राम प्रेम सत्य
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राम
राम
राम
और
राजा राम जी जो 14 वर्ष का वनवास हो गया
प्रेम
प्रेम
प्रेम
और
प्रेम दीवानी मीरा कृष्ण प्रेम मे विष का प्याला पी गई
सत्य
सत्य
सत्य
लो ••••••
सत्य की खातिर सत्यवादी महाराजा हरिश्चन्द्र काशी घाट पर बिक गये।
यूँ ही कोई अमर नही हो जाता
"राम प्रेम सत्य केवलम "
जिनके
त्याग शौर्य ओर वीरता को
चार वेद
अठारह पुराणों ने गाया है
ऋषियों ओर तपस्वियों ने
जाप किया है
सम्पुर्ण ब्रह्मांड
सम्पूर्ण अस्तित्व
जिसमे समाया है
मगर
मैं
मैं
मै
ओर मैं के अहंकार मे रावण समूल राक्षसकुल का सर्वनाश कर खुद मैं,अहंकार से मर गया।
फिर भी
आदमी
नही छोड़ता
मैं
मेरा
ओर
अहंकार
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श्रवणं कीर्तनं विष्णोः स्मरणं पादसेवनम् ।
अर्चनं वन्दनं दास्यं सख्यमात्मनिवेदनम् ॥
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रचना: महावीर जोशी लेखाकार पुलासर (सरदारशहर) राजस्थान