आज कॉलेज से निकलने में देर हो गई थी...!! साढ़े तीन बजे वाली बस छूट चुकी थी... मै जितनी तेज चल सकती थी उतनी तेज चल कर स्टॉप तक पहुंची..!! बस स्टॉप कॉलेज से थोड़ी ही दूरी पर था...!!
एक तो मुझे लेट हो गया था ऊपर से ये बिन मौसम बादल, बिन बुलाए मेहमान की तरह आसमान में जम कर बैठ गए, मुझे चिढ़ मच रही थी..!!टाइम देखने के लिए फोन निकाला तो देखा कि मम्मी की दस मिस्ड कॉल पड़ी थी...फोन साइलेंट पर था इसलिए देखा नहीं था..!!रोज कॉलेज से निकलते ही मम्मी को फोन कर देती थी आज किया नहीं और लेट भी हो गई शायद इसलिए परेशान होगी.. सोच कर फोन मिलाते हुए स्टॉप की तरफ बढ़ी.. पूरी रिंग होने के बाद भी मम्मी ने फोन तो नहीं उठाया लेकिन ये आसमान में चढ़े बदरा ज़रूर बरसने लगे थे...मै चिढ़ते हुए जल्दी से स्टॉप की शेड के नीचे अा गई..!! मुझे बरसात बिल्कुल भी पसंद नहीं है और ये बेमौसम बरसात तो जानी दुश्मन है मेरी...!!
ख़ैर स्टॉप पर इक्कदुक्का लोग ही थे..!!
मुझे खड़े हुए करीब दस मिनट गुजर चुके थे.. अभी तक कोईभी बस नहीं अाई थी और बूंदे भी सब तेज हो गई थी..!!
वहां खड़े लड़को की गिद्ध वाली नजरों से अब मुझे कोफ़्त होने लगी थी....!! मुझे नफ़रत है इस तरह के लोगों से मेरा बस चले तो इनकी आंखों में गरम लोहा डाल दूं... लेकिन ख़ैर...
बस के आने की कोई संभावना ना देख मै बरसते बादलों की परवाह किए बगैर ही स्टॉप से आगे चल पड़ी... इस उम्मीद में कि शायद आगे कोई ऑटो या वैन मिल जाए...!! वैसे मुझे वैन में बैठते हुए बहुत डर लगता है ये लोग बहुत तेज चलाते है लेकिन अब कोई और चॉइस नहीं थी तो झेलना ही था...!! ख़ैर अब थोड़ी सी किस्मत मेहरबान थी वैन जल्द ही मिल गई...!! मै झट से उसमे बैठ गई.. उसमे पहले से ही दो लड़के बैठे थे.. फिर लड़के...!! मैंने एक ठंडी सांस छोड़ी..!! वैन लहराती हुई चल दी.. और मै घर सुरक्षित पहुंच जाऊं इसलिए दुर्गा स्तुति करने लगी.. तभी अचानक मेरे फोन की रिंग बजी.. देखा तो मम्मी का था... मैंने बात करके उन्हें बताया तो उन्होंने मुझे गांव आने को बोल दिया.. मेरे लिए एक और सिर दर्द..!! कारण पूछने पर बताया कि बाजपेई अंकल अपनी फैमिली के साथ रात को डिनर पर अा रहे है.. शायद आज ही शादी की तारीख भी पक्की कर दें...! ये सुन कर तो मेरा रहा सहा दिमाग़ भी ख़राब हो गया था... मुझे भान ना रहा कि मै कहां हूं...!! मैंने तुरन्त फोन रखा और दांत पीसते हुए खीझ कर बोली... अलंकार बाजपेई... तुम मुझे बस एक बार मिल जाओ फिर मै तुम्हारा क्या करूंगी मुझे भी नहीं पता..!!
मेरी बात सुन कर मेरे बगल में बैठा लड़का मुझे देखने लगा, बदले में मैंने भी उसे घूर कर देखा...!! वो बस मुस्कुरा दिया और दूसरी तरफ देखने लगा...!! मै और खीज गई..
