ये अपना नव वर्ष नहीं
⛔ 🚫 ENGLISH NEW YEAR 🚫⛔
अपना नव वर्ष श्रीराम नवमी चैत्र प्रतिपदा नवमी
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बहुत चली पवन पश्चिम की
अब पूरब की चलने दो
कैसा नव वर्ष १ जनवरी
नव संवत्सर आने दो
बच्चे बूढ़े ठिठुर रहे
ना होठों पर लाली है
सुखी पड़ी है धरती माँ
ना आँचल में हरियाली है
सूखे रूंख ठूंठ बन उभे
नव पातों को खिलने दो
अपना नव वर्ष चैत्र नवमी
नव संवत्सर आने दो
ठंड से सूरज ठिठुर रहा
चंदा तारे सब मौन है
किसने थोपा कैसा नव वर्ष
होते वो फिरंगी कौन है
जिसको भाए खूब मनाये
जाम उन्ही के छलकने दो
अपना नव वर्ष चैत्र नवमी
नव संवत्सर आने दो
उजड़े है जंगल वन उपवन
माघ बसंती आने दो
झरने नदियां सूखे है सब
अम्बर को गरजाने दो
आर्यव्रत के वासी है हम
मर्यादा में जीने दो
अपना नव वर्ष चैत्र नवमी
नव संवत्सर आने दो
नहीं भोर की किरणों का संग
अस्त सूर्य का भान नहीं
अर्ध रात्रि कैसा उत्सव
थोड़ा सा भी ज्ञान नहीं
इतनी भी क्या जल्दी यारो
फागुन मास तो आने दो
करने दो मस्ती यारो संग
होलिका जल जाने दो
कैसा नव वर्ष १ जनवरी
हम को दूर ही रहने दो
पतवार डाल दो पश्चिम पर
पूरब की हवाएं बहने दो
अपना नव वर्ष चैत्र नवमी
नव संवत्सर आने दो
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रचना :- महावीर जोशी लेखाकार
पुलासर,सरदारशहर,राजस्थान
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