shabd-logo

अश्क

26 मई 2022

28 बार देखा गया 28
empty-viewयह लेख अभी आपके लिए उपलब्ध नहीं है कृपया इस पुस्तक को खरीदिये ताकि आप यह लेख को पढ़ सकें
135
रचनाएँ
प्राची सिंह मुंगेरी की डायरी
5.0
दिल से निकले अल्फाजों को एक तस्वीह में पिरोकर भावनाओं से श्रृंगार किया है। कुछएक चिट्ठियां लिखीं है शर्माजी की याद में! उम्मीद है दिल को छूकर मन को सुकून पहुंचाएगी। कविता और नज़्म से कोरे पन्नों को जज्बातों से रंग दिया है उम्मीद है पाठकों को निराश नहीं करेगी। उम्मीद बहुत है और इंसानी फितरत त्रुटियां होगी और शायद करती रहूंगी! तबतक,जबतक कि कोई मुझसे बेहतर अपनी जिम्मेवारियां न उठा ले।
1

आंसू

23 मार्च 2022
2
2
2

आंसूद्वारा:-प्राची सिंह "मुंगेरी"है बड़ा बेजुबां सा....इश्क़ नहीं आंखों का पानी....बिना गहराई में भी ये मन डूब जाता है....टूटा जो दिल कभी....आंखें बेहिसाब रोता है ....कहानी जो कभी उसकी थी...आज़ वो मेर

2

गर डर होता खुदा का

23 मार्च 2022
1
2
2

गर डर होता खुदा काद्वारा:-प्राची सिंह "मुंगेरी"होता गर बस इतना सा यकीं.....कि मेरे गुनाहों पे है बस उनकी नज़र ...क्या ज़रूरत थी फिर अदालतों की...डर हर किसी में बस एक खुदा का होता।।ना कोई छोटा होता....

3

अनकही बातें

24 मार्च 2022
0
1
0

बातें कितनी कनकही रही....इश्क़ के किस्सों में उम्र भी रही गुजर...झूठ बोलना तो बहाना है...मरके भी बस तेरे दिल में रहना है।।#प्राची सिंह "मुंगेरी "

4

इश्क़

27 मार्च 2022
3
2
2

इश्क़ ही निभा रहे हैं हम...बुलाये नहीं कभी तो आए कैसे....झूठ बोलना तो आदत नहीं मेरी....तुमको सता के,क्या जी पायेंगे हम।।

5

ईश्वर की रोटियां

7 अप्रैल 2022
4
3
2

जिन्हें हम अपनी मेहनत से पाते हैं,उसको खुदा की मेहरबानी समझते हैं,जिनको देखा नहीं कभी इन आंखों ने,कैसे मूंद के आंखें उनके दर्शन करते हैं,देखना कभी उन दानवीरों को,चंद पैसे बचाये थे अपना मुंह काट - काट

6

मुक्तक

8 अप्रैल 2022
0
1
0

मुक्तकप्राची सिंह "मुंगेरी"मेरे मन के घर में...भावनाओं की दीवार से तुम...मेरी खुशी....दीवारों पर चिपकी किसी तस्वीर की तरह...जिसे मैं रोज़ सुबह - सुबह साफ़ करती हूं...कभी दुपट्टे की किनारी से....तो कभी

7

रिश्तों का धागा

15 अप्रैल 2022
0
1
0

लोग ताउम्र बुनते हैं रिश्तों का धागा,जीवनपर्यंत,स्नेह की डोरी से,विश्वास और चाहत सेऔर ख़ुद को झोंक देते हैं,इसे खूबसूरत बनाने मेंपर कुछ डोरे कमज़ोर हुआ करती हैअक्सर टूट जाती है!कच्चे धागों में फिर गां

8

मेरे विचार

16 अप्रैल 2022
2
2
1

मेरे विचार:-द्वारा :- प्राची सिंह "मुंगेरी"***प्रेम पूर्णत: मूर्खतापूर्ण भावना है,क्योंकि आप कभी भी उस व्यक्ति से जीतना नहीं चाहते जिससे आप प्रेम करते हैं।***प्रेम में आत्मसम्मान जैसी कोई चीज़ नहीं हो

9

इक ख़्वाब तो दो

24 अप्रैल 2022
1
2
2

इक ख़्वाब तो दोद्वारा:-प्राची सिंह "मुंगेरी"तुम मुझे इक ख़्वाब तो दो,नींदों में थोड़ा आराम तो दो,कोरा था जो सच.....उसे विश्वास की हवा तो दो ।मुझे,तुम ख़ुद को भूलने की नसीहत ना देना,माना कि थोड़ा बेपरव

10

शायरी

24 अप्रैल 2022
0
1
0

देखो हमने भी क्या - क्या झमेले पाले हैं,इश्क़ में गुलाब नहीं टोकरी भर - भरके गेंदे बांटे हैं,वो कहते बोलने का शहूर नहीं तुझेलिखने में हम तो जनाब क्या - क्या लिख डाले हैं।।#प्राची सिंह "मुंगेरी"

11

शायरी

25 अप्रैल 2022
2
3
2

हमने टोह न ली तेरे मन की,गलती करी अब परेशां हूं,जाना है मुझे सुदूर वादियों में,यहां तेरी ग़जलों को भीमेरी महक तक ना मिले।।

12

शायरी

25 अप्रैल 2022
3
3
0

माना मुहब्बत अधूरी है...आप गज़ल तो पूरी लिखिए...देख लेना आप उन रेतों को...जो फिसलते बहुत है आज़...क़दम चूमेंगे आके इक दिन....हवाओं का रुख़ इधर तो आने दें।।

13

शायरी

26 अप्रैल 2022
1
1
0

तुझ तक जो ना पहुंचे,वो आवाज़ कैसी!!!!ऐ हमराज, दिल से पुकारा करूंगी तुझे....सुनना तुम आवाज़ मेरी।।

14

मुट्ठी में रेतीलें सपने

27 अप्रैल 2022
0
1
0

मुट्ठी में रेतीलें सपनेद्वारा:-प्राची सिंह "मुंगेरी"मुट्ठी में भींचे रेतीलें सपने,कहां चैन से सोने देते हैं,बहुत कुछ पकड़ना चाहा मुट्ठी में,कभी फिसला रेत सा बचपन,मुट्ठी में तपता,तड़पता रेतीला समंदर...