मेरी लाइफ की यहां बैंड बजी पड़ी है और लोगों को मुस्कुराने की पड़ी है...!! और ये बाजपेई जी का लड़का इसको क्या ज़रूरत है इतना अच्छा होने की...मेरे पापा तो इसकी तारीफों के पुल बांधते थकते नहीं...!! नहीं मतलब आधे इंडिया के बच्चो को शर्मा जी के बच्चो का ताना मारा जाता है और मेरे यहां बाजपेई जी के लड़के का...!! तीन साल से इस नाम ने मेरी जिंदगी की लंका लगा रखी है.. और जब से महासय की केंद्रीय सचिवालय में जॉब लगी है तब से तो कुछ ज्यादा ही....!! और किस्मत का खेल देखो आज उसी इंसान से मेरी शादी फिक्स होने वाली है....!! मै अपने सर पे हाथ रख कर बैठ गई और उस अलंकार बाजपेई को मन ही मन कोसने लगी..!! मेरे मन आवाज कुछ ज्यादा ही तेज थी जिसे सुन कर बगल वाला लड़का भी मुस्कुरा रहा था..!!!
थोड़ी देर बाद गाड़ी में ब्रेक लगा.. ड्राईवर ने बताया कि जाम लगे होने की वजह से वैन आगे नहीं जाएगी..!! मैंने फिर से अपना सिर पीट लिया... पता नहीं आज किसका मुंह देख कर उठी थी.. सुबह से कुछ ना कुछ गड़बड़ ही हो रही है मेरे साथ...!!! मैंने उसे पैसे दिए और इस ट्रैफिक जाम को कोसते हुए घर की तरफ बढ़ गई...!!
घर अा कर देखा पांच बज रहा है... ओह शिट बहुत देर हो गई... आग लगे इस ट्रैफिक को... बड़बड़ाती हुई जल्दी से कपड़े बदले और अपनी साइकिल उठा कर घर को ताला लगाया और गांव के लिए निकल पड़ी...!! गांव सिटी से मुश्किल से ढाई किलो मीटर ही था...!! सर्दियों का मौसम ऊपर से वरुण देव आज कुछ ज्यादा ही प्रसन्न हो चुके थे तो अंधेरा घिर आया था.. सड़क सुनसान हो चुकी थी...!! मुझे अब थोड़ा थोड़ा डर भी लग रहा था.. मैंने साइकिल की रफ्तार तेज कर दी...!! तभी एक तेज रफ्तार बाइक मेरे बगल से निकली मै डर के चौक गई...!!
ये साले लड़के भी ना बाइक तो ऐसे झन्न से निकालते है जैसे लड़की इनकी रफ्तार देख कर इन पर बिल्कुल फ्लैट हो जाएगी...!! मेरा मन तो उन्हें गरियाने का कर रहा था लेकिन मुंह से नहीं निकाल सकती थी क्यूंकि संस्कारी जो है हम...!!
मस्ती में साइकिल चलाते हुए आगे बढ़ी तो देखा वहीं लड़के सड़क पर अपनी बाइक लिए खड़े है.. सारा रास्ता रोक रखा था...!! मेरे दिल डर की वजह से उछल कर बाहर आ रहा था...!! सुनसान रास्ता, तीन लड़के, एक अकेली लड़की और ख़राब मौसम मैंने जितनी भी बुरी घटनाएं आज तक पेपर में पढ़ी थी सब याद अा रही थी...!! मै मन ही मन सारे देवताओं को जपने लगी...! कुछ देर पहले जो मन में उन सबके लिए अपशब्द निकले थे उसके लिए इज्जत से माफी भी मांग ली... लेकिन आज किस्मत ही खराब थी.. मै अब फंस चुकी थी...!! दूर दूर तक सड़क पर कोई दिख नहीं रहा था जिससे मदद ले सकती...!! ख़ैर हिम्मत करके साइकिल आगे बढ़ा दी.. जो होगा देखा जायेगा....!! लेकिन मेरी साइकिल वहां से निकल पाती कि तभी एक लड़के ने आगे अा कर उसका हैंडल पकड़ लिया...!! मेरे प्राण सूख गए..... लेकिन मैंने हिम्मत करके बोला.. रास्ता छोड़ो वरना अच्छा नहीं होगा...!! उन तीनों को मेरी धमकी जोक लगी और वो हंसने लगे... छोड़ने के लिए थोड़ी ही पकड़ा है.... इतने मस्त फिगर को बिना चखे कैसे छोड़ दें...!!
