अनीश की कहानी....
एक छोटे से प्यारे से गांव में एक छोटा - सा, साधारण - सा बच्चा रहता था। उस बच्चे नाम अनीश था । वो बहुत ही अच्छा बच्चा था। सदा दूसरों की सहायता करने के लिए सदैव तत्पर रहता था।
एक दिन, अनीश अपने विद्यालय से घर जा रहा था। राह में, उसे एक उम्र दराज महिला दिखाई दी। वह महिला बहुत थकी हुई व परेशान - सी लग रही थी। अनीश ने महिला से पूछा, "दादीजी, क्या मैं आपकी सहायता कर सकता हूंँ?"
महिला ने कहा, "हाँ, मैं बहुत ही थक गई हूं। क्या बेटा मुझे, मेरे घर तक ले जा सकते हो?"
अनीश ने कहा, "जी दादीजी, मैं आपको ले जा सकता हूं।"
अनीश, महिला को उसके घर तक ले गया। महिला ने अनीश को धन्यवाद दिया और कहा, "तुम बहुत अच्छे लड़के हो।"
अनीश दिल से बहुत खुश हुआ। उसने विचार किया, "मुझे खुशी है कि मैं दूसरों की सहायता कर सकता हूं।"
अनीश और महिला की दोस्ती हो गई। वह दरसल महिला से मिलने उसके घर जाता था। महिला अनीश को कहानियां सुनाया करती थी।
एक दिन, महिला का स्वास्थ्य बहुत ही गिर गया था। उसे चिकित्सालय में उपचार कराना पड़ा व रहना पड़ा। अनीश रोज दिन महिला से मिलने चिकित्सालय जाता था। वह महिला की सार सम्भाल करता था।
महिला को अनीश के द्वारा सेवा करना बहुत अच्छा लगा। वह अनीश से कहा, "तुम मेरे लिए एक बेटे की तरह हो।"
अनीश बहुत खुश हुआ। उसने विचार किया, "मुझे खुशी है कि मैं दूसरों की सहायता कर सकता हूं।"
महिला कुछ दिनों बाद स्वस्थ हो गई। अनीश भी बहुत खुश हुआ। वह महिला से हाल चाल पहुंचने उसके घर गया।
महिला ने अनीश को एक झोली दी गई। उस झोली में एक पहनने की बिठ्ठी थी। महिला ने अनीश से कहा, "यह बिठ्ठी तुम्हारी मेहनत और दयालुता के लिए है।"
अनीश ने वह बिठ्ठी हाथ की अंगुली में पहन ली। उसने विचार किया, "यह हाथ की अंगुली की बिठ्ठी हमेशा याद दिलाएगी कि मैं हमेशा दूसरों की सहायता करूं।"
सीख:- हमे हमेशा दूसरो की सहायता करनी चाहिए।