shabd-logo

बालधारावाहिकःपरछाईं अंतिम भाग

5 दिसम्बर 2021

54 बार देखा गया 54
बालधारावाहिकःपरछाईं
अंतिम भाग

राजकुमार मेघ को राजा बनाने के बाद वे सब घर लौटने को तैयार हो गए।

सुमेर परी कुमारी सुगंधा की हालत पर बहुत दुखी था।वह उसकी खोई शक्तियाँ वापस करना चाहता था।

उसने सुगंधा से पूछा"क्या तुम्हें पता है कि तुम्हारी छड़ी और शक्ति कहां छुपि है?"

"जी,कुमार..वह मेघमवन में ही कहीं पर है.. पर कहाँ है..यही नहीं पता..।"सुगंधा ने कहा।

सुगंधा बहुत ही कृशकाय,बीमार सी हो गई थी,मानों कि किसी ने उसकी सारी शक्ति निचोड़ ली हो।

सुमेर ने अपने भाईयों को बसंतीपुर लौट जाने को कहा और वह मेघमवन जाने के लिए तैयार हो गया ।

वह बनदेवी द्वारा प्रदत्त अपनी जादुई लकड़ी की सहायता से मेघमवन  तुरंत पहुंच गया।

मेघमवन रहस्यों से भरा पड़ा था।सुमेर को समझ ही नहीं आ रहा था कि वह सुगंधा की छड़ी और शक्ति कहाँ ढ़ूढ़े।
वह थोड़ा बहुत ढ़ूढ़ा फिर  अपने गले में पड़े  शीशे वाले ताबीज से पूछा
"ऐ ताबीज..,जरा बता तो कहाँ है वह जादुई छड़ी!"

शीशे वाली ताबीज में अक्स उभर आया..एक मधुमक्खियों का सुनहरा छत्ता..!

"अच्छा...!!,तो यहां छिपा है जादू..!"

"ह्म्म...,तो इसे ढ़ूढ़ना होगा।

वह  प्रतिदिन मधुमक्खी के छत्ते को ढ़ुढ़ता रहता। फिर वह अपनी लकड़ी से बोला
"ओ मेरी प्यारी लकड़ी,मुझे मधुमक्खियों के सुनहरे छत्ते की ओर ले चल।"

अब वह  मधुमक्खियों के छत्ते के पास पहुंच चुका था।लेकिन वह बहुत ही ऊंचे पहाड़ो पर बना हुआ सुनहरा छत्ता था।वहां मधुमक्खीयाँ उड़ उड़कर पहरा दे रहीं थीं।
चारों ओर पत्थरों का बाड़ लगा हुआ था।

राजकुमार सुमेर किसी तरह  से पत्थरों को  पारकर बाड़े के अंदर घुस तो गया पर अंदर एकदम सन्नाटा था।सिर्फ बड़े बड़े वृक्ष..और एक महल..!!

सुमेर हैरान था।इस निर्जन स्थल पर एक महल।आखिर यह किसका है?
सुमेर थोड़ा आगे बढ़ा तो उसने देखा एक भयानक शक्ल वाला एक राक्षस सोया हुआ है।

"अरे..!!,अब यह कौन है?"सुमेर ने मन ही मन सोचा।

फिर उसे याद आया कि यह भैरोंमल राक्षस है।

ओ..!!,यह तो बहुत ही मायावी है।खैर..कि यह सो रहा है।"

सुमेर ने अपनी शीशे वाली ताबीज निकाला उसमें झाँक कर देखा..सचमुच..सुनहरे छत्ते में एक सुनहरी छड़ी रखी थी।
अब राजकुमार को सब समझ में आ गया कि भैरों राक्षस ही सुनहरे छत्ते की रक्षा कर रहा है।