उनकी हंसी मेरे कानों में गर्म शीशे की तरह गिर रही थी....!! मैंने निकले का प्रयास किया और उसी प्रयास में मेरी साइकिल सड़क पर गिर पड़ी....!! मेरी डर के मारे हालत ख़राब होने लगी थी... आंखे भर आई थी...!! मै प्रार्थना कर रही थी... हे कान्हा या तो तुम्हीं अा जाओ या किसी को भेज दो...आज तुम्हारी इस भक्त की इज्जत ख़तरे में है....!! लेकिन कान्हा भी आज कल पुलिस वालों जैसे हो गए है टाइम पर कभी नहीं पहुंचते...!! मै उठ कर भागने की कोशिश की लेकिन उन तीनों में मुझे घेर लिया...बद्दी बातें करते हुए मेरी तरफ ही बढ़ने लगे.. उनमें से एक ने मेरा हाथ पकड़ा तो मैंने उसके हाथ पर काट लिया... और भागने को हुई तो दूसरे ने मुझे पकड़ कर मेरे गाल पर एक चाटा मार दिया...!! साला हरामी कुत्ता.. मेरे कोमलसे गोरे गाल को लाल कर दिया... साला इतनी तेज को कभी मेरी मां ने भी नहीं मारा...!!
चाटा पड़ते ही मेरा दिमाग भन्ना गया... अब होगा सो होगा लेकिन चाटें का बदला चाटा... मैंने भी प्रतिउत्तर में अपनी पूरी ताकत से उसे थप्पड़ जड़ दिया...!! मेरे थप्पड़ से वो तीनों ही बौखला गए... और मुझ पर झपट पड़े...!! मैंने भी लड़ने कि पूरी कोशिश की,पूरी ताकत के साथ चीघी भी लेकिन बारिश के उस शोर में मेरी आवाज घुट के रह गई....!! मै अकेली लड़की और वो तीन मुस्टंडे कहां तक मुकाबला कर पाती.. मै कमज़ोर पड़ने लग गई थी...!! मेरे कपड़े भी यहां वहां से फट गए थे...!! मेरी आंखो में बेतहाशा आंसू थे मै उनसे छोड़ने की गुहार लगा रही थी लेकिन उन शैतानों को कोई फर्क नहीं पड़ रहा था... वो दया हीन मेरी तड़प देख हंस रहे थे..!! उनमें से एक ने मेरी बाल पीछे से पकड़ लिए... और अपना चेहरा मेरी तरफ झुकाने लगा... मैंने कसमसाते हुए उस पर ही थूक दिया....!! तीनो ने गुस्से में अा कर मुझे झाड़ियों की तरफ फेंक दिया... मेरी पीठ बुरी तरह से छिल गई थी...!! मै रो पड़ी.!! कोई भी लड़की सपने में भी ऐसी परिस्थिति का सामना नहीं करना चाहती जिससे आज मै जूझ रही थी.... और आज मेरी लड़को के लिए नफ़रत और भी बढ़ चुकी थी....!! वो तीनो ही मेरी तरफ बढ़ने लगे...!! अब मुझे बचने कि कोई आस नहीं दिख रही थी..!! जैसे ही उनमें से एक मेरी तरफ झुका.. पीछे से एक मोटा सा डंडा अा कर उसके सर पर लगा... वो करहा कर वहीं चित हो गया...!! बाकी दोनों लड़के उस तरफ पलटे.. मैंने अपनी आंसू भारी आंखो से देखा कि एक लड़का बड़े गुस्से से उन दोनों की तरफ देख रहा था... उसकी आंखे गुस्से से लाल हो चुकी थी..!! मुझे तो ऐसा लगा जैसे कान्हा खुद मुझे बचाने अा गए हों....!! मुझे उम्मीद दिखाई दी...!! दोनों बचे हुए लड़के उसकी तरफ बढ़े तो उसने उन्हे भी मारना शुरू कर दिया...!! उसके साथ एक लड़का और भी था... दोनों ने मिल कर उन दोनों को अधमरा कर दिया था....!! मै ये सब वहीं सिकुड़ कर बैठे हुए देख रही थी...!! मुझे कुछ भी होश नहीं था... नॉनस्टॉप आंसू बहे जा रहे थे....!! मेरे कपड़ों की हालत देख कर उस लड़के ने अपनी जैकेट मेरे ऊपर डाल दी....!! मै कब तक रोती रही मुझे होश नहीं था.....!! और वो नामुराद बस चुपचाप खड़ा देखता रहा मुझे चुप कराने की भी कोशिश नहीं की...!!
थोड़ी देर बाद बोला... देखो चुप हो जाओ मुझे लड़कियों को चुप करना नहीं आता तुम अब बिल्कुल सुरक्षित हो...!!
