shabd-logo

बरगद ( कहानी प्रथम क़िश्त)

14 अप्रैल 2022

18 बार देखा गया 18
बरगद  ( कहानी प्रथम क़िश्त)

मुलायम सिंग पढाई में बहुत तेज़ था । साथ ही वह रिजर्व स्वभाव का था व ज़ेहन से बहुत ही कड़क भी । लोगों को खरी खरी सुना देना फिर वह रोने भी लगे तो मुलायम को कोई फ़र्क नहीं पड़ता था ।वह आई पी एस की परीक्षा दिलाकर चयनित हो गया । फिर लंबी ट्रेनिंग और पोलिस विभाग के विभिन्न पदों पर अनुभव प्रापत करके दुर्ग ज़िले का एस पी बन गया । विभाग में उसे बेहद कड़क और ईमानदार अधिकारी माना जाता था । छोटे अधिकारी उनके कमरे में उनके पास जाने में कतराते थे कि कहीं कुछ खरी खोटी सुननी न पड़ जाये ।
इस बीच उसकी शादी हो गई । पत्नी सुशीला सिंग नाम के अनुरूप बेहद ही सुशील और धर्म परायण थी । समय गुज़रता गया । मुलायम सिंग की पोस्टिंग अलग अलग जगहों में होती रही और कुछ सालों में वे दुर्ग संभाग के आई जी बन गये । उनक एक पुत्र संजय सिंग 12 वीं में पहुंच गया और पुत्री नेहा सिंग क्लास 9 वीं में पहुंच गई । पुत्र संजय सिंग एक सामान्य बुद्धि का विद्यार्थी था । पर वह क्रिकेट का एक बेहतरीन खिलाड़ी था । अकेले उसके ही दम से उसका स्कूल क्रिकेट में सारे संभाग का चेंपियन था । एक साल बाद वह कालेज पहुंच गया । कालेज में भी वह पढाई के साथ क्रिकेट में अपनी भागीदारी दर्ज़ कराने लगा । उसके ही दम से उसका कालेज उस साल यूनिवर्सिटी का चैंपियन बन गया । कालेज के शिक्षक गण उसके खेल के कायल हो गये और वे अक्सर कहते थे कि तुम्हें अच्छी कोचिंग मिले तो तुम अंतरराष्ट्रीय स्तर के क्रिकेट के खिलाड़ी बन सकते हो । दो साल और गुज़र गये । संजय सिंग बीएससी पास कर चुका । इस बीच उसे क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड से आफ़र मिलता है कि मुंबई में ट्रेनिंग के लिए तुम्हारा चयन हो गया है । तुम अपनी और अपने पेरेन्ट्स की सहमति लिखित में हमें भेजो । 
संजय सिंग अपने पिता से बहुत डरते थे क्यूंकि उनके पिता का व्यौहार घर में भी बेहद कड़क रहता था । और वे घर में भी किसी से जियादा बात नहीं करते थे । संजय ने जब अपने पिता को यह बात बताई कि उसका चयन क्रिकेट ट्रे्निंग के लिए सीसीआई ने किया है । उसे तीन महीने तक मुंबई में ट्रेनिंग के लिए जाना है । तो उनके पिता ने कहा कि अपनी पढाई लिखाई पर पहले ध्यान दो । पहले अपना कैरियर बना लो फिर जो चाहे करना । इसके पूर्व तुम खेल को टाईम पास का ही साधन समझो । जवाब में संजय ने पिता से कहा कि पढाई में मैं बहुत अह्छा नहीं हूं और एक स्तर से उपर नहीं जा सकता । इसके इतर क्रिकेट में मेरा भविष्य जियादा सुरक्षित रहेगा । इतना सुनते ही मुलायम के पिता ने उसे3-4झापड़ जड़ दिये । और कहने लगे कि क्या तुम मुझे समझाओगे कि तुम्हारे भविष्य के लिए कौन सा रस्ता सही होगा ? जाओ आगे की पढाई की तैयारी करो । तुम्हें अच्छा जाब दिलाने की ज़िम्मेदारी मेरी । खेल कूद तो नौकरी में रहते रहते कर सकते हो । जाओ मेरा समय खोटा न करो । इस तरह संजय का रस्ता उसके पिताजी ने ही रोक दिया । वह निराशा भाव से अपने कमरे में जाकर रोने लगा । उसे समझ नहीं आ रहा था कि इतने अच्छे अवसर को हाथ से कैसे जाने दूं । वह यह सोचते सोचते नींद की गोद में समा गया । इस तरह संजय अपने पिता के आदेश के खिलाफ़ जा न  सका और दो साल एमएससी बाटनी में प्रवेश लेकर पढाई में व्यस्त रहा । वह एम एस सी 55 प्रतिश्त नंबरों से पास हुआ फिर जाब के लिए यूपीएस्सी और पीएस्सी की परीक्षा दिलाते रहा पर उसका चयन किसी भी पद के लिए नहीं हो पाया । उसके पिता भी उसकी जाब के लिए कोशिश करते रहे पर परिणाम सिफ़र ही रहा । 6 महीने खाली बैठने के कारण संजय परेशान हो गया । तब उसने एक स्कूल में पीटी आई का पद ज्वाइन करके विभिन्न खेलों के अलावा क्रिकेट का प्र्शिक्ष्ण देने लगा । 
उधर संजय की छोटी बहन नेहा कालेज पहुंच गई । वह ओडिसी की एक अच्छी न्रित्यांगना थी । वह चाहती थी कि किसी बड़े डांस एकादमी में ज्वायन करके नृत्य में ही अपना कैरियर बनाया जाय । यहां भी उसके पिताजी आड़े आ गये । उन्होंने नेहा से साफ़ साफ़ कह दिया कि नाच गाना हमारे परिवार की परंपरा नहीं है न ही हम अपने लोगों को इस कार्य को करने कहते हैं । पढाई तुम चाहे जितना कर लो । हमें कोई तकलीफ़ नहीं है  । पर उसके बाद विवाह कर अपना घर बसाओ और घर संभालो । इस तरह नेहा के अरमानों पर भी पानी फिर गया । वैसे नेहा की मम्मी संजय और नेहा का पक्ष लेती रही पर मुलायम ने उसे यह कहते हुए खारिज़ कर दिया कि तुम क्या जानो कि ज़िन्दगी कैसे अच्छे से चलती है । तुम तो चुल्हा चक्की से बाहर की दुनिया जानती ही नहीं हो । वास्तव में नेहा की माता जी एक घरेलू महिला थी और वह अपने पति से बेहद खौफ़ भी खाती थी । 

