आज का विषय बड़ा प्यारा है -:" मन का मीत।"
मीत का अर्थ है -: मित्र या साथी।
मीत या साथी चुने तो अच्छे व्यक्ति को ही चुने।
शराबियों को अगर मीत बनायेंगे तो सारा जीवन आपका शराब पीने में ही व्यर्थ चला जायेगा।
स्वाति नक्षत्र का एक बूंद जल यदि समुद्र में पड़े किसी सीपी में समा जाएं तो वह मोती बनता है और यदि वही एक बूंद जल केले के पत्ते में गिर जाएं तो कपूर और यदि वह एक बूंद जल सांप के मुंह में चला जाएं तो विष।
ये एक बूंद जल जिसे भी अपना मीत बनाता
है खुद उसकी के अनुरूप ढल जाता हैं।
सोच समझकर मीत बनाया करें। ख़ुद प्रसन्न रहें और औरों को भी प्रसन्न रखने कि कोशिश करते हुए जीवन जिएं।
"आजकल तो स्कूल हो या कॉलेज हर जगह फैशन का ही दौर जारी है। किसी को अपना मित्र या मीत बनाने से पहले आप ये जरूर देखें कि उसका नेचर कैसा है?"
" मेरे मन का मीत तो बस मेरी किताबें हैं जो कभी भी मुझे अकेली नहीं छोड़ती। क़िताब में लिखी हुई बातों को पढ़कर उसमें डूबकर एक अलग ही मजा आता है।"
" मेरी बहुत सारी दोस्त थी। लेकिन एक ही बनी सबसे अच्छी दोस्त।
"आशा।"
वो सबसे अलग लगती थी मुझे। उसके साथ रहना मेरे लिए भगवान के साथ रहने जितना मायने रखता था। मुझे भी मेरा मन का मीत मिला था, ये दोस्ती आगे बढ़ती जा रही थी लेकिन कहते हैं ना, कि परिवर्तन तो प्रकृति का नियम है। वो भी अब बदलने लगी। 8वीं के एग्जाम होने के बाद वो पूरी तरह से बदल गई थी। मैने सोचा कि ऐसे दोस्तों को मन का मीत बनाने से अच्छा है किसी ऐसे को अपना मीत बनाऊं जो मेरा साथ कभी छोड़े ही न। वो तो चली गई लेकिन मेरे मन का मीत हर वक्त मेरे साथ रहता है। जब चाहूं उससे बाते कर सकती हूं वो इंसानों कि तरह नही है जो मेरी एक भी गलती कि वजह से मुझे अलविदा कह दे। वो बहुत ही अच्छी है मेरी क़िताब.. मेरे मन का मीत।"
एक गाना याद आ रहा हैं दिव्या भारती जी ने गाया था एक फिल्म में...
आप जो मेरे मीत न होते....🌝
तो...होठों पे मेरे गीत न होते।
ये जीवन है क्या मीत बिना...
ये जीवन है क्या गीत बिना..।
आप जो मेरे मीत न होते..
तो..होठों पे मेरे गीत न होते।
मेरे मन के मीत यूं ही. हमेशा मेरे साथ रहना।🥳
समाप्त।