उसकी आवाज सुन कर मैंने उसकी तरफ नज़रे उठाई तो देखा ये वहीं वैन वाला लड़का था.. जो मुझे देख कर मुस्कुरा रहा था....!!
चलो मै तुम्हे घर छोड़ दूं.. उसने धीरे से कहा तो मै खुद को संभालते हुए उठी लेकिन फिर लड़खड़ा गई... मै अभी भी डर की वजह से कांप रही थी...!! उसने तुरंत मुझे संभाल लिया...!!! उसके स्पर्श में सुरक्षा का भाव था...!! उसने अपने साथ वाले लड़के से मेरी साइकिल ले कर आने को कहा और खुद बाइक स्टार्ट की... मै उसकी जैकेट में खुद को संभाले उसके पीछे बैठ गई... मै अभी भी कांप रही थी...!! उसने मेरा हाथ पकड़ कर अपनी कमर के इर्द गिर्द लपेट दिया... और मजबूती से पकड़ने का बोल बाइक आगे बढ़ा दी...!! मै पूरे रास्ते एक शब्द नहीं बोली...!!
उसने मेरे घर के सामने मुझे उतारा मै खोई सी अंदर चली गई...!! शायद वो भी मेरे जाने के बाद चला गया...!!
मुझे इस तरह से आता देख मम्मी मेरे पास अाई... और सर पर हाथ रख कर पूछा क्या हुआ....!! मै मम्मी के गले लग कर फफक पड़ी....!! मम्मी भी डर गई... लेकिन मेरे मुंह से एक शब्द नहीं निकला...!! मै बस रोए जा रही थी..!! रोते रोते ही डर की अधिकता की वजह से मै बेहोश हो गई...!! जब होश आया तो मै विनी के कमरे में थी...!! मम्मी चाची दादी विनी सब मेरे आस पास थी..!! मुझे होश में देख विनी मेरे गले लग गई... आपको क्या हो गया था दीदी... हम कितना डर गए थे..!!
मै विनी को क्या बताती... वो छोटी है अभी ऐसी बातें सुन कर डर जाएगी इसलिए मैंने उसे किचेन से गर्म पानी लाने भेज दिया...!! उसके जाने के बाद जब दादी ने पूछा तो मैंने रोते हुए सारी बात बता दी...!! मेरी सुन कर मम्मी भी रोने लग गई...!! मै डरे हुए चूजे की तरह उनकी गोद में दुबक गई...!! दादी ने पूछा कि वो लड़का कौन था..?? अब मै क्या बताती मै खुद नहीं जानती थी लेकिन कोई भी हो वो मेरे लिए तो कान्हा से कम नहीं था...!! आज उसकी वजह से ही मै सुरक्षित थी...!! दादी पापा और चाचा से बात करने बाहर चली गई..!! मम्मी और चाची रात के लंच की तैयारियां करने चली गई...मै वही बेड पर ही दुबकी रही.. विनी समझी की मै बीमार हूं तो वो अपने हाथों से मेरा सर सहलाने लगी... और मै पड़े पड़े सीलिंग को घूरते हुए आज जो हुआ उसके बारे में सोच रही थी... कान्हा ने आज मर्द के दो रूप एक साथ दिखाए थे.. एक हवस से भरे शैतानी दरिंदे का और दूसरा लाज बचाने वाले कृष्ण का.... मेरा दिमाग़ घनघोर कन्फ्यूशन में था.. कौन सा सही है कौन सा गलत... लेकिन अब मेरी थेओरी और दृण हो गई थी।।
रात में सोते समय भी वही सब सपने में कई बार दिखा... डर और पानी में भिंगनें की वजह से तबीयत भी ख़राब हो गई थी...!! तीन दिन बाद जब मुझे होश आया तो मम्मी ने बताया कि पापा और चाचा ने उन लड़कों का पता लगा लिया था, वो तीनों उसी दिन हॉस्पिटल में पहुंच गए थे किसी ने उन्हें बहुत बुरी तरह मारा था.....!! मेरे साथ हुई घटना की जानकारी जब बाजपेई अंकल को पता चली तो वो भी अपनी तरह से उसे हैंडल करने लगे.. वो पुलिस में थे इसलिए उन्होंने संभाल लिया था...!! अब मेरा गांव से मन उचट चुका था.. मै सिटी वापस अा गई..!! कुछ दिनों तक तो दुख में डूबी रही लेकिन फिर सोचा क्या ही होगा शोक करके.. मै अकेली तो हूं नहीं जिसके साथ ऐसा कुछ हुआ है.. कितनी ही लड़कियां होती है जिनके साथ इससे भी वीभत्स स्तिथि बनती है.. वैसे भी लड़कियां इस दुनियां में सुरक्षित ही कहां हैं..!!