15

दिल

28 अप्रैल 2022
1
1
0

दिलद्वारा:-प्राची सिंह "मुंगेरी"**कि ऐ दिल तुझे कितना समझाये,क्यों अपना बेहाल - हाल लिखते हो,कोई पढ़े ना पढ़े....हम तो बेवजह ....दिल - ए - बर्बाद....खामकां सारा हाल लिखते हैं।।**दिल का लगाना उसी से हो

16

लिखना था कुछ

29 अप्रैल 2022
1
2
2

लिखना था कुछद्वारा:- प्राची सिंह "मुंगेरी"सोचता बहुत हूंबस लिखता नहीं सबआंखें चार थीबोलते सभी हैपर करते नहींलिखना और भी कुछ थाशायद मोहब्बतकोई खुशीछोटा सा गमआंखों की नमीया आंखों का काजललिखना था समंदरनी

17

मज़दूर

1 मई 2022
1
2
2

मजदूरद्वारा:- प्राची सिंह "मुंगेरी"आज भी ईंटों की भट्ठियों में अरमां हमारे पकाये जाते हैं,ना मैं सुबह देखताना देर शाम तक थकतामेरे परिश्रम से पत्थर भी थर्राते हैं कभी ना होता अपने कामों से परेशानम

18

विचार

3 मई 2022
1
1
0

मेरे विचार:-"जिन लोगों की कोई नहीं सुनता वो बोलना छोड़ देते हैंफिर इक दिन कहानियों में उनके किस्से बड़ी दिलचस्पी से सुनाये जाते हैं।"द्वारा:-प्राची सिंह"मुंगेरी"

19

इज़्जत

3 मई 2022
1
1
2

इज्ज़तद्वारा:-प्राची सिंह "मुंगेरी"इज्ज़त दूसरों की हो तोउतारने में कोई कसर नहीं छोड़ते,जो अपनी हो तो लोग जां तक दे देते हैं,ये इज्ज़त है साहबइसके लिए लोग अपने आप को भी दाव पे लगा देते हैं,नहीं मिलता

20

विचार

6 मई 2022
1
2
2

मैं हमेशा वो नहीं लिखना चाहती कि जो सब पढ़ेकभी - कभी मैं सिर्फ़ वही जानबूझ कर लिखतीजो सब जानते और समझते हैं।।

21

क्या होगा!!!!

6 मई 2022
1
1
0

क्या होगाद्वारा:-प्राची सिंह "मुंगेरी"क्या होगा उस दिनजिस दिन मैं दिनभर तुम्हारे इंतज़ार में हूंगीऔर शायद तुम आ जाओंमुझे बाहों में भर लोऔर बोल दोपगली आज़ भी नहीं सुधरीक्यों सुबह से शाम कियाक्यों पूरा

22

कुछ ख़ाली पन्ने

8 मई 2022
1
2
1

"कुछ पन्ने खाली होते हैंएहसासों से भरे, नि:शब्दजिसमें कुछ लिखा नहीं जाताना किसी छवि से उसे सजायी जाती हैक्योंकि वो शक्ति अदृश्य होती हैये शक्ति प्रार्थना,त्याग, तपस्या और बलिदान हैये मां हैये यूनिवर्स

23

विचार

9 मई 2022
0
1
0

"मेरी भावनाएं मुझसे कवितायें लिखवातीं हैं तो कहानियां मुझे अपने पात्र के तौर पर हमेशा ढूंढ़ निकालती है।।"द्वारा:-प्राची सिंह"मुंगेरी"

24

उम्मीद

11 मई 2022
0
1
0

उम्मीद पे ज़िंदा हूंमैं वही पागल इंसान हूंकमियां तो बहुत है मुझमेंलेकिन एक दिन कमियां को निकाल समन्दर में फेकेंगेकुछ नहीं तो भी कुछ ना कुछ हम कर जायेंगेइक छोटा सा प्रयास और हम इतिहास बदल जाय

25

बेवफ़ा

15 मई 2022
0
1
0

बेवफ़ाद्वारा:-प्राची सिंह "मुंगेरी"सोच -समझ के रखना इश्क़ के गलियों में क़दम,आजकल बेवफ़ाई के किस्से बड़े मशहूर हुआ करते हैं।दिल चाहता है नाम तुम्हारा बेवफ़ा दे दूं, खाएं जो हमने,तुमसे इतने धोखे हैं।इक

26

एकांत

15 मई 2022
0
1
0

"कवियों का एकांत,उसके हमसफ़र जैसा होता है, जो मन का अकेलापन तो नहीं बांटता मगर एक नई कविता लिखने को उसके मन में प्रचुर भावनाऐं भरता है,जिसे वो किसी पुरुष या किसी महिला से नहीं बांटना चाहते।"#प्राची सि

27

इश्क़ अधूरा

17 मई 2022
0
1
0

मेरे ज़ख्म रिस्ते हैं,याद तेरी आने से।क्या दर्द तुझे भी होता है,मेरे यूं चले जाने से।सोचा ना था कि हम ऐसे बेबस हो बिछड़ेंगेनाम तेरा लेंगे और ऐसे आहे भरेंगेमरेंगे तेरी यादों मेंऔर लोगों को न ख़बर

28

औरत

18 मई 2022
0
1
0

पत्थरों को सिंदूर लगे तो वो देवता हुये,औरतों को सिंदूर लगे वो सुहागिन बेचारी बनी,कभी पति से दुत्कारी गईतो कभी आग में जलाई गई,कभी बच्चों से अपमानित हुईतो कभी पड़ोसियों से निहारी गई,औरत होना ही संघर्ष ह

29

झलक

21 मई 2022
1
1
0

शीर्षक:- झलकद्वारा:- प्राची सिंह "मुंगेरी"तेरी इक झलक को,ये दिल कब से बेकरार है,तू रहती है जाने कहांतुझे देखे बिना ....कहां इस दिल को करार है।समझ नहीं आताकैसे तेरी इक झलक मिलेगीमैं कड़ी धूप मेंते

30

मेरा रास्ता

22 मई 2022
0
1
0

फिकर ना कर कि जल्दी ही वो समय भी आयेगा,मुझे जितना सताया तुमने बिन बातों का,उन हिसाबों को, हर दिन क़िस्त में चुकायेगातू बैठा राह में मेरी इंतज़ार की इन्तहा तक जायेगा,मैं गुजरूंगी भी उसी रास्ते से

31

अश्क

26 मई 2022
0
1
0

अश्कद्वारा:-प्राची सिंह "मुंगेरी"अश्कों के गिरे मोती आंखों में फिर डाले ना गए,मर गए हैं तेरे इश्क़ में ज़ालिमतेरे सताए हुए हम ऐसे टूट के बिखरे किकभी फिर इन होठों से मुस्कुराए नहीं गए।अश्कों का जो ये ख

32

सिलवटें

30 मई 2022
0
1
0

सिलवटेंद्वारा:-प्राची सिंह "मुंगेरी"* चादर की सिलवटें सबने देखीमन का शिकन किसी ने नहीं पढ़ा।।*माथे पर पड़ी सिलवटें तुम्हें परेशां बता रही हैं,बोलो इतनी खामोशी से आज किसका दिल तोड़ आये।।*हम दुपट्ट

33

टुकड़ा भर हूं

2 जून 2022
1
2
0

टुकड़ा भर हूंद्वारा:-प्राची सिंह "मुंगेरी"अभी तो टुकड़ा भर हूंख़ुद को समेट लिया तो आसमां बनुंगी बादलों से थोड़ी ऊपर हूं,आसमां तो अभी नहीं हूं,महकती बूंदों की तरहरिमझिम बरसात बनूंगी कोई गीत ब

