कब आ रहे हो राम
(मौलिक रचना (c) महावीर जोशी लेखाकार,पुलासर)
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हे राम 🙏🙏
मैने मान लिया था
उसी वक्त
तुम्हारा अन्तर्यामी होना
जब तुमने
माता सीता की
खोज के लिये
मंद मंद मुस्कुराते हुए
मुद्रिका
अति आत्म विश्वास के साथ
हनुमान के हाथों मे थमा दी थी
हे राम 🙏🙏
मैने जान लिया था
उसी वक्त
तुम्हारी नर लीला को
जब
मुर्छित लक्ष्मण के
उपचार निमित
तुमने
वैद्यराज सुषेन को बुलाया था
हे राम 🙏🙏
मैने पहचान लिया था तुम्हे
उसी वक्त विष्णु का अवतार होना
जब तुमने
पाषाण मे प्राण फूँक कर
अहिल्या उद्दार किया था
हे राम 🙏🙏
मैने ये भी निश्चित मान रखा है की
तुम्हे लेना होगा
कलियुग मे फिर से अवतार
की जब तुमने
कुटिल छद्म मन्थरा के
कपट और स्वार्थ को माफ किया था
हे राम 🙏🙏
अब तो बता दो की
इस घोर कलिकाल मे
छल कपट स्वार्थ दुराग्रह से
मरी मानवता को जगाने
जीव कल्याण हेतू
धरती पर फिर कब आ रहे हो ?
🙏🙏🙏🙏🙏
जेहीं जानहुं तेहि देखा जनाई,
जानत तिन्ही तिनहीं होहीं जाई।।
मोरे मत कर यह विसवासा।
राम के अधिक राम कर दासा।।
🙏🙏🙏🙏
क्रमशः शेष अगले भाग मे
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महावीर जोशी लेखाकार
पुलासर (सरदारशहर) राजस्थान
(व्याकरण सुधार जारी)