मै कुछ दिनों बाद ठीक हो गई.. और वापस से कॉलेज जाना शुरू कर दिया... लेकिन पता नहीं क्यों अब आंखे उस वैन वाले लड़के को सड़कों पर ढूंढा करती थी..
दूसरे दिन मै कुछ लेट हो गई थी इस वजह से मेरी बस छूट गई.. उस दिन फिर से मैंने वैन ले ली... बैठते ही अपने बगल में देखा शायद वो लड़का फिर से बैठा दिख जाए.. लेकिन वहां एक आंटी बैठी थी.. वो मुझे देख कर मुस्कुरा दी...!!
मै अब परेशान हो गई की पता नहीं मुझे क्या हो गया है.. मै हर जगह उसे है ढूंढ़ रही थी.. अभी इन बाईस सालों में मैंने कभी किसी लड़के के लिए ऐसा महसूस नहीं किया था.. जैसा उस अनजान वैन वाले लड़के के लिए कर रही थी.. लेकिन फिर अपनी उन भावनाओं का अनालिसिस किया और सोचा की उसने मेरी उस वक्त मदद की जब मै बहुत मुसीबत में थी शायद इस वजह से उससे जुड़ाव महसूस हो रहा हो....
कॉलेज से आते वक्त भी उसे ही ढूंढ़ती थी... लगता है अब मेरा मन मेरे बस में नहीं था...
हादसे की कुछ दिन हो चुके थे..!! मै पूरी तरह से नॉर्मल हो चुकी थी...!! दादी भी गांव से अा चुकी थी....!! उन्होंने उस दिन मंदिर जाने को बोला तो मै साथ चल दी...!!
रास्ते में दादी की नज़र मेरे हाथ पर पड़ी तो उन्होंने पूछा " कृता तुम्हारा रुद्राक्ष कहां है... कहां गिरा दिया...."
दादी के पुछनेपर मुझे भी याद आया कि मेरा रुद्राक्ष का ब्रेसलेट मेरे हाथ में नहीं है... शायद उस दिन उन लड़को से झड़प में वहीं गिर गया.. फिर अपनी दहसत में मै भूल ही गई....!! उस हादसे कि याद आते ही वैन वाले लड़के का चेहरा आंखों में घूम गया...!!!
उस दिन के बाद से वो मुझे फिर दिखा नहीं..लेकिन जब भी मैं अपनी अलमारी में रखी वो जैकेट देखती हूं तो यादों में चला आया है....!! कल तो हद ही हो गई उसकी इतनी तलब हुई की मै उसकी जैकेट पहन कर ही सो गई... ख़ुद पर हंसी भी अाई की कोई लड़का मुझे ऐसे कैसे इफेक्ट कर सकता है...!!
ख़ैर सोचते हुए मंदिर पहुंच गई..!! दर्शन के बाद दादी आकर पीपल के पेड़ के नीचे बैठ गई.. कुछ देर ही हुआ था कि बाजपेई आंटी ने अा कर दादी के पांव छुए और उनके साथ ही बैठ गई..!! दादी ने मुझे भी उनके पांव छूने का इशारा किया तो मैंने भी उनके पैर छू लिए....थोड़ी देर बात करने के बाद वो मेरी तरफ मुखातिब हुई और मेरे सर पर हाथ रखती हुई बोली "मैंने सुना था जो कृता के साथ हुआ... मै तो डर गई थी.. लेकिन कान्हा की कृपा से सब ठीक है... मै तो कहती हूं इनसे की जितनी जल्दी हो मै अपनी बहू को अपने घर ले जाऊं.. लेकिन ये हैं कि सुनते ही नहीं और अलंकार उसे भी बड़ी मुश्किल से छुट्टियां मिलती हैं और हर बार कुछ ना कुछ हो जाता है इस बार भी एक दिन की ही छुट्टी मिली थी लेकिन फिर वो सब कुछ........." कह कर आंटी थोड़ा चुप हो गई..
" अच्छा अम्मा मै क्या कह रही थी कि संक्रान्ति अा रही... उस दिन अलंकार भी अा जाएगा उस दिन पक्का कर देते है...."