34

मेरे विचार

3 जून 2022
0
1
0

उपयोग में लाई चीजें ही महत्वपूर्ण होती है चाहे वो ज्ञान हो,अहंकार हो,धन हो,पवित्र वस्तु हो,या कोई पवित्र किताब ।बिना उपयोग के कुछ सार्थक नहीं।चाहे ज्ञान हो या किसी का दिया अपमानमान लीजिए आप बहुत अच्छे

35

पत्र

11 जून 2022
0
1
0

ऐ दिले नादां तुम हमेशा खुश रहना!आरजू थी हमारी कि हम अपने तरफ़ से अपनी नाकामयाबियों की बातें ना करेंगे।खुश रहेंगे इतना कि गम की परछाई भी हम

36

इंतज़ार

25 जून 2022
1
1
0

इंतज़ारप्रेम साथ चलता हैसाथ रहता नहीं कभी भीमंजिल तो इक ही होती हैपटरियों की भीऔर प्रेम की भीइक साथ चलने कीइक इंतज़ार में जीने कीइक ही आस में मरने की भी।सोचा था मैंनेखूबसूरत रखूंगी प्रेम से भरे इन पन्

37

तलाश

26 जून 2022
0
1
0

तलाशख़ुद के तलाश में ख़ुद को तलाश रहा हूंकोशिश है मन की उद्विग्नता को समेटु भागते शहर में अपना सुंकू तलाशुढूंढ लाऊं मैं वो खुशियांजिसकी आगोश में मैं पूरा समा जाऊं। मैं इक ज़िंदगी ढूंढ रहा हू

38

तेरी याद

26 जून 2022
0
1
0

तेरी यादइक याद तेरी आती हैऔर दर्द बढ़ जाता हैतुझे ये हरे ज़ख्म नहीं दिखतेयादों के दर्द के,कड़वे काढ़े हम कबतक,कैसे पिएं और उसपे खुशियों का मरहम कैसे लगाएं!बहुत हुआ लुका - छिपीख़्वाबों में तेरा यू

39

मिट्टी का आशीष

28 जून 2022
0
1
0

मिट्टी का आशीषमाता,पिता का आशीष सभी को प्राप्त होता है।ये कितने भी बड़े लोग हो लेकिन मिट्टी की तरह कोमल और परोपकारी होते हैं।जन्मतिथि से लेकर मृत्युशैय्या तक,इनके ना जाने कितने अंगिनित कर्ज़ होते हैं

40

शायरी

3 जुलाई 2022
0
1
0

कतरा, कतरा पीके मेरी आंखों सेआप इसे हाला कहते हैं,माना बहुत बदनाम है नामों से,फिर लगाके कई जाम इन सरबती आंखों से,और नाम नशे का मधुशाला कहते हैं।।#प्राची सिंह "मुंगेरी"

41

विचार

8 जुलाई 2022
0
1
0

चीजें जो बहुत अच्छी लगती हैं दरअसल कई सारी गलतियों के बाद सुधरी होती है।।#प्राची सिंह "मुंगेरी"

42

प्यार का गणित

8 जुलाई 2022
0
1
0

तपते, तड़पाते धूप के बाद प्रकृति का प्यार जब वर्षा की बूंदे बन धरती पर पड़ती है तो धरती हरी - भरी दिखाई देने लगती है।ऐसे ही जीवन की तपती जेठ में, प्यार भी सावन की तरह आता है कुछ दिन तो उमंगों की फुहार

43

शायरी

9 जुलाई 2022
0
1
0

इश्क को इबादत समझते हैं<div>कोई खेल क्यों कहे!</div><div>मोहब्बत तो मोहब्बत है,</div><div>जल जाए जिससे दिल</div><div>ऐसी जिंदगानी क्यों कहें !</div><div>दर्द तो इक आरजू है</div><div>मुहब्बत भरे दिलों

44

बातें अनमोल

12 जुलाई 2022
0
1
0

दुनियां की सबसे बेहतर खुशबू मुझे दैनिक अखबारों में ही मिलती है एक तो इनका हर दिन का नयापन ऊपर से कागज़ों की खुशबू का सौंधापन।सबसे बदबूदार मुझे ख़ुद का पसीना ही लगता है क्योंकि ये मुझे सफ़लता के संघर्

45

शायरी

12 जुलाई 2022
1
2
2

सदमा तो कई बातों का है मुझे...इक तेरे पास रहने का....इक उनसे दूर रहने का...कभी मौसम की उदासियों का...कभी दिल में मरघट पसारे तन्हाइयों का।।#प्राची सिंह "मुंगेरी"

46

बातें अनमोल

13 जुलाई 2022
0
1
0

कवियों के जीवन में प्यार,सर से ऊपर गुजर जाने वाली बसंती हवा की तरह है जो गुजरते हुए मौहाल को खुशनुमा बना देती तो हैं लेकिन ठहराव नहीं समेट पाती।साथ केवल बस इक इनका नितांत अकेलापन ही रह पाता है बाक़ी स

47

मैं जब प्रधानमंत्री बन जाऊंगा

16 जुलाई 2022
1
1
0

मैं जब प्रधानमंत्री बन जाऊंगामैं जब प्रधानमंत्री बन जाऊंगाले आऊंगा विदेशों से अपना पैसाकाली कमाई कोई भी रख नहीं पायेगासुधरेंगे देश के हालातखाते में सबके पंद्रह - पंद्रह लाख रुपए जायेंगेहर घर में नल -

48

बरसात के दिन

17 जुलाई 2022
1
2
1

बरसात के दिनगर्मियों के बादमौसम ने थोड़ी सी अगड़ाई ले ली हैकभी तेज़ धूप तोकभी छांव सुंकूं की आती जाती है।नींदों के साथ छुपन - छुपाई लगी हैतेरी यादों की कसमबारिश के मौसम में भीतेरी यादों की झड़ियां आनी

49

तेरे नैना

20 जुलाई 2022
1
1
0

तेरे नैनादेख तेरे नैना नगमें और गीत लिखते हैंभटकते रहते हैं इश्क़ की राहों मेंचाहते हैं तुम्हें और इश्क़ बेपनाह लिखते हैं।जब खुशियां क़बूल तेरीतो तेरे गम से कहां डरते हैंमुहब्बत करने वाले दिलऐसी छोटी

50

शायरी

21 जुलाई 2022
2
1
1

सफ़र जारी है....कंधों का सहारा दिया कीजिए,कई रातों की रतजगी है....जरा चैन से नींद में सोने तो दीजिए।।#प्राची ❤️🚆

51

प्रिय मन

22 जुलाई 2022
0
1
0

प्रिय मन प्रेम....क्रमश: .......प्रेम......!!याद तो हमेशा रहती है कि मैं सिर्फ़ शरीर हूं और तुम शरीर में बसने वाले देवता।कितना भी सम्मोहन छोड़ने की कोशिश

