Aman Prakashan
अमन प्रकाशन, कानपुर के स्थापना आज से लगभग 24 वर्ष पूर्व हिन्दी के श्रेष्ठ प्रकाशकों के उददेश्य से की गयी थी, विगत 24 वर्षो में संस्था द्वारा सर्वाधिक पुस्तकों का प्रकाशन हो चुका है। वैसे तो संस्था साहित्य की लगभग सभी विधाओं की पुस्तको का प्रकाशन करती है, परन्तु हिन्दी के शोध और आलोचना की पुस्तकों के प्रकाशन में विशेष अभिरुचि रही है। आज अमन प्रकाशन, कानपुर उत्तर भारत के साहित्यिक प्रकाशको में अपनी विशिष्ट पहचान बना चुका है. सम्पूर्ण भारत के विश्वविद्यालय / महाविद्यालय विद्दानों के श्रेष्ठ आलोचनात्मक पुस्तकों के प्रकाशन में गण्य है। अब वर्ष 2012 में अमन प्रकाशन अपने निज भवन में स्थापित नये कार्यालय में स्थापित हो गया है। नये वर्षों में नये संकल्पो तथा नई उर्जा के साथ प्रकाशन क्षेत्र में कुछ अभिनव प्रयास करने हेतु प्रकाशन संस्थान प्रतिबद्ध है, सुरुचिपूर्ण मुद्रण, उच्चस्तरी कागज तथा नयनाभिराम आवरण के साथ पुस्तकों की प्रस्तुति संस्था का अभीष्ट है। Website : https://amanprakashan.com/
मैं पायल..
यदि हम साहित्य की रचनाशीलता के परिपेक्ष्य में देखें तो हिंदी समेत सम्पूर्ण भारतीय भाषाओं के आधुनिक काल में ही नहीं वरन किसी भी कालखण्ड में किन्नर समुदाय को लगातार दो बड़ी और महत्वपूर्ण कृतियाँ आजतक किसी और रचनाकार ने साहित्य जगत को नहीं दी हैं।इस संदर
मैं पायल..
यदि हम साहित्य की रचनाशीलता के परिपेक्ष्य में देखें तो हिंदी समेत सम्पूर्ण भारतीय भाषाओं के आधुनिक काल में ही नहीं वरन किसी भी कालखण्ड में किन्नर समुदाय को लगातार दो बड़ी और महत्वपूर्ण कृतियाँ आजतक किसी और रचनाकार ने साहित्य जगत को नहीं दी हैं।इस संदर
किन्नर कथा
महेंद्र भीष्म द्वारा रचित किन्नर कथा उपन्यास हिंदी साहित्य की उन साहसिक रचनाओं में से एक है जिसने समाज को इस समुदाय को लेकर सोचने के लिए विवश किया है | किन्नर कथा उपन्यास उन रचनाओं की श्रेणी में आता है जिसने किन्नर समुदाय की वेदनाओं पर एक नयी जिरह को
किन्नर कथा
महेंद्र भीष्म द्वारा रचित किन्नर कथा उपन्यास हिंदी साहित्य की उन साहसिक रचनाओं में से एक है जिसने समाज को इस समुदाय को लेकर सोचने के लिए विवश किया है | किन्नर कथा उपन्यास उन रचनाओं की श्रेणी में आता है जिसने किन्नर समुदाय की वेदनाओं पर एक नयी जिरह को
एक अप्रेषित पत्र
महेंद्र भीष्म की कहानियाँ हमारे आस-पास से लेकर दूर-दराज तक फैले आज के जीवन से जुड़े कथ्य और पात्रों-चरित्रों का आइना हैं । कथाकार के लेखन-कौशल से कहीं अधिक उसकी पर्यवेक्षण-क्षमता के चलते इस कथा संग्रह में विविधिता संभव हुई । इस संग्रह के अंदर उनहोंने
एक अप्रेषित पत्र
महेंद्र भीष्म की कहानियाँ हमारे आस-पास से लेकर दूर-दराज तक फैले आज के जीवन से जुड़े कथ्य और पात्रों-चरित्रों का आइना हैं । कथाकार के लेखन-कौशल से कहीं अधिक उसकी पर्यवेक्षण-क्षमता के चलते इस कथा संग्रह में विविधिता संभव हुई । इस संग्रह के अंदर उनहोंने
आख़िरी दरख़्त
उपन्यासकार महेन्द्र भीष्म अपनी रचना- धर्मिता के प्रति प्रतिबद्ध रचनाकार के रूप में जाने जाते हैं। आपने ऐसे विषयों पर अपनी कलम उठाई है, जिन पर सामान्यतः रचनाकारों का बहुत कम ध्यान जाता है। युद्ध पर आपका उपन्यास ‘जयहिन्द की सेना’ हो या हाशिये के लोगों
आख़िरी दरख़्त
उपन्यासकार महेन्द्र भीष्म अपनी रचना- धर्मिता के प्रति प्रतिबद्ध रचनाकार के रूप में जाने जाते हैं। आपने ऐसे विषयों पर अपनी कलम उठाई है, जिन पर सामान्यतः रचनाकारों का बहुत कम ध्यान जाता है। युद्ध पर आपका उपन्यास ‘जयहिन्द की सेना’ हो या हाशिये के लोगों
जय हिन्द की सेना
जय हिन्द की सेना महेन्द्र भीष्म एक सुबह मुँह अंधेरे अटल दा ने मुझे झकझोर कर जगा दिया। घर के सभी लोग अस्त—व्यस्त से कहीं जाने की तैयारी में लगे थे। कल देर रात तक हम सभी रहमान चाचा घर के तहखाने में छिपे रहे, फिर जब उन्होंने हम लोगों को अपने फार्म हाउस
जय हिन्द की सेना
जय हिन्द की सेना महेन्द्र भीष्म एक सुबह मुँह अंधेरे अटल दा ने मुझे झकझोर कर जगा दिया। घर के सभी लोग अस्त—व्यस्त से कहीं जाने की तैयारी में लगे थे। कल देर रात तक हम सभी रहमान चाचा घर के तहखाने में छिपे रहे, फिर जब उन्होंने हम लोगों को अपने फार्म हाउस