दादी ने भी उनकी बात में हामी भर दी.. और मै फिर से मेरे पापा के उस नयन तारे के बारे में सोच रही थी जिसे मै इस हादसे और उस वैन वाले लड़के के चक्कर में भूल गई थी...!!
आज संक्रांति है... और आज मेरा वो दुश्मन ए जान अलंकार बाजपेई अपनी फैमिली के साथ अा रहा है..!! फाइनली आज मै उस इंसान से मिलूंगी जिसने अब तक मेरा जाने कितने लीटर खून जलाया है.. जिसकी महादशा पिछले तीन साल से मेरी जिंदगी में चल रही है.. जिसकी हर उपलब्धि पर पापा ने उसका गुणगान किया है और मुझे बल्क में तानें मिले है..!!
ख़ैर आज घर में खूब चहल पहल थी... खिचड़ी के साथ ही तरह तरह के पकवान भी बन रहे थे..लेकिन मेरा मन कुछ करने को नहीं हो रहा था.. पता नहीं क्यूं आज उस वैन वाले लड़के की शिद्दत से याद अा रही थी... कहीं ऐसा तो नहीं कि मुझे प्यार व्यार हो गया हो उससे... ख़ैर मैंने ऐसे खतरनाक ख्यालों को अपने दिमाग से झटका और अपने काम में लग गई...!!
बाजपेई फैमिली अा चुकी थी और पापा जी सबको अपने साथ ऊपर छत पर धूप में ले कर चले गए थे...!! मम्मी ने मुझे और विनी। को चाय नाश्ता ले कर भेज दिया....!!
मैंने आकर नाश्ता टेबल पर रखा और अंकल आंटी के पैर छू कर नजर इधर उधर घुमाई...
मेरे पापा का लाडला छत के सबसे आखिरी कोने में मेरे छोटे भाई के साथ पतंग उड़ा रहा था...
मेरी रातों की नींद उड़ा कर यहां पतंग उड़ा रहा है.. मेरा मन बडबडा उठा..!!
उसकी पीठ मेरी तरफ थी इसलिए उसका चेहरा नहीं दे पा रही थी... फिर मम्मी के बुलाने पर नीचे अा गई.. किचेन में उनका हाथ बटाने...
डाइनिंग टेबल पर सब लोग मौजूद थे केवल उस छोड़ कर.. वो अभी भी मेरे भाई के साथ पतंग उड़ाने में व्यस्त था....!!
बच्चो के साथ बच्चा बन जाता है अभी भी पतंग उड़ा रहा है... आंटी हंसती हुई बोली तो पापा ने मुझे कहा
" कृता जाओ जा कर अलंकार को बुला लाओ.." मै जाने को सीढ़ियों कि तरफ अाई तो पापा मेरे पीछे अा गए " और सुनो उससे बात कर लेना... अच्छा लड़का है लेकिन तुम्हारी हां के बिना रिश्ता पक्का नहीं होगा..."
पापा की पसंद पर मुझे पूरा भरोसा था इसीलिए तो मैंने बिना देखे ही हां कर दी थी लेकिन पापा की बात सुन कर मैंने धीरे से सिर हिला दिया... मै सीढ़ियां चढ़ने लगी...मेरा एक एक कदम मेरे दिल दिमाग हलचल मचा रहा था....!! दिमाग़ पापा की पसंद पर भरोसा कर रहा था और दिल उस वैन वाले लड़के को याद कर रहा था...
आख़िरी सीढ़ी पर थी तब कानों में भाई की खुशी से चिल्लाती आवाज गूंज उठी देखा तो वो अलंकार को गले लगाए चिल्ला रहा था शायद उन दोनों ने मिल कर सामने वाले ठाकुर साहब के बच्चो की पतंग काट दी थी.. जिनसे मेरे भाई का महामुकाबला रहता है.. मै सबको बता कर आता हूं...वो चिल्लाते हुए नीचे की तरफ भागा..
अब वहां केवल मै थी और वो था..!! वो अभी भी रेलिंग के पास खड़ा उड़ती हुई पतंगों को देख रहा था.. मै धीरे से उसके पास गई और हिचकते हुए उसको बुलाया..
" अलंकार...!!"
वो मुस्कुराते हुए मेरी तरफ पलटा.. और उसे देख कर मेरे तो होश उड़ गए.. मै ठगी सी उसे देख रही थी.. सामने वहीं वैन वाला लड़का था जिसकी वजह से उस दिन मेरा सम्मान सुरक्षित बचा था.... मै उसे अपलक देख रही थी उसके बुलाने से मै होश में अाई.. वो मुस्कुराते हुए मेरी तरफ देख रहा था...
