें आपसे कुछ जरूरी बात करनी है । वो आपको स्टाफ रूम में मिलेंगी । "

" अच्छा जान मैं उनसे मिलकर आती हूं " । ये कहकर मीरा ने अपना पर्स उठाया और वहां से चली गई । वो स्टाफ रूम तक आइ और उसने दरवाजे पर नोंक किया । अंदर से ' कम इन ' की आवाज आई तो वो अंदर चली आई । मीरा ने उन्हें गी्ट किया , तो मिस सलोनी ने भी मुस्कुराकर उसका जवाब दिया और सामने की चेयर पर बैठने का इशारा किया । 

" आपने मुझे बुलाया था मैडम ? "

मीरा ने पूछा तो मिस सलोनी ने जवाब दिया " हां मीरा , " तुम्हें तो पता है कि जो dance compition होने वाला है , उसकी इंचार्ज मैं हूं और मेरी जिम्मेदारी है कि सारी चीज़ें ठीक से हो । इसमें जो चीफ़ गेस्ट आने वाले हैं वो काफी बड़ी शख्शियत है। उनकी स्वागत की तैयारी अनामिका संभाल रही थी , लेकिन उसके पापा की तबीयत बिगड़ने की वजह से उसे जाना पड़ा । मैं चाहती हूं कि चीफ गेस्ट का स्वागत तुम करो । '

" मगर मैम में कैसे . . . . .

मिस सलोनी ने मीरा को रोकते हुए कहा " देखो मीरा न मत कहना । मैं ऐसे ही ये जिम्मेदारी किसी को भी नहीं सौंप सकती । ये हमारी कालेज की रेपोटेशन का सवाल है और तुम मेरी होनहार स्टुडेंट में से एक हो , इसलिए ये जिम्मेदारी में तुम्हें देना चाहती हूं । "

मिस सलोनी के इतना फोर्स करने पर मीरा ने  हां कह दिया ।

मिस सलोनी ने खुश होते हुए कहा " मैं जानती हूं कि तुम्हें डांस भी करना है और ऊपर से ये जिम्मेदारी ,  लेकिन मुझे तुम पर पूरा भरोसा है । "

जानवी , प्रिया और प्रियांशु कैंटीन भी में थे । शीतल भी वहां आ गई । 

" अरे तुम सब यहां पर हो , पर मीरा कहां है वो कहीं दिखाई नहीं दे रही " शीतल ने सबकी ओर देख कर पूछा तभी प्रिया ने कहा " वो सलोनी मैम ने उसे बुलाया था । "

" मगर किसलिए, "

" अब वो तो उसके आने के बाद ही पता चलेगा " प्रिया कह ही रही थी कि , उसे मीरा आती हुई दिखी " लो आ गई मीरा " ।

सब मीरा को देखकर हैरान थे , वो थोड़ी परेशान नजर आ रही थी । मीरा पास की चेयर पर बैठी , तो जानवी ने उससे पूछा " क्या बात है मीरा , तू इतनी परेशान क्यों हैं ? क्या कहां सलोनी मैम ने ? "

उसकी बात खत्म ही हुईं थीं , कि शीतल ने बेताबी से पूछा "   हां... हां....   बताओ- बताओ क्या कहां मैम ने ? "

जानवी ने शीतल पर गुस्से वाली नजर डालते हुए कहा " मैंने भी हिंदी में ही पूछा था , फ्रेंच में नहीं " ।

शीतल मुस्कुरा कर जवाब देती है ' " अच्छा मजाक था , पर मुझे हंसी नहीं आईं "।

" तुम लोग अपनी बहस बंद करो , मीरा को कुछ कहने तो दो " प्रिया के कहने पर दोनों शांत हो गई ।

मीरा सबको सलोनी मैम से हुई सारी बात बता देती है ।  

" मीरा जी आप टेंशन मत लीजिए , हम सब है न आपके साथ " , सब मिलकर संभाल लेंगे " ।  प्रियांशु ने कहा तो सबने उसकी बात पर हामी भर दी। 

. . . . . . . . . .

रात के समय बिस्तर पर मीरा की आंखों से नींद गायब थी । वो बस कल के बारे में ही सोच रही थी । उसने सुबह जल्दी उठने के लिए अलार्म भी सैट कर दिया था ।देर रात तक सोचते - सोचते आखिरकार उसे नींद आ ही गई ।

सुबह जल्दी उठकर मीरा जानवी के साथ कालेज के लिए निकल गई थी । पूरा कालेज अच्छे से सजाया गया था । चारों तरफ फूलों की लड़ियां लगी थी । एंट्रेंस गेट के आगे सुंदर सी रंगोली बनी हुई थी ।

" यार मीरा ये हमारा ही कॉलेज है न " जानवी ने हैरानी से आंखें बड़ी करते हुए कहा । " जान हमें देर हो रही है अंदर चल " , मीरा उसका हाथ पकड़ , खींचते हुए अंदर की तरफ ले गई ।

मिस सलोनी ने मीरा को देखते हुए कहा " मीरा तुम कहां रह गई थी ? कुछ ही देर में गेस्ट आने वाले हैं , जाओ तुम उनके वेलकम की अरेंजमेंट देखो । जानवी तुम मेरे साथ चलो मुझे कुछ हेल्प चाहिए। 

. . . . . . . . . .