"यह तो बहुत ही मायावी है,पल भर में अपना रुप बदल लेता है।"
इससे कैसे निपटा जाए..!"
सुमेर ने अपना तलवार निकाला।दूसरे हाथ से धनुष पर तीर चढ़कर ऊपर पहाड़ों के ऊपर।
सुमेर झाड़ियों के पीछे छुप गया था।

उसे लगा कि मधुमक्खीयाँ उसपर हमला न कर दें।परंतु आश्चर्य..!!वे न तो हमला ही कर रही थीं न ही भाग रही थीं।सुनहरा छत्ता ऊपर से नीचे गिरा तो क्या हिला तक नहीं।

"ह्म्म..तो यह तिलिस्म में बँद है!उंभा ने अपने रहस्यमयी शक्तियों से इसे ऊपर लटका रखा है।"राजकुमार सूमेर ने मन ही मन सोचा।
..अब क्या किया जाए कि भैरों भी मर जाए और सुनहरा छत्ता भी और सुगंधा की छड़ी भी मिल जाए।

सुमेर झाड़ियों में बैठा बस सोचता रहा।

उसे यह तो पता था कि भैरों राक्षस अपनी शक्तियाँ अपनी नाक के अंदर छुपा कर रखता है।

सुमेर बैठकर सोचता रहा..अचानक ऊसे याद आया कि राजकुमार मेघ ने जो तलवार उसे दी थी उससे आग,बादल और पानी तीनों निकल सकते हैं।

बस क्या था..राजकुमार को मार्ग सूझ गया था।
उसने उस तलवार से विनती की
"हे मेघ के तलवार..मधुमक्खियों को छत्ते से उड़ाने के लिए धुँआ बन जाओ।"
तब तलवार ने धुँआ उगलना शुरू कर दिया।
आसमान में इतना धुँआ भर गया था कि मधुमक्खीयां छत्ते छोड़कर भाग गईं।

जब छत्ते से मधुमक्खियाँ भाग गईं तब सुमेर ने तलवार से विनती की
"हे मेघ के तलवार..,अब आग उगलकर छत्ता मेरे हाथ में गिरा दो।"

तलवार ने भयानक आग का फव्वारा छोड़ा,छत्ता ऊपर से नीचे सुमेर के हाथ में गिर गया था।

सुमेर के शीशे वाली ताबीज ने छत्ते का सारा तिलिस्म अपने में सोख लिया था।

सुमेर ने छत्ते में देखा उसमें शहद भरा हुआ था।और सुगंधा की सुनहरी छड़ी भी रखी थी।उसे लेकर वह चुपके से चलता बना।

सुमेर ने शहद सुगंधा को खाने के लिए दिया ।उसकी छड़ी भी वापस दे दी।

वह शहद का छत्ता कोई आम छत्ता नहीं था,परीलोक की मधुमक्खियों का छत्ता था,जिसे उंभा चुरा लाया था।
शहद पीते ही सुगंधा की सारी शक्ति वापस आ गईं थीं।
अब उसके बाल पहले की तरह लंबे काले हो गए और वह भी स्वस्थ हो गई।
अपनी छड़ी पाकर तो वह बहुत ही अधिक खुश थी।

उधर राक्षस सोता रहा।सारी मधुमक्खियों ने भैरों के बड़े नाक में घुसकर उसे काटने लगीं।
वह  सारी मधुमक्खियों का भी मायाजाल कट चुका था।वह सब अब स्वतंत्र थीं।
भैरोंमल राक्षस भी मर चुका था।
जैसे ही भैरों राक्षस मर गया पत्थरो के बाड़ खूबसूरत फूलों वाली झाड़ियों में बदल गई।
हवा में संगीत गूंजने लगा।वातावरण एकदम प्रसन्नता से भर गया।
***
राजकुमार सुमेर सुगंधा को पाकर बहुत खुश था और सुगंधा भी सुमेर को।

अब वह बसंतीपुर जाने के लिए तैयार था।उसने अपने घोड़े को ढ़ूढ़कर निकाला और घर लौटने के लिए तैयार हो गया।

