#कोई_तो_है
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कोई तो है .. जो
रंग भरता है फूलों में
चुभता है कांटो में
और खिलता है
कलियों में
कोई तो है जो
जोड़ता है / तोड़ता है
बंधन रिश्तों के
साथ निभाना है
किसे किसके साथ
और रोना है किसे
विरह के आँसूं
जीवन भर
कोई तो है जो
लिखता है किस्मत
पत्थर की
किसे ठोकर खानी है पैरो में
और किसे
आकार लेना है
उस निराकार का
सजना है
भगवान बनकर
मंदिर में
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🚩|| सच्चिदानंद रूपाय विश्वोत्पत्यादिहेतवे,
तापत्रय विनाशाय श्री कृष्णाय वयं नम: ॥ 🚩
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रचना : महावीर जोशी, पुलासर (सरदारशहर) राजस्थान