52

खुशियों की चाभी

23 जुलाई 2022
0
1
0

खुशियों की चाभीइक चाभी बनवाकर खुशियों वाली,अपार संभावनाएं से भरी बरसात,खुशियों की मैं करना चाहती हूं,दीप जलाकर प्रेम अगन कीमन को मैं ज़िंदा रखना चाहती हूं।सैलाब उमड़ा जो गम का कभीइसी चाभी से कैद,गमों

53

प्रेम पीड़ा

24 जुलाई 2022
1
1
1

प्रेम पीड़ावो जो आंखों में ठहर जाती है पीड़ा बनकरवो जो कभी आंखों से बह जाती है मृगतृष्णा बनकरचाहा तो था उसे न कभी चाहूंपर इश्क़ उतार लाती है वोआज़ भी ख्वाबों,ख्यालों में आकरलिखता हूं मैं उन ज़ख्मों को

54

सफ़ल नियम

27 जुलाई 2022
0
1
0

सफ़ल नियमप्रेम की बारिश सुदूर क्षेत्रों में पड़ती है तो झ्मम -झम की आवाज़ बड़ी सुहावनी लगती है लेकिन ज्यों -ज्यों बारिश पास आ नज़दीक में बरसने लगती है तो फुहारें तन मन को तो भींगों ही जाती है,साथ ही क

55

कोरे कागज़ पे प्रेम

1 अगस्त 2022
0
1
0

कोरे कागज़ पे प्रेमगर प्रेम कोरे कागज पे लिखा जाता तो कोई भी कागज़ कोरा न होता,अधूरी प्रेम कथाओं से कागज़ पे नमी मिलती।कुछ सिसकन,दर्द और नमी से उग आने वाली हरियाली मिलती।दम तोड़ती जिरह में फंसी अनेकान

56

मुर्दे इश्क़

5 अगस्त 2022
0
1
0

मुर्दे इश्क़किताबों में मिलें मुर्दे इश्क़ कब्रे दफ़न में कईआज़ ज़िंदा मुर्दे मिले हैं तरसे पन्नों पे आज़कुछ ख़ास यादें ताजा करेंगेकुछ अनकही कहानी जज्बातों से भरीसारी दुनिया की परेशानी

57

आंखों को तेरा दीदार

7 अगस्त 2022
1
1
2

आंखों को तेरा दीदारचल दर्द में थोड़ी सी राहत की बात ढूंढते हैंबिना तेरे दीदार इन आंखों को इक बार बंद कर देखते हैंतू मिले या खुदा दिखे.....बंद आंखों का दीदार इन्हें कहते हैं याद में तेरी याद.....च

58

प्रथमभाव

11 अगस्त 2022
0
1
0

प्रथमभावआत्मा से पहले परमात्मा की परिभाषा किसने लिखवाई,ज्ञान से पहले अज्ञानता की बातें किसने समझाई,किसने लिखी वो पावस की प्रथम कविताजिसमें भाव से पहले भावना आई,जिसमें भींगा मन, आज़ तक ठिठुरन में दातें

59

बिछोह की किताब

11 अगस्त 2022
0
1
0

बिछोह की किताब प्रियतम की जुदाई, जब वियोग बन,सीने को सहलाती है तो दिल का दर्द आह बन जाती है।जिंदगी के पन्ने चिथड़ों में लिपटे, सर्द रात की हवाओं में कराह उठती है यही दर्द जब पन्नों पर उकेरा जाता

60

हम उनके इश्क़ में

14 अगस्त 2022
0
1
0

हम उनके इश्क़ में...हम उनके इश्क़ में...….बड़े बेचैन से रहते हैं,वो मुझे देख ही, सुबह ,शाम जीते हैं,देख मेरी आंखें को,वो आंखों का काजल लिखते हैं,काली रातों को मेरी आंखों का कजरा....मुहब्बत का रंग श्या

61

सुकून

16 अगस्त 2022
0
1
0

सुकूनसुकून की छांव में हम मुस्कुराने लगे हैं,मिली मुहब्बत तेरी मुझको....और ये जहां के गम...हम दिल से भुलाने लगे हैं।चांदनी रात के स्वप्नों सी....मोंगरे, पारिजात से सजायी लगती हो उतर आती हो आंखों

62

मेरे विचार

17 अगस्त 2022
0
1
0

मेरे विचार:-अपने कर्मकांडों को स्वीकार कर जो सफेदी बालों में आती है ना,उस बुढ़ापे में जीने का उमंग ही संसार का परम आनंद है।स्वीकार करना सीखें:- प्रेम अथवा नफरत।।राधे राधे 🙏🙏🌸🌸❤️❤️प्राची सिंह "मुंग

63

इश्क़

19 अगस्त 2022
0
1
0

इश्क़है इश्क़ तुझसे,क्यों ये बात मुझे सबसे छुपानी पड़ती है,है दिल में दर्द इतना,बोल तो सही,कहां इसकी दवाई मिलती है!पहले प्यार में बदनामी,हजार बार होनी चाहिए,आजकल तेरे इश्क़ में हैं हम,ये बात सारे जहां

64

प्रेम

19 अगस्त 2022
1
2
0

प्रेमप्रेम,मुझे हमेशा कठिन वैराग्य लगा!क्योंकि हृदय में किसी के लिए भी प्रेम की अत्यधिक मात्रा में जुड़ाव महसूस करना,कठिन वैराग्य ही उत्पन्न कर देती है और वैरागी शांत हो जाया करते हैं अक्सर।आपने उन्हे

65

एहसासों की खुशबू

20 अगस्त 2022
1
1
0

एहसासों की खुशबूएहसासों की खुशबू,हवा बन जब सांसों में बस जाती है,तुम तो बस यादों में ही याद आते हो,बीत रही हूं तुममें और मैं व्यतीत हुई जाती हूं,व्यक्ति नहीं व्यक्तित्व हूं मैंलिखी तुम्हारी मुहब्बत मे

66

दिल की बात

21 अगस्त 2022
0
1
0

दिल की बातकुछ बातें अपनी तरफ़ से रखते तो जानते,मुहल्ले में कोहराम मचा है,दिल में शोर कर जाते तो जानते,लगता है कि आज़ फिर से मेरी याद आ रही है,लगा कर तकिए को सीने से,मुझसे इश्क़ की, बात की जा रही है,ते

67

इश्क़ की जुबां

22 अगस्त 2022
1
2
0

इश्क़ की जुबांकौन कहता है इश्क़ बेजुबां सी होती है,हुस्न ओ जमाल सारे रंग दिखाती हैदिल डूब मर भी जाए तो ...ऐ खुदा महबूब के दीदार से.....तसव्वुफ में जां आ जाती हैं।याद के गुलाबी पल...काफ़िर आंखों में बस

