सुन मेरी शहजादी
मेरी जान है तू
क्या कहूँ मैं तेरे लिये
तू मेरे लिये क्या है
तुझसे शुरू होती खुशी मेरी
तो ग़म तेरे साथ होने से फना हो जाते
ज़िंदगी ज़िंदा-दिली का है नाम
तुझसे मिलकर ही ये जाना है
तेरी मेरी दोस्ती पर बहुत नाज़ है मुझे
तू दूर जरूर जा रही मुझसे
पर इससे दोस्ती का प्यार
कभी कम नही होगा
सुन मेरी शहजादी
तू जान है मेरी......
-अश्विनी कुमार मिश्रा