✒✒अश्विनी कुमार मिश्रा की कलम✒✒
यदि ज़िद है तो हा है
ना तुम भी कोई कसर रखना
ना हम भी कोई कसर रखेंगे
यही ज़िद तो है
हर बात मैं तेरी मानू
हर बात तू मेरी माने
नामुमकिन है
चलो हिस्सा हम सभी
अपनी-अपनी ज़िद का खुद उठाते है
ना तू माने ना मैं मानु
ज़िद है तो हा है