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कवितायें

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अश्कद्वारा:-प्राची सिंह "मुंगेरी"अश्कों के गिरे मोती आंखों में फिर डाले ना गए,मर गए हैं तेरे इश्क़ में ज़ालिमतेरे सताए हुए हम ऐसे टूट के बिखरे किकभी फिर इन होठों से मुस्कुराए नहीं गए।अश्कों का जो ये ख

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