लेकिन यह क्या!!,आसमान से फूलों कीबारिश हो रही थी।
पूरे आसमान में तरह तरह की परियाँ थीं हाथों से फूल बरसाते हुए।

राजकुमार अब बहुत ही खुश थे।
दोनों बसंतीपुर पहुंच गए थे।महाराज पटवर्द्धन और महारानी बैजंती नगर के द्वार फर उन दोनों के स्वागत के लिए आए थे।

सुकन्या अपनी बहन से मिलकर बहुत खुश थी।
महाराज ने सैनिक भेजकर सुगंधा के मातापिता को भी बुलवा भेजा।
राजकुमार और सुगंधा का भी विवाह सम्पन्न हो गया।

आसमान की परियाँ इस विवाह में आईं थीं।

धरती का पहला राज्य था बसंतीपुर जहाँ से परीलोक का रास्ता बन चुका था।
बसंतीपुर में हमेशा बसंत के फूल खिलते थे।हर समय चतुर्दिक प्रसन्नता व्याप्त थी।
*****
समाप्त

सीमा प्रियदर्शिनी सहाय
©®
सर्वाधिकार सुरक्षित

Anita Singh

Anita Singh

बहुत सुन्दर कहानी

27 दिसम्बर 2021

रेखा रानी शर्मा

रेखा रानी शर्मा

बहुत सुन्दर 👌 👌 👌

22 दिसम्बर 2021

Jyoti

Jyoti

बहुत बढ़िया

19 दिसम्बर 2021

सुंदर सृजन

7 दिसम्बर 2021

8
रचनाएँ
परछाईं
5.0
बालसाहित्य पर धारावाहिक लिखने की मेरी कोशिश है। आशा है कि आप सबसे प्यार और स्नेह मिलेगा।
1

परछाईं ः भाग1

21 नवम्बर 2021
8
4
4

<div><br></div><div><b>धारावाहिक कहानीः परछाईं-भाग१</b></div><div>~~~~~~~~~~~~~~~~~~~</div><div><br>

2

परछाईं भाग-2

21 नवम्बर 2021
5
3
3

<div>धारावाहिक कहानी</div><div><br></div><div><b>परछाईं--भाग--२</b></div><div><br></div><div><div>आग

3

परछाईं ःभाग 3

22 नवम्बर 2021
6
4
3

<div>बाल धारावाहिक</div><div>परछाईं भाग-३</div><div>~~~~~~~</div><div><br></div><div>पूरा बसंतीपुर फ

4

बालधारावाहिकःपरछाईं

23 नवम्बर 2021
7
3
3

<div><br></div><div>धारावाहिक परछाईं</div><div>भाग-४</div><div><br></div><div>देर रात मायाविनी एक जं

5

बालधारावाहिकःपरछाईं भाग-5

25 नवम्बर 2021
6
3
3

<p dir="ltr"><span style="font-size:18px" ;=""><span style="color:#000000;">बालधारावाहिकःपरछाईं भाग-

6

बालधारावाहिकःपरछाईं भाग-6

25 नवम्बर 2021
7
5
5

<p dir="ltr"><span style="font-size:18px" ;=""><span style="color:#000000;">बालधारावाहिकःपरछाईं भाग-

7

बालधारावाहिकःपरछाईं भाग7

5 दिसम्बर 2021
5
2
5

<div>भाग7..</div><div><br></div><div>आगे....</div><div><br></div><div>राजकुमार सुमेर अपना घोड़ा दौड़ात

8

बालधारावाहिकःपरछाईं अंतिम भाग

5 दिसम्बर 2021
6
4
4

<div>बालधारावाहिकःपरछाईं</div><div>अंतिम भाग</div><div><div><br></div><div>राजकुमार मेघ को राजा बनान

---

किताब पढ़िए

लेख पढ़िए