कविता (copyright)
पतझड़ की क्या बात लिखूँ (भाग-१ (प्रथम)
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प्रीतम की मैं प्रीत लिखूँ
या विरहा के गीत लिखूँ
पिया मिलन की खुशियाँ या
नैहर छुटन की रीत लिखूँ
काली अमावस रात लिखूँ
या पूनम चाँदनी साथ लिखूँ
सुख दुख एक दूजे के पूरक
कैसे मैं अनुपात लिखूँ
हराभरा वैकुण्ठ लिखूँ
या फिर सुखा ठूँठ लिखूँ
इस जीवन के पतझड़ मे
क्या सच्चा क्या झूठ लिखूँ
धरती और आकाश लिखूँ
दूर मैं किसको पास लिखूँ
इतने विस्तृत रिश्तोँ को
आम मैं किसको खास लिखूँ
दौलत गुना हजार लिखूँ
या आना दो आना चार लिखूँ
पतझड़ के इन पतों पर
सुख दुख को कितनी बार लिखूँ
सुख सुविधा अपार लिखूँ
या रोटी को लाचार लिखूँ
युवानी के जोश होश मे
वृद्ध बुढ़े बीमार लिखूँ
अपने मन की बात लिखूँ
या दूनियाँ के प्रघात लिखूँ
मानवता के रिश्तों को
बांटूँ या सब को साथ लिखूँ
बिछुडे पातों का दुख लिखूँ
या छाई बसंत बहार लिखूँ
पतझड़ की इन बातों को
अब छोड़ू या बेशुमार लिखूँ
पतझड़ की क्या बात लिखूँ
○○○○ (शेष : अगले भाग-२ (दो ) में ..
मौलिक रचना स्वरचित
महावीर जोशी लेखाकार
पुलासर ( सरदारशहर) राजस्थान