एक साल तो इस परिवार के शान्ति से गुज़रे पर साल के समाप्त ओते होते संजय घर से भागकर मूंबई आ गया और वहां क्रिकेट में अपनी भूमिका तलाश करने लगा । इस तारतम्य में उसने मूंबई के सबसे अच्छे कोच दांडेकर साहब को अपना गुरु बनाकर उनकी सेवा करने लगा । 
उधर नेहा भी अपने ही ग्रुप के एक लड़के, मनीष शर्मा से प्यार करने लगी और मनीष भी अपना कैरियर क्लासिकल डांस में ही बनाना चाहता था । दोनों ने बिना परिवार के सदस्यों को जानकारी दिये विवाह कर लिया और फिर वे भाग कर पूना चले गये । वहां वे पूना के प्र्ख्यात नृत्यांगना  मृदुला शर्मा जी के नृत्य एकादमी में काम भी करने लगे और नृत्य कला के नये नये आयामों को सीखने व साधने भी लगे ,। 

नेहा के मनीष के साथ भाग जाने व विवाह कर लेने की बात जब नेहा के पिता मुलायम सिंग जी को पता चली तो वे बेहद नाराज़ हुए ।उन्हें बहुत जल्द पता चल गया कि वे लोग पूना में मृदुला जी की पनाह में हैं । तब उन्होंने मृदुला जी को फोन द्व्रारा धमकाया कि नेहा और मनीष को अपनी एकादमी से बाहर करो । उन्हें आश्रय मत दो वरना आपका बहुत बुरा होगा । मृदुला शर्मा जी जानती थी कि नेहा और मनीष दोनों की बहुत ज्यादा रुचि नृतय में है और वे दोनों अच्छे से सीख भी चुके थे । वे कुछ समय और मेहनत करेंगे तो वे राष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बना सकते थे । उन दोनों के अंदर ऐसी संभावना थी । चूंकि मृदुला पूना की एक जानी मानी हस्ती थे और उन्हें पूना के लगभग सारे अधिकारी गण जानते भी थे और मानते भी थे अत: उन्हें मालूम था कि छत्तीसगढ का एक आई जी अकारण उनका कुछ नहीं बिगड़ सकता । महाराष्ट्र के डीजीपी मलय शर्मा भी मृदुला जी के दूर के रिश्तेदार थे । मृदुला जी ने जब मुलायम जी की धमकाने वाली बात मलय जी को बताई तो मलय जी ने कहा कि आज के बाद आपके पास उस आई जी की तरफ़ से कोई दबाव नहीं बनाया जायेगा । ये मेरा वादा है । इस तरह मुलायम जी को पीछे हटना पड़ा । वे दोनों बच्चों को कोसते हुए अपनी पत्नी सुशीला को दोष देते थे कि यह सब तुम्हारे द्वारा दिये गये संस्कार का नतीज़ा है । यहां ऐशो आराम की ज़िन्दगी छोड़ कर वहां पूना – मुंबई में भटकने से उन्हें क्या मिलेगा ।

( क्रमशः )
2
रचनाएँ
बरगद
0.0
मुलायम सिंग बहुत ही कडक स्वभाव के पोलिस अधिकारी थे। उनके पुत्र संजय सिंग व पुत्री नेहा सिंग उनसे बेहद डराते थे। संजय क्रिकेट का बेहतरीन खिलाड़ी था पर उनके पिता उन्हें क्रिकेट खेलने से मना करते थे वहीं पुत्री नेहा सिंग नृत्य सीखने पूना जाना चाहती थी पर उनके पिता उसे भी नृत्य के लिये मना करते थे ।

किताब पढ़िए

लेख पढ़िए