68

हाला

23 अगस्त 2022
1
1
2

हाल से हाला याद आयी,वो जो देख मेरी आंखों में पिया करते हैं ....गिरते रहे हम बूंदों में बदल...हाला की मानी...बुलबुलों को नाम मेरा देकरबेदर्दे,यूं क्यों मुझे निहारा करता है...तू इश्क़ कर मुझसे...ना मुझे

69

उस मोड़ पर प्यार

24 अगस्त 2022
2
1
2

उस मोड़ पर प्यारइक मोड़ से समझा दिल को....तेरे पास मोड़ लाया हूं,लिखता रहा कोरे कागज़ पर एकाकीपन...क्या रहनुमा बनने तू इस दिल में आया है!जंगल सा बिहड़पन....दरख़्तों सी ऊंचाई है....गिरते पत्ते सूखे गुल

70

अरमानों के दीप जलाएं रखना

26 अगस्त 2022
0
1
0

अरमानों के दीप जलाएं रखनादिल में अरमानों के दीप जलाएं रखना ...ना ही किया शुरू तो खत्म भी ना करना...मिलना क्या ज़रूरी है....इश्क़ में झमेले करना क्या इतना भी ज़रूरी है.....कहानी तेरी मेरी यूं ही हर जनम

71

तेरी तस्वीर

30 अगस्त 2022
1
1
0

तेरी तस्वीरमैं तेरी इक तस्वीर की खातिर...बंद पड़ी सारी अलमारी यादों की....खोल के ढूंढ इक तस्वीर तेरी निकाल लाया हूं...जिसमें देख रही तू मुझे....और तुझमें, मैं नज़र आ रहा हूं....तेरी आंखें थोड़ी सी बंद

72

दुरियों का गम

1 सितम्बर 2022
1
2
0

दुरियों का गमइक तेरे ना मिलने का गम है!सोचा तुझे हरवक्त उतना....जितना तू कभी मिला ही नहीं मुझे....मिला मुझे क्या!गम और रंज के सिवा...लोग कहते मुझे.... जो भी है वो क्या ख़ूब है!ख़ूब मिले प्यार मेर

73

ज़िंदगी की पतंग

2 सितम्बर 2022
1
1
0

ज़िंदगी की पतंगज़िंदगी की पतंग उलझ गई है....जाके तेरे छत पे फंस सी गई है.....डोर दिल की, पंतग जैसी कट गई है....जाके तेरे छत पे, मेरे पास आना भूल गई है।दिखा था मुझको तेरी आंखों में मुहब्बत का काला जादू

74

धड़कन

4 सितम्बर 2022
0
1
0

धड़कनदिलों को ज़िंदगी का साज लिखते हैं ...धड़कनों को बड़ा बेकरार लिखते हैं....है इश्क़ तुमसे कितना....जान लो जाने जाना.....हम क्यूं तेरे दीदार को इतना बेकरार रहते हैं!ना सुबह देखा ना शाम देखा....इश्क़

75

दर्दों के लफ्ज़

4 सितम्बर 2022
0
1
0

दर्दों के लफ्ज़दर्द जब - जब असहनीय होगा,शब्दों को लफ्ज़ देकर कविताएं गढ़ी जायेंगी,मुहब्बत के मारे दिल अपनी आहत भावनाएं को लफ्जों में संवारेंगे। आसमां के आफताब से कोहिनूर का नूर पिघलेगा और द

76

पत्र

7 सितम्बर 2022
1
1
0

प्रिय प्रेम(शर्माजी) सप्रेम स्मरण!दिल बहुत कुछ कहता है, सुना आपने!आप तो नहीं आते पर आपकी यादें, बंद दरवाज़े और खिड़कियां नही

77

मुहब्बत के चार दिन

8 सितम्बर 2022
2
2
2

मुहब्बत के चार दिनमुहब्बत के चार दिन में...उमर बीती दो सौ साल....नाम छुपाके तेरा सीने में....गुलज़ार हुआ मुहब्बत का संसार!चार दिन की दोस्ती यारी....बदनामी की उम्र सौ साल दे गया...जाते - जाते वो मेरी ज

78

मन का मतलब

13 सितम्बर 2022
0
1
0

मन का मतलबछोटी सी दुनियां मुहब्बत की...मन का मतलब क्यों बन जाता है....आज़ आपके इश्क़ में डूबे....कल की शाम में उनकी बारी आती है....कैसी बन चुकी मुहब्बत की दुनियां....कैसे कोई इतना तलबगार....मतलब का बन

79

हिंदी दिवस

14 सितम्बर 2022
2
2
2

हिंदी दिवसदुर्भाग्य या संयोग!हिंदुस्तान में बसर कर रहे लोग हिंदी दिवस समारोह मनाते हैं!जाते - जाते हिंदुस्तान से अंग्रेज़ हिंदुस्तानियों के सीने में से हिंदी निकाल कर ले गए!हम हिंदी रहे नहीं बस सोच मे

80

मुलाकात

18 सितम्बर 2022
1
1
0

मुलाकातसुनो मुलाकातों पे ही नज़रें दो चार करते हैं.....इश्क़ है तुमसे कितना .....बातों ही बातों में इज़हार कर लेते हैं.....सुना है इश्क़ होता है बड़ा बेदर्द......फिर निकाल के क्यों सीने से दिल....ये ज

81

प्रियतम का इंतज़ार

24 सितम्बर 2022
1
1
0

प्रियतम का इंतज़ारमधुर मिलन के श्रृंगार सजाए मिलना जीवन के उस पार .....प्रियतम युगों युगों से कर रही हूं ....विरह वेदना की आग में जलके ...... मैं इक लंबा सा इंतज़ार !इस स्नेहिल मन में तू प्रेम अग

82

विरह के गीत

26 सितम्बर 2022
2
1
0

विरह के गीतशब्दों की लांघ के सीमा....इस विरह में जिरह झेल ना पाऊंगी...जन्मों की विरहनी मैं......तेरी आने की राहों में.....पग - पग पर मैं चौमुख दिए बार ...तेरे इंतज़ार में बैठूंगी!मन में इक आस जगी है..

83

पत्र

28 सितम्बर 2022
0
1
0

प्रिय प्रेम (शर्माजी) सप्रेम याद!आपके आने की प्रतीक्षा में,कुछ ख्याल बुन लिए है मैंने!मुहब्बत के तराने गुनगुनाने के लिए!&nbsp

84

ज़िंदगी क्या चाहती है!

2 अक्टूबर 2022
1
1
0

ज़िंदगी क्या चाहती है!ज़िंदगी क्या चाहती है!खुद के अंतर्मन से उपजा एक सुलभ सा सवाल है!जवाब छोटा है लेकिन सम्भावनाओं से भरी हुई दुनियां में जवाब के मतलब भिन्न - भिन्न!जाहिर सी बात है कि भागमभाग भरी इस

85

चाहत

3 अक्टूबर 2022
0
1
0

चाहतदिलों को साज लिखते हैं....मुहब्बत की चाहत ऐ दिल तु..तुझे चाहत का अरमान कहते हैं....प्यार जगा जा दिल में.....यूं ही नहीं तुझे हम याद करते हैं।तेरी यादों की महकती खुशबू से चाहत की बातें याद आई है...

