मेरी ख़ट्ठी मीठू डायरी
लो आ गई न तुम्हारी लेट लतीफ सुकून बिना देर किये अब खुश हो न बोलो न ख़ट्ठी मीठू डायरी।
आज पता है तेरी सुकून न आज उदास है बहुत अब पूछोगी नही अरे आज मन बार बार श्रद्धा के मौत को याद करके उदास हो गया।
क्या प्यार ऐसा होता है की किसी की कुर्बानी लेकर प्यार को नफरत की कहानी बना दिया जाय।
पता है मन यकीन ही नही कर रहा है की कोई प्यार का ये हाल भी करता होगा।
ऑंखें रो पड़ती है श्रद्धा के इस बेदर्द मौत की कहानी सुनकर और देखकर।
हमारा समाज आगे बढ़ने के बदले पतन की ओर जा रहा है न
हमारी पीढ़ी बस प्यार प्यार करना जानती है और फिर प्यार को शर्मसार कर देती है अपनी घटिया सोच से।
क्या सच में प्यार का कोई ऐसे कत्ल कर सकता है क्या?
आफतब को कटघरे में खडे करने से पहले एक बार खुद से भी तो पूछो न क्या
आफताब खुद ही जिम्मेदार है ये करने के लिए या उसकी मानसिकता के जिम्मेदार हर कोई है।
आज नशे को बेचा जाता है युवा को गुमराह किया जाता है।
पैसे के खातिर तो हुए न हम सब भी जिम्मेदार।
आखिर क्या वजह होगी जो प्यार ने प्यार का 35 टुकड़े कर दिया ।
क्यों लोग गलती देखते हुए भी गलती दोहराते हैं।
आये दिन समाज में यही सब देखने और पढ़ने मिलता है।
आज जमाना आगे बढ़ रहा है पर अपनी मानसिकता की वजह से पीछे की ओर जा रहा है वो ऐसी दलदल में फँसते जा रहा है जहाँ जिस्म हो नशा हो पैसा हो चाहे जैसे भी हो गलत सही में फर्क भूल कर इस दलदल में गिर कर बस मौत को ही गले लगा रही है जिंदगी ।
जिस्म पैसा प्यार से भी बढ़कर दुनिया में संस्कार है अपनों का साथ है खुद की समझदारी है समाज को आगे ले जाना है।
अच्छा खट्ठी मीठू डायरी तुम भी आज सुकून के साथ उदास हो गई न अच्छा चलो आज सर बहुत भारी भारी सा लग रहा है।
चलो सो जाओ मेरी ख़ट्ठी मीठू डायरी शुभरात्रि और मेरे पाठकों को भी शुभरात्रि मेरी डायरी पढ़कर कर किसी को तकलीफ न हो।
सुकून।