वो हम से ख़फ़ा हैं हम उन से ख़फ़ा हैं
मगर उन से बात करने को जी चाहता है
रोज़ मिलते हैं उन से मगर बात नहीं होती है
भला हम क्या हमारी ज़िंदगी क्या
न जाने हम में है अपनी कमी क्या
बस तय ये हुआ कि मैं बुरा हूँ
इस से आगे तो इन से कोई बात नहीं होती है....
-अश्विनी कुमार मिश्रा