86

पानी का प्रेम पत्थर

4 अक्टूबर 2022
1
1
0

पानी का प्रेम पत्थरप्रेम का पानी जब पत्थर से टकराता है...प्रीत भी पत्थर दिल हो जाता है....जब पानी हार के मन अपना....पत्थर से लिपट जाता है....फिर पानी अपना रंग खोकर ....पत्थर हो जाता है.....फिर वो देवत

87

मेरी यात्रा

7 अक्टूबर 2022
1
2
0

मेरी यात्रामेरी यात्राओं में दशरथपुर,रायपुर और रामपुर आते रहते हैं !लेकिन मन का सुकून देने वाला कैलाश नहीं आता!सुना है कैलाश पर उम्र बहुत तेज़ी से बढ़ते हैं,बाल सफ़ेद हो जाते हैं नाखूनों के अत्यधिक बढ

88

कल्पनाओं में प्रेम

9 अक्टूबर 2022
2
2
0

कल्पनाओं में प्रेमजितना प्रेम लिख देते हो कोरे कागज़ पे.....उतना तो हकीकत में भी जी नहीं पाते हो....लिख देते हो भरे - भरे नयन के अश्रु..... ख़ाली तुम अपना मन कर लेते हो....तुम देते रह

89

पत्र

9 अक्टूबर 2022
1
2
0

प्रिय प्रेम (शर्माजी) सप्रेम स्मरण!यादों में ही आना जाना लगा रहेगा कि शरत पूर्णिमा की चांदनी रात में दिलों की धड़कनों

90

तारीफ़ में "हम" अपनी क्या कहें

12 अक्टूबर 2022
1
2
0

शीर्षक:- तारीफ़ में "हम"अपनी क्या कहें ❤️❤️Prachi Singh मुंगेरी:-❤️❤️तारीफ़ में "हम"अपनी क्या कहें.....बोलेंगे भी तो हम,बात उनकी ही करेंगे....हम रहते हैं उनके इश्क़ में.....उनके फेरे में रहना, मे

91

पत्र

14 अक्टूबर 2022
1
1
0

प्रिय प्रेम (शर्माजी) सप्रेम स्मरण!मेरा भागना और चीज़ों का छूटना अनवरत जारी है!जाने ये छूटने और भागने की श्रृंखला कब

92

कसम

17 अक्टूबर 2022
0
1
0

कसम कसम है खुदा की, नाम से तेरे हमजिन्दगी जी लेंगे अपनी....तुम ना करो कोई वादा पूरा तो क्या गम है सनम.....हम आज़ भी जीते हैं....कसम से,तेरे नाम से अपनी जिन्दगी!तेरे वादे की कसम....उस अनंत तक तेरे

93

सत्य हुआ बेसुध

21 अक्टूबर 2022
1
2
0

सत्य हुआ बेसुधसत्य जंगल में बेसुध अवस्था में पड़ा है ढूंढने की कोशिश में जान को ख़तरा है!दुनियांदारी में सत्य का कोई अस्तित्व नहीं!मिला जुला रूप में चलने पर मन अस्वीकृत हो आत्मा को ऐसी धिक्कार लगाता ह

94

हाल ऐ दिल

22 अक्टूबर 2022
0
1
0

हाल - ऐ - दिलविरह वेदना की ताप लिखे....या मन का संताप लिखे....दिल में जो तुफां मचा रहा....उन यादों का भूचाल लिखे!अबकी दीवाली में हे प्रिय.....बोलो, ये विरहनी कैसे! अपने बेहाल दिल का हाल लिखे.....

95

मन

26 अक्टूबर 2022
0
1
0

मनउद्विग्नता में भागा हुआ मन..…पानी के बुलबुलों में उबलता हुआ मौन....पानी की रवानी में बहता हुआ मन....पानी की सतहों पर आकर ठहरा हुआ मन....किसी के इंतज़ार में ठहरा हुआ मन.....किसी के स्नेह में सिंचित ह

96

पत्र

28 अक्टूबर 2022
0
1
0

प्रिय प्रेम (शर्माजी) सप्रेम स्मरण आपके बिन कितने तन्हा हम.....!ये तो पता नहीं लेकिन गमें मंज़िल पर टूटे दिल का बोझ सं

97

पागल सी वो लड़की

29 अक्टूबर 2022
0
1
0

पागल सी वो लड़कीपागल सी वो लड़की.....उसकी आंखों में,मेरी प्यार की कश्ती डुबी है......हो चुका मैं उसका....तुम मेरे,तुम मेरे, किसी और के क्या हो पाओगे....जो हो गये कभी तुम मेरे, वो किसी गैर का कहां,कब ह

98

पिया भए परदेशी

2 नवम्बर 2022
0
1
0

पिया भए परदेशीकौने देसवा में मोर नैनन सुख के बिसराय गए....पिया भए अब मोर परदेशी.....सब सुख चैन मोर हेराय गए.....जो राह निहारे मोर मनवा....कैसे निर्मोही इतना इतराए रहे!कौने देसवा में मोर नैनन के सुख बि

99

इक तेरी आरजू में

5 नवम्बर 2022
0
1
0

इक तेरे काबिल बनने के चक्कर में पूरे ज़माने में नाकाबिल हो चुके हैं!दिल ऐसे हारे तेरे इश्क़ में कि ख़ुद से ही बेखुद हो चुके हैं!इक तेरी आरजू लिए ज़िंदा है बस.....और आगे की कोई चाहत रखते नहीं.....मर चु

100

कुछ टूटा लगता है

5 नवम्बर 2022
0
1
0

कुछ टूटा लगता हैकुछ टूटा लगता है कुछ तो बिखरा लगता हैआजकल तू मेरे अंदर रूठा सा लगता हैबोलने के ज़ुबां कई हैसुनने वाले मौन भी समझते हैंमैं बोलूं भी क्या फ़र्क पड़ता हैजब सुनने वाला शख्स, मुझसे दूर

101

ऑनलाइन प्यार हुआ

8 नवम्बर 2022
0
1
0

ऑनलाइन प्यार हुआ ऐसा भी इक बार इत्तेफ़ाक हुआऑनलाइन मुझे भी अपने प्यार से इकरार हुआसीरियस लड़के भी प्यार में पड़ते हैं इत्तेफ़ाक से उनकी इक नज़र पड़ीमेरी नज़रों में,उनकी नज़रों ने देखादेख दिल

102

अपना गम छुपाना होगा

10 नवम्बर 2022
0
1
0

अपना गम छुपाना होगातुम्हें खुश देख,विरह वेदना छुपाना होगादिल लाख रोए,आंखों में खुशियों के रंग दिखाना होगादिल पर पत्थर रखके अपना गम छुपाना होगातुम याद न करो तो क्या गम होगायाद तुम्हें तो मुझे रखना होगा