" तू.. तुम..!!" मेरे मुंह सी शब्द नहीं निकल रहे थे..
" हा अलंकृता मै.. अलंकार बाजपेई..!!"
" तुम तो वहीं हो ना जिसने उस दिन मेरी..." आगे मेरे शब्द नहीं निकले...
उसने सर हिला दिया... अब मेरी काटो तो खून नहीं वाली हालत थी.. उस दिन वैन में जितने भी पवित्र शब्द बोले थे उन सबके लिए खेद हो रहा था... क्यूंकि उसने वो सारे शब्द अच्छे से सुने थे... मै खुद की ही उधेड़बुन में थी... दिमाग़ का तो पता नहीं लेकिन दिल बल्लियों उछल रहा था... मतलब जिसको ढूंढा गली गली वो मुझे मेरे पीछे वाली गली में मिली.. ख़ैर मेरे मामले में मिला था...
ख़ैर मै घबराहट से अपनी उंगलियां आपस में उलझा रही थी और उसकी निगाह मेरे चेहरे पर थी..
आखिर मैंने हिम्मत करके उसे सॉरी बोल ही दिया...
" उस दिन के लिए सॉरी.." मैंने धीरे से कहा
" मैंने बुरा नहीं माना...!!" वो मुझे देखते हुए बोला..
मैंने उसे अविश्वास से देखा..
" अब ऐसे तो मत देखो... मुझे पता है तुम मुझसे कितना चिढ़ती हो...."
मैंने उससे नज़रे चुरा ली... मतलब तब तो फिर इसको ये भी पता होगा कि मैंने इसको कौन कौन सी उपमाएं दे रखी है...
उसकी नज़रे मुझपर ही थी जो मेरी जान अटकाने के लिए काफी थी...
" और पता है मै भी तुमसे उतना ही चिढ़ता था.. शायद उससे ज्यादा..."
" लेकिन क्यूं..." मैंने पूरी मासूमियत से सवाल दागा...
" क्यूंकि मेरे घर में सबको तुम बहुत पसंद हो... सब बस तुम्हारी ही तारीफे करते रहते थे.. कृता कितनी खुशमिजाज है.. कृता कितनी जिंदा दिल है... कृता ये है कृता वो.. कृता.. कृता.. कृता... तंग अा गया था इस नाम से.. चिढ़ होने लगी थी तुम्हारी तारीफों से... जब भी मम्मी मासी के घर से वापस आती तुम्हारे हूं गुणगान गाने लगती.... "
मैंने उसे आंखे छोटी करके लगभग घूरते हुए कहा.. " तो शादी ही क्यूं कर रहे हो..."
" क्यूंकि अब नहीं चिढ़ता ना...."
" और वो क्यूं...."
" क्यूंकि अब तुम मुझे पसंद हो..."
मै मुंह खोले बस उसे ही देख रही थी... वो मेरी स्तिथि देख कर मुस्कुरा दिया मैंने झेप कर नजर सीधी कर ली..
" मासी के घर आया था तब पहली बार देखा था तुम्हे... विनी के साथ बारिश में डांस कर रही थी.. उन्मुक्त सी अल्हड़ सी वो लड़की कब इस दिल को भा गई पता ही नहीं चला... और मम्मी की मुंह से निकलती तुम्हारी तारीफें इस पसंदगी को और गाढ़ा करती चली गई....!! उस दिन वैन में तुम्हे पूरे छह महीने बाद देखा था.... बिल्कुल पास से.. और तुम्हारे मुंह से अपनी तारीफे सुन कर खुद को मुस्कुराने से रोक नहीं पाया था.... वैसे मै बहुत कम ही मुस्कुराता हूं लेकिन तुम्हारा ख्याल होठों पर अपने आप ही मुस्कान ले आता है...." उसकी बात सुन कर मैंने उसकी आंखो में देखा... कुछ था वहां... ख़ैर उसकी बाते मेरे दिल में हलचल मचा रही थी और पेट में तितलियां उड़ रही थी...