मीरा ने कुछ स्टूडेंट्स को उनका काम समझाया । थोड़ी देर में सारी अरेंजमेंट हो जाने के बाद वो अपनी जगह पर जाकर खड़ी हो गई ।

अपने हाथों में एक थाल लिए शीतल मीरा के बगल में आकर खड़ी हो गई । 

" कहां रह गई थी और इसमें क्या है ? " मीरा ने थाल की ओर इशारा कर शीतल से पूछा ?

" अरे ये फूलों का हार सलोनी मैम ने भेजा है । वैसे मेंने सुना है जो चीफ़ गेस्ट बनकर आ रहे हैं , वो काफी हैंडसम है । " शीतल ने शरारत भरे अंदाज में पूछा ।

मीरा ने जब आंखें दिखाईं , तो उसने बात पलटते हुए कहा " मेरा कहने का मतलब था कि , बहुत बड़ा बिजनेस है उनका । इंडिया आए हुए सिर्फ तीन महीने ही हुए हैं  उसके बावजूद इनकी कंपनी टोप पर है । "

वो लोग बातें ही कर रहे थे , कि एक बड़ी सी कार उनके सामने आकर रुकीं । एक हैंडसम सा लड़का बाहर निकलता है , जो चारों ओर से गार्डस ने घिरा हुआ था वो अपने तेज़ क़दमों के साथ अंदर की ओर आता है । 

मीरा की नजर जैसे ही अध्दविक पर पड़ी , वो डर और हैरानी के मिले जुले भाव के साथ उसी की ओर देख रही थी । उसका दिमाग तो अपनी ही बातों में उलझा हुआ था ।

" ये तो वही है , क्या इन्हें मैं अब भी याद हूं . . .  

" नहीं - नहीं मैं भी क्या सोच रही हूं , उस हादसे को तो ये भूल भी चुके होंगे । " 

मीरा अपने ही ख्यालों में गुम थी , उसे तो ये भी पता नहीं चला कि अध्दविक उसके सामने कब से खड़ा है। शीतल मीरा के थोड़ा करीब आईं और उसके कानों के पास आकर धीरे से कहा "  क्या कर रही है मीरा , हार पहना '' मीरा ने अध्दविक को हार तो पहना दिया , मगर वो अब भी पूरी तरह होश में नहीं थी । वो जैसे ही पीछे हो रही थी , कि दुपट्टे में पैर फसने की वजह से उसका बैलेंस बिगड़ा । अध्दविक ने उसे संभालने की कोशिश की , लेकिन पूरी तरह से वो संभल नहीं पाए और दोनों फूलों की बनी रंगोली पर जाकर गिरे ।

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नज़र को नज़र की खबर ना लगे

कोई अच्छा भी इस कदर ना लगे

आपको देखा है बस उस नज़र से

जिस नज़र से आपको नज़र ना लगे !!

इनकी मुलाकात क्या रंग लाएगी ये तो आगे पता चलेगा ?

मोहब्बत की बारिश होगी या क़यामत का कोहराम भचेगा ? आगे जानने कू लिए पढ़ते रहिए मेरी नोवल

मीरा कलंक या प्रेम
( अंजलि झा )


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रचनाएँ
Meera kalank ya prem की डायरी
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हुगली नदी के किनारे बसा मशहूर शहर पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता । यह शहर अपने आप में ही खास है । प्रकृति ने कई खूबसूरत चीजों से नवाजा है इसे , इसकी खूबसूरती देखने लायक है । जैसे हावड़ा ब्रिज , मानसरोवर झील , विक्टोरिया मेमोरियल , बाबूघाट इत्यादि । इन सबके साथ एक ऐसी जगह भी है । जिसे शरीफ लोग घृणा की नजर से देखते हैं , और वह है राजेश्वरी बाई का कोठा । यहां के आसपास का वातावरण काफी मनमोहक है । बीना से निकली संगीत की धुन , पांव में बजते घुंघरू की आवाजें , गजरे में लगे चमेली के फूलों की महक , और आसपास तितलियों की तरह मंडराती सजी सबरी बन ठन कर बैठी लड़कियां , किसी स्वर्ग की अप्सरा से कम नहीं लग रही । कुछ ऐसा ही माहौल यहां अक्सर रहता है । यहां की रातों का तो कहना ही क्या . . . . ? शाम ढले यहां की चमक धमक और भी ज्यादा बढ़ जाती है । यहां प्यार शब्द का कोई मतलब नहीं ।
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19 साल बाद

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19 साल बादवक्त बीतता गया , , , , , , , मीरा अब पूरे 19 साल की हो चुकी थी । उसने बड़े ही अच्छे नंबरों से अपनी 12 वीं की परीक्षा भी पास कर ली थी , और कोलकाता के ही कॉलेज में ग्रेजुएशन के लिए first year

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