103

तन्हां ज़िंदगी

16 नवम्बर 2022
0
1
0

तन्हां ज़िंदगीतन्हां ज़िंदगी के सफ़र बिन तेरे कटते नहीं है....मिलो तो कभी आके इस सरजमीं पे ......इश्क़ की राहों में ठोकरें बहुत है.....तन्हां ज़िंदगी के सफ़र में बिना तेरे सुकून कहां है!राहें मुहब्बत

104

निरंतर आगे बढ़ना पड़ेगा

24 नवम्बर 2022
0
1
0

निरंतर आगे बढ़ना पड़ेगारास्ते बुलाते हैं तो चलना पड़ेगाबिना रुके और थकेबिना थामे किसी का हाथआगे बढ़ने की प्रतिस्पर्धा को ज़ारी रखना पड़ेगानिरंतर आगे बढ़ना पड़ेगा!ज़िद को ज़िंदगी से जोड़करथोड़ा सा ज्या

105

जोगन बन गई हूं

30 नवम्बर 2022
0
1
0

जोगन बन गई हूंचलते - चलते रुक गई हूंजानी पहचानी सी ये राहलग रही बड़ी अनजानआके कोई थाम ले हाथों कोपकड़ के अपने हाथों में मेरा हाथ।तुझे ढूंढते - ढूंढते आंखें थकीलग रही जीवन की राहों में ठोकरें हज़ारबदहा

106

मुहब्बत का नाम अच्छा था

7 दिसम्बर 2022
0
1
0

मुहब्बत का नाम अच्छा थामुहब्बत का नाम अच्छा थातेरे इश्क़ में जीनामरने से भी थोड़ा ज्यादा अच्छा थादिल से जो भुला ना सकूंज़ख्म का नाम अच्छा थामुहब्बत का नाम अच्छा था!वो दर्द अच्छा थावो प्यार सच्चा थातुझ

107

नादां है ये दिल

9 दिसम्बर 2022
0
1
0

नादां है ये दिलआप यादों में आके बहुत अच्छा काम करते हैंनादां है ये दिलइसे संभालने का काम करते हैं छोड़ों ना ये क्याख़ाक वाक करते हैंदिल में है दर्द उनकाक्यों दिल का हाल,बेहाल करते हैंज़िंदगी है ज

108

बीत गई कितनी बातें

13 दिसम्बर 2022
0
1
0

बीत गई कितनी बातेंबीत गई कितनी बातेंपर तू मुझमें अभी भी पूरा बाक़ी हैआती -जाती सांसों में, समां बांध के तू दिल में,मेरे बैठा है !कितने पास और कितनी दूरआंखों में तू ही तू समाया हैजाना चाहूं जब भी

109

खोखले वादे

17 दिसम्बर 2022
0
1
0

प्रेम खोखले वादे के बाद फ़रेब पर उतर आता है!कितने इज़हार और इश्क़ पढ़ेबाद में पता चलासारे जहां के दावे जो किए उन्होंनेजो खोखले और किताबी हैं!झूठे कसमें और वादों से अलगकिसी हकीकत की धरा परकुछ सच्चे, मज

110

सब्र

19 दिसम्बर 2022
0
1
0

लिखने को तो यूं बहुत लिखा पर जिया हुआ प्रेम, पन्नों पर उतारा ना गया,मौन चीखता रहा करवटें बदल -बदलकरसब्र, कब्र में मुर्दे सा लेटा रहा।।प्राची सिंह "मुंगेरी"

111

फना हो जाऊं

20 दिसम्बर 2022
0
1
0

आंखों के आईने में अक्श उभर आता हैदिल की जमीं पे सरहद सी खींच जाती हैक्या करूं मैं ऐ दिले बेकरार...याद रखूं कि भूल जाऊं...सोचते हुए तेरा नाम....अपनी ज़िंदगी से, अब मैं फना हो जाऊं!!#प्राची सिंह "मुंगे

112

लौटो ऐ मन

24 दिसम्बर 2022
0
1
0

लौटो ऐ मनलौटो ऐ मनटूटे मन के मनकों की झंकार सुनाते हैंतुम बिन कैसा नीरस मनदिल का हाल,बेहाल सुनाते हैं!लौटो ऐ मनटूटे दिल का, बेदर्द अंजाम सुनाते हैंकहते थे कि अमर प्रेम हमाराअमर प्रेम का, अद्भुत त्याग

113

तुम हृदय ताल में समाए हो

25 दिसम्बर 2022
0
1
0

तुम हृदय ताल में समाए होतुम हृदय ताल में समाए हो.…भावनाओं के अथाह समंदरजैसे सीप बीच छुपा हो मोतीवयग्र मन की, वयग्रता से उतरतुम हृदय ताल में समाए हो।होगी जो कभी प्रेम दिवालीदिए बार तेरे आवन को मैंराहों

114

जबतक प्यार समझ में आता है

29 दिसम्बर 2022
0
1
0

जबतक प्यार समझ में आता है जबतक प्यार समझ में आता है.....तबतक वक्त हाथ से पिसलकर छूट जाता है मूक , बधिर परिभाषा हैदेखी तो आंखों से ही जाती हैंसमझते - समझते दिल टूट - फूट जाता है!जबतक प्यार सम

115

कुछ तो था

6 जनवरी 2023
0
1
0

कुछ तो थाकुछ तो था तेरे पास मेराजो मेरा होते - होते रह गयातू बना था किसी और के लिएबस मेरा होते - होते रह गया!लगता तो था चांद से बुलाया गया तूज़मीं पे मेरे लिए उतारा गया थानैनों में कई ख़्वाब सजाएमुझे

116

पत्र

8 जनवरी 2023
0
1
0

प्रिय, प्रेम (शर्माजी) सप्रेम स्मरणस्नेहसित प्रेम की अनेक झांकियां है इस बौराहे मन में!मिलिए तो कभी समय से,समय निकाल क

117

मैं आगे बढ़ता गया

13 जनवरी 2023
0
1
0

मैं आगे बढ़ता गयाशक गहरा थाअब यकीं भी पक्का हैजो मेरा था वो मेरा हैगैरों पर यकीं कितना,क्या होगावो ना मेरा था ना मेरा होगाफिर उसे जीभर के सोचने से क्या होगा!मैं प्रेम में भी ज्यादा पड़ाबस सब हथियाने क

118

दिल

15 जनवरी 2023
0
1
0

दिलदिल में जो राज रखते हैंक्यों बेवजह खामखां बदनाम करते हैंइश्क़ किया है बसगर आप इसे चोरी समझते हैं तोसजा दीजिएताउम्र दिल में कैदआंखों में जान उनकी बसा केदिल की बस दुहाई दीजिए।सोचा ना थाजुर्म कबूल कर