" उस दिन रात में मै तुमसे मिलने ही अा रहा था.. मम्मी ने कहा था लेकिन जब तुम्हे उन लड़कों के बीच देख तो मेरा खून खौल उठा था... मन कर रहा था उनको जान से मार दूं... कृता... मै तुम्हे बता नहीं सकता कि मै कितना डर गया था उस दिन... मै सोच के भी घबरा जाता हूं कि अगर मै थोड़ी सी भी देर कर देता तो क्या होता....!! पता है जब तुम रो रही थी तब मन कर रहा था कि खींच कर तुम्हे अपने सीने से लगा लूं... लेकिन तुम गलत ना समझो बस इसलिए खुद को रोके खड़ा रहा...."
मै बस चुपचाप उसको सुन रही थी.. मेरी आंखो में नमी अा गई थी... दोनों ही शांत थे तब मै बोली
" पता है मुझे बारिश बिल्कुल नहीं पसंद..
.लेकिन उस दिन के बाद से थोड़ी सी पसंद हो गई है... क्यूंकि ना तो उस दिन बारिश होती ना वो हादसा और ना ही तुम मिलते.. और ना ही मेरे विचार तुम्हारे लिए बदलते....!!" कह कर मै चुप हो गई तो वो मेरी तरफ देखने लगा.. कुछ पल के लिए हमारी नज़रे मिली थी...
" लड़को के लिए मेरी सोच ज्यादा अच्छी नहीं है... शायद इसलिए कि अब तक जितने भी देखे आवारा और बत्तमिज टाइप के ही देखे... यहां मोहल्ले में भी सब ऐसे ही हैं.. और उस दिन के बाद तो नफ़रत सी हो गई थी लेकिन सिर्फ तुम्हारी वजह से वो नफ़रत मुझ पर हावी नहीं हुई...."
" सब एक जैसे नहीं होते...."
" हूं पता है एक्सेप्शन होते है... जैसे तुम..."
कह कर मै मुस्कुरा दी तो बदले में वो भी मुस्कुरा दिया.... आज ध्यान से उसको देखा था... पापा की चॉइस सच में एक दम कमाल होती है... सूरत और सीरत दोनों ही बवाल है और मुस्कुराते हुए तो कतई जहर लगता है....
" तो अब कैसी सोच है तुम्हारी मेरे बारे में..."
" उस दिन के बाद जब मै ठीक हुई और कॉलेज जाने लगी तो नज़रे हर वक्त सड़क पर तुम्हे ही ढूंढ़ती थी.... तुम्हारी वो जैकेट रोज याद दिलाती थी तुम्हारी... आज सोचा था अलंकार बाजपेई पर अपने तीन साल की भड़ास निकाल दूंगी और वो मुझे मना कर देगा.... क्यूंकि दिल में किसी और को रख कर किसी और से शादी नहीं कर सकती... लेकिन तुम्हे देख कर दिल दिमाग सब कुछ देर शून्य हो गया...😊
अब तुम्हीं बताओ क्या सोच होगी तुम्हारे बारे में....."
मै उसे देख कर ये सब बोल रही थी और वो सामने देखते हुए मुस्कुरा रहा था.... कुछ देर खामोशी सी छाई रही हमारे बीच शायद शब्द ढूंढ़ रहे थे... फिर अलंकार ने अपनी जेब से मेरा रुद्राक्ष का ब्रेसलेट निकाला और मेरे हाथ में पहनता हुआ बोला
" मिस अलंकृता त्रिपाठी तो क्या मै ये मान लूं कि आपको ये लड़का पसंद है आपको अब मिसेज अलंकार बाजपेई बनने में कोई ऑब्जेक्शन नहीं है...!!"
मैंने उसके प्रपोजल पर मुस्कुराते हुए हामी भर दी... " हां मुझे पूरा का पूरा पसंद है...."
" सोच लीजिए... मुझे गुस्सा बहुत आता है.."
" मै कम कर दूंगी..."
" मुझे घर का खाना ही पसंद है...."
" मै अच्छा खाना बनाती हूं..."
" मेरी लेट नाइट ड्यूटी रहती है..."
" मै इंतजार कर लूंगी...."
उसने मुस्कुराते हुए मेरी तरफ हाथ बढ़ा दिया.. मैंने भी अपना हाथ उसके हाथ में रख दिया उसकी पकड़ मजबूत हो गई.... हम दोनों ही आसमान में उड़ती पतंगों को देख रहे थे..... और मै अपने कान्हा को थैंक्यू कह रही थी.... जिंदगी में पहला लड़का जो इतना पसंद आया उसको बिन मांगे ही मुझे दे दिया था......
और इस तरह से एक और प्रेम कहानी शुरू हो गई........