119

श्वेत मन मेरे

22 जनवरी 2023
0
1
0

श्वेत मन मेरेश्वेत मन मेरे .......!मेरी धड़कन है दिलों की जान, तुमसेजैसे दो जिस्म इक जां हो हम,सदियों सेवक्त के हंसी सितम और सितमगार हो जैसे सबकरके अलग दोनों को,जुर्म दिनरात कर रहे हो जैसे!श्वेत मन मे

120

यादें रह जाती है

26 जनवरी 2023
0
1
0

यादें रह जाती हैं...!आते - जाते लम्हों मेंजाने क्या - क्या छूट जाता हैजो रहते थे दिल में कभीबस उनकी यादें ही रह जाती हैं!दुःख का नाम मोह हैहै प्रीत तुझसे ऐ दिलतुझसे ही बिछोह का सारा दुःख और दर्द हैमन

121

मुझे चुपचाप सब देखना पसंद है

3 फरवरी 2023
0
1
0

मुझे चुपचाप,सब देखना पसंद हैमुझे चुपचाप सब देखना पसंद है जैसे तेरा,चुपचाप ख्वाबों में मेरे,आना - जाना तुझे बेहद पसंद है!गीत लिखा गया मेरे गुमसुम बैठे रहने पर,मौन गीतों की छंदों में...मुझे सजाया ग

122

एक दूजे के ही रहेंगे

4 फरवरी 2023
0
1
0

एक दूजे के ही रहेंगेठोकर लगती है तभी पहचान में आती हैबात दिल की लगी है गमले में लगे फूलों की नहींदिल ही तो है जरा सी लगी चोट और टूट गईफ़ूल होते तो सज जातेउनके इश्क़ का ताज बन जातेवो जो गुजरते मेरी राह

123

तुम आना

8 फरवरी 2023
0
1
0

जीवन के इतने बसंत में कितने प्रेम सावन बन आए और पतझड़ बन चले गए!तुम आना हे प्रियअंतिम बारजीवन बनऔरमृत्यु बन जानाजीवन से सिर्फ़इक बार !प्राची सिंह "मुंगेरी"

124

कविता

8 फरवरी 2023
0
1
0

मैं टूटूंगामैं फूटूंगाया बिखर जाऊंगालेकिन लिखूंगा कविताएंउस प्रेम के लिएउस प्रतीक्षा के लिएजिसने जोड़रक्खा है मुझेतुमसे और ख़ुद से!प्राची सिंह "मुंगेरी"

125

Hug day

12 फरवरी 2023
0
1
0

"मौसम तो आते जाते रहते हैंइस बसंत कीये वार न जाने दोटूटे दिल आ मिलेदिल का दर्द भर जाने दोबहे जो दरिया आंखों सेउस गम को थम जाने दोमौका फिर मिले ना मिलेये बाहों का त्योहार ख़ाली ना जाने दो।"#Hug day 🫲�

126

गज़ल

14 फरवरी 2023
1
1
0

गज़लकई रात से जागकर इक गज़ल लिख रहा हूं!अधूरी छूट गई जो दास्तान,उसकी पूरी कहानी लिख रहा हूं !!सुनो क्या तुम सुनती हो!उल्फत में फंस गई जान,अब क्या तुम सोचती हो!!मंदिर गए पत्थर और देवता बन बैठे है!हमने

127

अनोखा बसंत

21 फरवरी 2023
0
1
0

अनोखा बसंत इक भूखे की भूख दिखी मुझेवेलिवास चंद कपड़ों में लिपटी हुई देह मेंधंसी हुई आंखेंजैसे दूधिया रंग में गिर पड़ी कोई काली मिर्चीछितराए बिखराए बालों मेंलगता है जैसे कोई कचरे की टोकरीसूखे होठो

128

जाग उठे हैं ख़्वाब कई

21 फरवरी 2023
0
1
0

जाग उठे हैं ख़्वाब कईफकत, जब भी रातों में देर तलक जागता हूंतुम ना आओ और ना आए तुम्हारी यादसारी जागी रातों की कसमइससे ज्यादा सच ना कभी किसी से कहता हूं!मैं बस जागी रातों का शायरघनी अंधेरी रातों मेंजाग

129

गम की क्या औकात होगी

23 फरवरी 2023
2
2
2

गर ज़िंदगी है साथ उनके तोगम की क्या औकात होगी गुज़र रही हंस हंसके तोफिर गमों से क्या शिकायत होगीलिख रहे उनके इश्क़ में नगमें तोबसंत की बयार खुशी के तराने सजायेगी अश्रुओं के उत्सव मेंसावन की

130

मिलते कभी नहीं

26 फरवरी 2023
0
1
0

"गर तकलीफ मुझे है तो चुभता तुझे भी होगातू हार मेरे गले का जब दूसरे से लिपटता होगामालूम है कि नामुकिन हैहम नदी के दो किनारे बस साथ चलते हैं लेकिन मिलते कभी नहीं।"प्राची सिंह "मुंगेरी"

131

शायरों के पेशे से बचना ऐ इश्क़

10 मार्च 2023
1
2
1

शायरों के पेशे से बचना ऐ इश्क़शायरों के पेशे से बचना ऐ इश्क़मशहूर होने की फ़िराक मेंये तुझसे जुड़ेंगेतुझे बुरा,बहुत बुरा लगेगाइन कमबख्तों का क्याइनका तो नाम होगाखामखां तू सरेआममुफ़्त में बदनाम होगाशाय

132

तेरे बिन

16 मार्च 2023
0
1
0

"कोई और खेल,खेल ले नसीबादर्दों को और सिरहाने रक्खा नहीं जातानाम ले उनका मुझे भरे दिल से गाया नहीं जाताकितना समझाता हूं इसे,बड़ा वेगैरत हैइक पल भी इसे तेरे बिन जिया नहीं जाता।"प्राची सिंह"मुंगेरी"

133

चाहता हूं तुम्हें...

16 मार्च 2023
0
1
0

चाहता हूं तुम्हें...हो गर तेरी इबादत....तुझ में मिल, मैं मशहूर होना चाहता हूंचाहता हूं तुम्हें इतना किखोके इस जहां सेतुझ में, मैं मौजुद होना चाहता हूं !वादा करता हूं कि मैंतुझे हर गम में शरीक करना चाह

134

खुदा करे

22 मार्च 2023
0
1
0

खुदा करे खुदा करे कि ....हम अपनी ही नज़रों में अजनबी बेहद हो जाएमिले रास्तों पर जो वो हमसफ़र उन्हें हम पहचान ना पाएं!इश्क़ से करें राब्ता औरहम परवरदिगार बन जाएंमरहूम हो जाएं ख़ुद से इतना किल

135

गांव लौट चले

28 मार्च 2023
3
3
1

गांव लौट चलेबंद कमरे में घुटता जीवनचलो चलें उजालों की ओरजहां मिलती थी स्नेह से सिंकी रोटियांमटके के जल सेमन की प्यास बुझ जाती थीआओ मेरे प्रियसंग लौट चले गांव की ओर!जहां बहती पवन पुरवाईगंगा के जल से स्

---

किताब पढ़िए

लेख पढ़िए